फास्ट लोकल और स्लो लोकल के नाम से मशहूर जोड़ी ने साथ में करियर शुरू किया, दोनों खेल चुके हैं 400 रन की पारी, अब रणजी फाइनल


नई दिल्ली. मुंबई की टीम रिकॉर्ड 47वीं बार रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के फाइनल में पहुंच चुकी है. उसने सेमीफाइनल में उप्र पर जीत दर्ज की. टीम ने रिकॉर्ड 41 बार फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट का खिताब भी जीता है. 22 जून से होने वाले फाइनल में टीम अब मप्र से भिड़ेगी. सरफराज खान (Sarfaraz Khan) ने रणजी ट्रॉफी के मौजूदा सीजन में कमाल का प्रदर्शन किया है. वे 3 शतक के सहारे 800 से अधिक रन बना चुके हैं. वे टीम की ओर से सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. इसके अलावा उनके बचपन के दोस्त अरमान जाफर भी अच्छे फॉर्म में हैं. दोनों ने क्रिकेट करियर की शुरुआत 2008 में की थी और दोनों 400 रन की पारी भी खेल चुके हैं.

सरफराज खान ने 2009 में हैरिस शील्ड कप में 421 गेंद में 439 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर का 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था. अगले साल यानी 2010 में अरमान जाफर ने अंडर-14 जाइल्स शील्ड ट्रॉफी में 498 रन की पारी खेलकर सबका ध्यान खींचा था. क्रिकइंफो से बात करते हुए सरफराज खान ने कहा, ‘2008 में मेरी अरमान से मुलाकात हुई. वह पहले से ही रिजवी स्कूल में था और मैं एक साल बाद आया था. वहां से हम दोनों साथ में खेलने लगे. वह कीपिंग पैड पहनकर बल्लेबाजी करता था, क्योंकि बैटिंग पैड बहुत बड़े होते थे.’ उन्होंने बताया कि अरमान दिन भर प्रैक्टिस करता रहता था.

घर वालों का रहता था दबाव

सरफराज खान ने बताया कि रनों को लेकर प्रतिस्पर्धा रहती ही थी. अरमान के पिता उसे नहीं मारते थे, लेकिन पृथ्वी और मेरे ऊपर घरवालों का दबाव रहता था. ऐसे में हमें रन बनाने ही होते थे. सरफराज और अरमान की जोड़ी को जय-वीरू के नाम से जाना जाता है. सरफराज फास्ट लोकल तो अरमान स्लो लोकल के नाम से मशहूर हैं. सरफराज ने बताया कि अरमान तो आज भी ऐसे ही है, स्लो खेलता है. हम लोग इसको स्लो लोकल बुलाते थे, क्योंकि यह तब भी आराम से बल्लेबाजी करता था और आज भी ऐसे ही करता है. हम लोग आउट हो जाते थे, लेकिन अरमान का यह रहता था कि एक विकेट जल्दी गिरने के बाद वह नंबर-3 पर आकर पूरे दिन बल्लेबाजी करता था.

किसी का कोई दबाव नहीं

अरमान जाफर ने बताया कि ने मेरे परिवार की ओर से रन बनाने का दबाव नहीं रहता था. सरफराज अपनी बल्लेबाजी करता था बस. वो पहले भी तेज खेलता था और आज भी तेज ही खेलता है, तो यह सुपरफास्ट ट्रेन है. स्कूल के समय से अब हमारी बॉन्डिंग बहुत अच्छी हो गई है. हम एक दूसरे के बहुत गहरे दोस्त बन गए हैं और एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते हैं.

ओडिशा के खिलाफ खेली अहम पारी

सरफराज खान ने बताया कि ओडिशा के खिलाफ हमने 2 गेंद पर 2 विकेट गंवा दिए थे. तब अरमान ने 125 रन की अहम पारी खेली थी. अरमान के साथ जब मैं बल्लेबाजी पर आता हूं, तो कुछ अलग नहीं लगता है. ऐसा लगता है कि हम स्कूल क्रिकेट ही खेल रहे हैं. दबाव, गेंदबाज, रणजी ट्रॉफी के बारे में नहीं सोचते. वह जब सामने खड़ा रहता है, तो वही पुरानी यादें रहती हैं. उन्हाेंने बताया कि हम कभी नकारात्मक बात नहीं करते. बस एक-दूसरे को समझाते रहते हैं कि इसके खिलाफ ऐसा कर सकते हैं. इसको ऐसे फंसा सकते हैं. हम आउट होने के बारे में कभी बात नहीं करते.

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अब छक्के मारने लगा है

जब सरफराज से पूछा गया कि वह इतने सालों में अरमान के अंदर उन्होंने क्या बदलाव देखा है, तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि इतने सालों बाद अरमान में बस यही देखा कि वह अब छक्के मारने लगा है. अब बहुत तेज भी खेलने लगा है. एक बार जब भी यह 100, 200 करेगा, तो वह भी लंबे छक्के मार सकता है. जब अरमान से पूछा गया कि सरफराज की सबसे खास बात क्या है, तो अरमान ने कहा कि टीम में कोई स्थिति हो. कैसे भी हालात हो सरफराज रहेगा, तो माहौल कभी भी गंभीर नहीं हो सकता है. यह ऐसी बात करता है कि हंसी आ जाती है और यह अभी से ऐसा नहीं है यह स्कूल के समय से ही ऐसा है. अगर यह ड्रेसिंग रूम में रहता है, तो माहौल शानदार बना रहता है.

Tags: BCCI, Mumbai, Ranji Trophy, Sarfaraz Khan

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