आज का शब्द: लालच और कुँवर नारायण की कविता- सहिष्णुता को आचरण दो

सामूहिक अनुष्ठानों के समवेत मंत्र-घोष शंख-स्वरों पर यंत्रवत हिलते नर-मुंड आंखें मूंद… इनमें व्यक्तिगत अनिष्ठा एक…

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