रूस-यूक्रेन संकट भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी को पटरी से नहीं उतार सकता: Moody’s


 नई दिल्ली . रूस -यूक्रेन युद्ध पूरी दुनिया के लिए संकट बन गया है. कोरोना महामारी से संकटग्रस्त चल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस युद्ध ने महंगाई वाला जोर का झटका दिया है. तमाम एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा असर होगा. इसी सन्दर्भ में  वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने अपने एक नोट में कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को वह इस रूप में नहीं देख रही है कि ये भारत अर्थव्यवस्था की सुधार को पटरी से उतार देगी. भारत भीषण COVID-19 महामारी के बाद पटरी पर आ गया है.

मूडीज ने “Banking–Emerging markets: New risks from Ukraine conflict create diverging paths for emerging market banks” नामक एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि संघर्ष के कई महीनों की वजह से इसका प्रभाव कम हो गया है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि 2022-23 में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो जी-20 देशों में सबसे तेज विस्तार है.

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रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष से कई समस्याएं
भारत के लिए मूडीज का विकास अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक की तुलना में आशावादी है. रिजर्व बैंक ने अप्रैल में यूक्रेन-रूस युद्ध के प्रभाव और क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल को ध्यान में रखते हुए, 2022-23 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था. मूडीज ने कहा, “रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष से उपजी वैश्विक आर्थिक गिरावट भारत में मुद्रास्फीति और ब्याज दरों को बढ़ाएगी. साथ ही सप्लाई की समस्या पैदा करेगी.

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का बुरा असर
रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी है कि खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का और भी बड़ा असर होगा. वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं और मार्च के बाद से आठ साल के उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. रूसी तेल निर्यात पर प्रतिबंधों ने सप्लाई संकट पैदा कर दिया है लिहाजा स्थिति और खराब हो गई है.

Tags: Economy, Indian economy, Russia ukraine war

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