Ranji Trophy Final: मध्यप्रदेश ने मुंबई को बैकफुट पर धकेला लेकिन 23 साल पुरानी ‘गलती’ से लेना होगा सबक


नई दिल्ली. मध्यप्रदेश ने अपने खिलाड़ियों के दमदार प्रदर्शन की बदौलत रणजी ट्रॉफी-2022 के फाइनल में जगह बनाई. अब उसका सामना खिताब के लिए मुंबई से है. मध्यप्रदेश ने फाइनल मैच में तीसरे दिन तक ही अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. आदित्य श्रीवास्तव की कप्तानी वाली टीम एमपी ने शुक्रवार को तीसरे दिन तक अपनी पहली पारी में 3 विकेट पर 368 रन बना लिए. अब वह मुंबई से पहली पारी के आधार पर महज 6 रन पीछे रह गया है. इससे साफ है कि मध्यप्रदेश पहली पारी में बढ़त हासिल कर लेगा, जिससे ट्रॉफी जीतने की तरफ उसके कदम मजबूती से बढ़ेंगे. हालांकि उसे 1998-99 के सीजन की ‘गलती’ से भी सबक लेना होगा.

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में जारी इस फाइनल मैच में अभी 2 दिन का खेल बाकी है. मुंबई ने अपनी पहली पारी में सरफराज खान (134) के शतक और यशस्वी जायसवाल (78) के दम पर 374 रन बनाए थे. आखिर में अगर मुकाबला ड्रॉ भी होता है तो भी पहली पारी में बढ़त लेने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाएगा. ऐसे में मध्यप्रदेश मजबूत नजर आ रहा है. ओपनर यश दुबे और शुभम शर्मा के शतकों की बदौलत मध्यप्रदेश ने फाइनल मैच में मुंबई को बैकफुट पर धकेल दिया. यश दुबे और शुभम ने दूसरे विकेट के लिए 222 रन जोड़े.

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करियर में पहली बार इस घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेल रहे यश और शुभम ने बल्ले से कमाल का खेल दिखाया. यश ने 336 गेंदों की अपनी संयमित पारी में 14 चौके जमाए. वहीं, शुभम ने 215 गेंदों पर 15 चौकों और 1 छक्के की बदौलत 116 रन का योगदान दिया. शुभम तीसरे दिन टीम के 269 रन के स्कोर पर पवेलियन लौटे. फिर यश दुबे ने रजत पाटीदार के साथ तीसरे विकेट के लिए 72 रन जोड़कर टीम का स्कोर 341 तक पहुंचा दिया.

मध्यप्रदेश ने चंद्रकांत पंडित की कप्तानी में साल 1998-99 के रणजी ट्रॉफी सीजन में भी फाइनल में जगह बनाई थी. चंद्रकांत पंडित अब मौजूदा एमपी टीम के हेड कोच हैं. तब सेमीफाइनल में हैदराबाद को हराकर एमपी ने फाइनल में प्रवेश किया था, वहीं, कर्नाटक ने पंजाब को हराकर खिताबी मुकाबले में जगह बनाई थी. पंजाब टीम में तब नवजोत सिंह सिद्धू, हरभजन सिंह, विक्रम राठौड़ जैसे खिलाड़ी मौजूद थे.

19 अप्रैल 1999 से शुरू हुए उस फाइनल मैच में कर्नाटक ने पहली पारी में 304 रन बनाए. विजय भारद्वाज ने 86 जबकि ओपनर सोमासुंदर ने 70 रनों का योगदान दिया. इसके बाद मध्यप्रदेश ने एसके साहू (130) और देवेंद्र बुंदेला (79) के दम पर पहली पारी में 379 रन बनाए और 75 रन की बढ़त हासिल की. कर्नाटक ने दूसरी पारी 7 विकेट पर 321 रन बनाकर घोषित की और एमपी को जीत के लिए 247 रन का लक्ष्य मिला.

ऐसा लग रहा था कि चंद्रकांत पंडित की कप्तानी वाली टीम मध्यप्रदेश जीत हासिल कर लेगी या ड्रॉ कराकर विजेता बन जाएगी लेकिन सबकुछ उल्टा हो गया. मध्यप्रदेश की दूसरी पारी महज 150 रन पर सिमट गई. कर्नाटक के विजय भारद्वाज ने 6 विकेट लेकर मध्यप्रदेश का जीत का सपना तोड़ दिया. कर्नाटक ने 96 रनों के अंतर से जीत दर्ज कर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया.

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मध्यप्रदेश के पास करीब 23 साल बाद मौका है कि वह रणजी ट्रॉफी चैंपियन बने. हालांकि इसके लिए उसे पुरानी गलती से सबक लेना होगा और पहली पारी में बढ़त हासिल करने के बाद अपने गेंदबाजों से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करनी होगी. एमपी के पास मौका है कि या तो वह मुंबई की दूसरी पारी जल्दी समेट दे या फिर अपनी दूसरी पारी में उसके बल्लेबाज संयमित प्रदर्शन करें ताकि कम से कम पहली पारी के बढ़त के आधार पर ही उसे विजेता घोषित किया जाए. अभी फाइनल में 2 दिन का खेल बाकी है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि चौथे दिन शनिवार को उसके खिलाड़ी किस रणनीति के तहत उतरते हैं.

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