नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के मद्देनजर अपनी अगली और बजट 2022-23 के बाद पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) में प्रमुख नीतिगत दरों (Policy Rate) के मोर्चे पर यथास्थिति कायम सकता है. हालांकि एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी (Monetary Policy Committee) नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ (Accommodative) में बदल सकती है और लिक्विडिटी नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस के हिस्से के रूप में रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) में बदलाव कर सकती है.
9 फरवरी को नीतिगत कदमों की होगी घोषणा
अगली मौद्रिक नीति की घोषणा 9 फरवरी को होगी. इससे पहले सोमवार से एमपीसी में 3 दिन तक विचार-विमर्श चलेगा. बता दें कि आरबीआई की एमपीसी की ओर से हर दो महीने में एक मीटिंग आयोजित की जाती है.
रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी का बदलाव संभव
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि बजट में वृद्धि को लेकर दिए गए आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी (25 BP) की वृद्धि करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है. इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि अगले वर्ष इसमें 0.50 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है.’’
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कोटक महिंद्रा बैंक में कंद्यूमर बैकिंग की ग्रुप प्रेसिडेंट शांति एकमबराम ने भी उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी का बदलाव कर सकता है. उन्होंने कहा कि रेपो दर में वृद्धि किए जाने की उम्मीद नहीं है हालांकि एमपीसी अपना रूख ‘उदार’ से बदलकर ‘तटस्थ’ कर सकती है.
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