रूस-यूक्रेन युद्ध: क्या किसी सुरक्षित बंकर में छिपे हैं जेलेंस्की? क्या है बंकर का इतिहास, कैसे होती है जान की सुरक्षा?


सार

एक रिपोर्ट् के मुताबिक रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद भूमिगत बंकरों के निर्माण में विशेषज्ञता रखने वाली एक अमेरिकन कंपनी में ग्राहकों की पूछताछ काफी बढ़ गई है।
 

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रूस की ओर से यूक्रेन पर शुरू किए गए हमलों को अब 10 दिन हो चुके हैं। कीव पर कब्जे के लिए रूस लगातार बमबारी कर रहा है। यूक्रेन की एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि रूस ने एक सप्ताह के भीतर यूक्रेन पर 500 से अधिक मिसाइलों से हमला किया है। हर दिन 24 अलग-अलग मिसाइलें भी लॉन्च कर रहा है। अमेरिका और नाटो के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि यूक्रेन पर अपना कब्जा जमाने के लिए रूस तब तक बम बरसाएगा, जब तक सभी शहर खुद आत्मसमर्पण नहीं कर देते। अफसरों ने कहा कि रूस के हवाई हमलों की वजह से आने वाले दिनों में आम नागरिकों के मारे जाने का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है। 

इधर रूस यूक्रेन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए लगातार यह प्रचार कर रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पोलैंड भाग गए हैं। जबकि जेलेंस्की जंग छिड़ने के बाद से कह रहे हैं कि वे यूक्रेन छोड़ कर नहीं जाएंगे। इस बीच यूक्रेन के पूर्व प्रधानमंत्री मायकोला अजारीव ने जेलेंस्की के सुरक्षिl ठिकाने पर होने का खुलासा कर दिया है।

 पूर्व पीएम ने कहा है कि जेलेंस्की कीव में और एक सुरक्षित बंकर में है। उनके मुताबिक उस बंकर पर परमाणु हमले का असर भी नहीं होगा।  हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यूक्रेन छोड़ने के अफवाह को लेकर शनिवार को अपने इंस्टाग्राम पर वीडियो जारी किया। इसमें वह अपने कार्यालय में दिखाई दे रहे हैं। वह लिखते हैं- “मैं कीव में हूं। मैं यहीं से काम कर रहा हूं। कोई भी नहीं छिपा है।”
कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि यूक्रेन में हजारों लोग रूस की बमबारी से बचने के लिए बंकरों में छिपे हुए हैं। जिन्हें बंकरों में जगह नहीं मिली उन्होंने अंडरग्राउड मेट्रो स्टेशनों में शरण ली। ऐसे में इस बात की दिलचस्पी जगती है कि आखिर ये बंकर तैयार कैसे होते हैं जिससे युद्ध के समय दुश्मनों से हिफाजत की जा सकती है?

एक सैन्य ढांचे वाले छिपने की जगह को आम तौर पर बंकर कहा जाता है। बंकर अक्सर सरहदों पर मिलते हैं, जो दुश्मनों के हमले से किसी देश की हिफाजत और मोर्चेबंदी का काम करते हैं। 

बंकर युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, रसायनों और विकिरण जैसे सभी प्रकार के खतरों के खिलाफ लोगों की रक्षा कर सकते हैं। ये आमतौर पर छुपा कर रखे जाते हैं, ताकि दुश्मनों की नजर उस पर न पड़े। 

पहले विश्वयुद्ध के बाद से ही पूरे यूरोप में हजारों की तादाद में बंकर्स हैं। दूसरे विश्वयुद्ध में जब आसमान में बांबर्स प्लेन मौत बनकर घूम रहे थे तब इन्हीं बंकर्स में कई दिनों तक छिप कर लोगों ने अपनी जान बचाई थी।

‘बंकर्स इरा’
यूरोप में इस टाइम पीरियड को बंकर्स इरा भी कहा जाता है। इतना ही नहीं, जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी हार के बाद एक बंकर में ही छिप कर बैठा था। जहां उसने दुश्मनों के हाथ आने के डर से खुद को गोली मार ली। 
बंकर शब्द का इस्तेमाल कैसे हुआ?
कथित तौर पर ‘बंकर’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन सेनाओं के भूमिगत ठिकानों के संदर्भ में किया था। इस समय, तक इन्हीं संरचनाओं को अंग्रेज ‘डग-आउट’ कहते थे। दूसरे विश्वयुद्ध तक जर्मन काफी जटिल बंकर्स का का निर्माण कर रहे थे। 

जर्मनी की इस किलेबंदी और भूमिगत ठिकानों को लेकर पहली बार बंकर शब्द का इस्तेमाल मित्र देशों की सेनाओं ने किया। धीरे-धीरे दुनिया भर में इस प्रकार की भूमिगत ठिकानों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।
 
दूसरे विश्वयुद्ध के 77 साल बाद आज फिर यूरोप में इतनी बड़ी जंग हो रही है। यूक्रेन में एक बार लोग फिर बंकरों की शरण लिए हुए हैं। इन बंकर्स का निर्माण दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था। जिस पर अभी सरकार का अधिकार है। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि कीव में कई बंकर्स गिर गए हैं। लंबे समय से देखरेख की कमी के कारण कई बंकर्सों की स्थिति ठीक नहीं है। 
बंकर बनते कैसे हैं? 
बंकर एक तरह से जमीन के नीचे बना घर ही है।  विश्वयुद्ध के दौरान लोग अपने घरों के पीछे इस तरह के बंकर्स बनाते थे। इसकी दीवार कई फीट मोटी कंक्रीट या कई इंच मोटी लोहे से बनी होती है। 

महज एक या दो लोगों के रहने लायक बंकरों को क्यूजड कहा जाता है। इन्हें भी कंक्रीट से तैयार किया जाता है। इसमें खाने-पीने का इंतजाम करने से लेकर शौचालय और सोने तक की व्यवस्था हो सकती है।  इसमें कई दिनों तक का राशन और हथियार स्टोर करके रखा जा सकता है।

लगभग हर देश की सेना बंकर्स में अपने लिए जनरेटर, खाद्य भंडार और गोला-बारूद के साथ कई और हथियार रखती है। आपातकाल के लिए सेना और सरकारें इस तरह के बंकर्स तैयार करती हैं। 
 
किस-किस तरह के बंकर
ब्रिटिश सरकार ने पिंडार नाम से एक बंकर तैयार कर रखा है। जो इतना बड़ा है कि यहां विश्वयुद्ध के दौरान ज्यादतर सरकारी अधिकारी लंबे समय तक छिप कर अपना काम चलाते रहे। 

कहा जाता है कि व्हाइट हाउस में भी एक भूमिगत बंकर है। 2020 में वाशिंगटन डीसी में ब्लैक लाइव्स मैटर का विरोध तेज होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कथित तौर पर व्हाइट हाउस के भूमिगत बंकर में एक घंटा बिताया था।
 
इस बंकर को प्रेसिडेंशियल इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर के नाम से जाना जाता है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। विशेष रूप से 9/11 के हमलों के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था।
बंकरों का देश
दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां कदम-कदम पर बंकर मिलते हैं। इस देश का नाम है अल्बानिया हैं जहां मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। जब अल्बानिया के रिश्ते सोवियत संघ से खराब हो गए तो इसके वामपंथी तानाशाह एनवर होक्सहा को दुश्मनों का ऐसा खौफ था कि उसने पूरे देश में बंकर बनवा दिए थे।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मन नाजियों ने नॉर्वे और फ्रांस के पश्चिमी तटों के ऊपर और नीचे कई कंक्रीट बंकर बनाए। स्पेनिश सीमा से उत्तरी नॉर्वे तक तट के किनारे 15,000 नाजी बंकर बनाए गए थे। तटीय सुरक्षा की दृष्टि से इसे ‘अटलांटिकवॉल’ के नाम दिया गया। 

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने अपने लोगों लोगों को हमले से बचाने के लिए युद्धकालीन बंकर बनाया था। ग्लेनेल्ग, अनली, नॉरवुड, प्रॉस्पेक्ट, वुडविल, पोर्ट एडिलेड और थेबार्टन जैसे उपनगरों में कई बंकर बनाए गए थे और जहां टेलीफोन नेटवर्क भी रखे गए थे। सरकार ने बमबारी से बचने और  निवासियों को छिपाने के लिए अपने घर के पीछे ऐसे बंकर्स का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित किया था।

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रूस की ओर से यूक्रेन पर शुरू किए गए हमलों को अब 10 दिन हो चुके हैं। कीव पर कब्जे के लिए रूस लगातार बमबारी कर रहा है। यूक्रेन की एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि रूस ने एक सप्ताह के भीतर यूक्रेन पर 500 से अधिक मिसाइलों से हमला किया है। हर दिन 24 अलग-अलग मिसाइलें भी लॉन्च कर रहा है। अमेरिका और नाटो के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि यूक्रेन पर अपना कब्जा जमाने के लिए रूस तब तक बम बरसाएगा, जब तक सभी शहर खुद आत्मसमर्पण नहीं कर देते। अफसरों ने कहा कि रूस के हवाई हमलों की वजह से आने वाले दिनों में आम नागरिकों के मारे जाने का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है। 

इधर रूस यूक्रेन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए लगातार यह प्रचार कर रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पोलैंड भाग गए हैं। जबकि जेलेंस्की जंग छिड़ने के बाद से कह रहे हैं कि वे यूक्रेन छोड़ कर नहीं जाएंगे। इस बीच यूक्रेन के पूर्व प्रधानमंत्री मायकोला अजारीव ने जेलेंस्की के सुरक्षिl ठिकाने पर होने का खुलासा कर दिया है।

 पूर्व पीएम ने कहा है कि जेलेंस्की कीव में और एक सुरक्षित बंकर में है। उनके मुताबिक उस बंकर पर परमाणु हमले का असर भी नहीं होगा।  हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यूक्रेन छोड़ने के अफवाह को लेकर शनिवार को अपने इंस्टाग्राम पर वीडियो जारी किया। इसमें वह अपने कार्यालय में दिखाई दे रहे हैं। वह लिखते हैं- “मैं कीव में हूं। मैं यहीं से काम कर रहा हूं। कोई भी नहीं छिपा है।”



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