VPN के नए कानून पर बवाल: नाराज वीपीएन कंपनियों ने कहा- बदलाव नहीं हुए तो छोड़ देंगे देश


सार

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कि आपके डाटा को एंक्रिप्ट करता है और आपके IP ऐड्रेस को भी छिपाता है। ऐसे में आपकी इंटरनेट की पहचान दुनिया से छुपी रहती है।

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वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के साथ सुरक्षा को लेकर भारत सरकार ने अपने एक फैसले में कहा है कि VPN कंपनियों को यूजर्स का डाटा पांच सालों तक सुरक्षित रखना होगा और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को देना होगा। अब सरकार के इस फैसले पर कुछ प्रमुख VPN कंपनियों ने आपत्ति जताई है। NordVPN जैसी कई बड़ी कंपनियों ने कहा है कि यदि सरकार अपने फैसले नहीं बदलती है या कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है तो उन्हें भारतीय बाजार से अपना बिजनेस समेटने पर मजबूर होना पड़ेगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एजेंसी सीईआरटी ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा है कि वीपीएन सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी और आईपी एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सेव करके रखना होगा। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी कारणवश से किसी वीपीएन कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तो उसके बाद भी उसे डाटा मांगा जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो किसी वीपीएन कंपनी के बंद या बैन होने के बाद भी उसे सरकार को डाटा देना होगा। VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए।

सरकार ने साइबर सिक्योरिटी के बढ़ते खतरे को लेकर VPN के लिए नया कानून बनाया है ताकि साइबर अपराधी को समय रहते ट्रैक किया जा सके। सरकारी एजेंसी ने कहा कि यदि कोई वीपीएन सेवाप्रदाता सरकार को डाटा नहीं देती या निर्देशों का पालन नहीं करता है तो आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 70बी की उप-धारा (7) और अन्य कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यदि सरकार अपनी पॉलिसी में बदलाव नहीं करती है, तो उन्हें भी परेशानी होगी जो वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि किसी भी सूरत में उनके बचने की संभावना नहीं रहेगी।

Surfshark वीपीएन ने कहा है कि वह अपने यूजर्स की प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखता है। वह यूजर्स की ब्राउजिंग हिस्ट्री या लॉगिन डीटेल स्टोर नहीं करता है। कंपनी के मुताबिक रैम ओनली सर्वर के जरिए काम करती है जो कि यूजर के डाटा को अपने आप ओवरराइट कर देता है। Laura Tyrylyte ने का कहना है कि वह भी अपने ग्राहकों की सिक्योरिटी का ख्याल रखती है। यदि सरकार नई पॉलिसी में बदलाव नहीं करती है तो हमें अपना सर्वर भारत से खत्म करना होगा। वीपीएन कंपनियों के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है।

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कि आपके डाटा को एंक्रिप्ट करता है और आपके IP ऐड्रेस को भी छिपाता है। ऐसे में आपकी इंटरनेट की पहचान दुनिया से छुपी रहती है। वीपीएन का इस्तेमाल आप पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क पर भी कर सकते हैं। वीपीएन का सबसे बड़ा फायदा यह होता कि आपकी ट्रैकिंग नहीं होती है। आप किसी कंप्यूटर या मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है, जबकि ओपन नेटवर्क में जब भी आप कुछ सर्च करते हैं तो तमाम तरह की साइट कूकिज के जरिए आपकी जानकारी लेती हैं और उसका इस्तेमाल विज्ञापन में करती हैं। वीपीएन का इस्तेमाल आजकल ठगी और क्राइम के लिए भी होने लगा है जिसे लेकर सरकार परेशान है।

विस्तार

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के साथ सुरक्षा को लेकर भारत सरकार ने अपने एक फैसले में कहा है कि VPN कंपनियों को यूजर्स का डाटा पांच सालों तक सुरक्षित रखना होगा और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को देना होगा। अब सरकार के इस फैसले पर कुछ प्रमुख VPN कंपनियों ने आपत्ति जताई है। NordVPN जैसी कई बड़ी कंपनियों ने कहा है कि यदि सरकार अपने फैसले नहीं बदलती है या कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है तो उन्हें भारतीय बाजार से अपना बिजनेस समेटने पर मजबूर होना पड़ेगा।



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