नई दिल्ली. खुदरा महंगाई के डरावने आंकड़े एक तरफ तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को गति देने की चुनौती है. ऐसे में आरबीआई के सामने दोहरी समस्या आ गई है, जिसका जल्द निदान खोजना जरूरी हो गया है.
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने सीएनबीसी टीवी18 से कहा, अगर रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दरों (रेपो रेट) में और ज्यादा बढ़ोतरी की तो इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा और विकास दर की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है. भारत की जीडीपी अभी संकट से पूरी तरह उबरी नहीं है और उसके सामने कोरोना महामारी के संक्रमण के साथ महंगाई का बढ़ता जोखिम बड़ी चुनौतियां खड़ी कर रहा है. आरबीआई ने अप्रैल में हुई एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ा दिया था, जो मई 2020 के बाद पहली बढ़ोतरी थी.
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इससे पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर ने बताया था कि आरबीआई पर महंगाई का और दबाव बढ़ा तो जून की एमपीसी बैठक में एक बार फिर ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं. साथ ही चालू वित्तवर्ष के लिए अपनी महंगाई दर के अनुमान को भी बढ़ा सकता है. गौरतलब है कि अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 7.79 फीसदी पहुंच गई है, जो आठ साल के उच्चतम स्तर पर है.
एलआईसी के आईपीओ का प्रदर्शन बेहतर
वित्त सचिव ने शेयर बाजार में उतारे गए एलआईसी के आईपीओ को लेकर संतुष्टि जताई. उन्होंने कहा कि मुश्किल हालात में भी एलआईसी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. इसके आईपीओ से जुटाई जाने वाली धनराशि के जरिये हमारा विनिवेश लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है, जो चालू वित्तवर्ष के लिए 65 हजार करोड़ रुपये रखा गया है.
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मॉर्गन स्टेनली ने घटाया विकास दर अनुमान
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अगले दो वित्तवर्ष के विकास दर अनुमान को हाल में घटा दिया था. फर्म ने कहा था कि तेल की बढ़ती कीमतों और कमजोर घरेलू मांग की वजह से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा. मॉर्गन स्टेनली ने पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि वित्तवर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि 2023-24 में यह 6.70 फीसदी रह सकती है. दोनों ही अनुमान पहले से करीब 0.30 फीसदी कम हैं.
खुदरा महंगाई से न सिर्फ हमारा देश परेशान है, बल्कि अमेरिका सहित दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं इस समय दोहरी चुनौती से जूझ रही हैं. अमेरिका ने भी मई की शुरुआत में अपनी ब्याज दरों में 0.50 फीसदी का इजाफा किया था. साथ ही इस बात के संकेत भी दिए थे कि आने वाले समय में ब्याज दरें और बढ़ाई जा सकती हैं. इसके बाद आईएमएफ ने ग्लोबल इकॉनमी की विकास दर सुस्त होने का अनुमान जताया था.
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Tags: GDP growth, India’s GDP, Inflation, Rbi policy
FIRST PUBLISHED : May 13, 2022, 12:55 IST