अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई।
Published by: योगेश साहू
Updated Wed, 30 Mar 2022 05:00 AM IST
सार
धोखाधड़ी की ज्यादातर घटनाएं उधारी देने में ही होती हैं। ऐसे मामलों में या तो नियमों से ज्यादा कर्ज दिया जाता है या जमानत नहीं रखी जाती है। अमेरिका में हर दिन उधारी से जुड़े मामलों में असेसमेंट होता है, जो भारतीय बैंकों में नहीं किया जाता है। इसके लिए बैंकों को विशेष टीम गठित करनी चाहिए।
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विस्तार
आंकड़ों के मुताबिक, एक अप्रैल, 2015 से 31 दिसंबर, 2021 तक सभी राज्यों में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी हुई। इनमें इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा यानी 83% है। आरबीआई ने बैंकिंग धोखाधड़ी को आठ वर्गों में बांटा है। हालांकि, वित्त मंत्रालय का कहना है कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग और रोकथाम के लिए कदम उठाए गए हैं। इससे बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में हर साल कमी आ रही है।
धोखाधड़ी में लगातार गिरावट
वित्त वर्ष | रकम (रुपये में) |
2015-16 | 67,760 करोड़ |
2016-17 | 59,966 करोड़ |
2019-2020 | 27,698 करोड़ |
2020-21 | 10,699 करोड़ |
चालू वित्तवर्ष के पहले 9 महीने में यह आंकड़ा 6,479 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, कुछ वर्षों से साइबर धोखाधड़ी भी एक नए तरीके के रूप में उभरकर सामने आया है।
नियमों को ताक पर रखकर उधारी देने में बढ़े मामले
धोखाधड़ी की ज्यादातर घटनाएं उधारी देने में ही होती हैं। ऐसे मामलों में या तो नियमों से ज्यादा कर्ज दिया जाता है या जमानत नहीं रखी जाती है। अमेरिका में हर दिन उधारी से जुड़े मामलों में असेसमेंट होता है, जो भारतीय बैंकों में नहीं किया जाता है। इसके लिए बैंकों को विशेष टीम गठित करनी चाहिए।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष वाई सुदर्शन का कहना है कि हाल में बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी इसलिए आई है क्योंकि बैंक और सरकार मिलकर कदम उठा रहे हैं। बाहरी धोखाधड़ी से बचने के लिए बैंक काफी प्रयास करते हैं, पर उन्हें चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों को इसके लिए जिम्मेदार बनाएं। खासकर ऐसे मामलों में, जहां ज्यादा उधारी दी जाती है।