हाइलाइट्स
फारेक्स मार्केट में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 79.74 रुपये तक चली गई.
अमेरिका में महंगाई दर 9.1 फीसदी के साथ 41 साल के शीर्ष पर है.
भारतीय कंपनियों पर दिसंबर 2021 तक 226.4 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था.
नई दिल्ली. रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी थमने का नाम नहीं ले रही. बृहस्पतिवार को फारेक्स मार्केट में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 79.74 रुपये तक चली गई, जो अब तक का रिकॉर्ड निचला स्तर है.
दरअसल, अमेरिका में महंगाई दर 9.1 फीसदी के साथ 41 साल के शीर्ष पर है और ग्लोबल मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के बीच डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है. इसका मुख्य कारण रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है, जिसने रूस पर कई प्रतिबंध लाद दिए हैं और ट्रेडिंग के लिए डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे डॉलर 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में पहुंच गया है. इसका सीधा असर रुपये पर भी दिख रहा.
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निवेशकों पर कैसे असर डाल रहा कमजोर रुपया
रूस से यूरोपीय देशों को गैस की सप्लाई रुक गई है और वहां मंदी की आशंका ज्यादा गहरा रही है. यही कारण है कि ग्लोबल मार्केट में निवेशक अभी यूरो व अन्य मुद्राओं के बजाए डॉलर खरीद रहे हैं. इससे अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ रही और उसमें लगातार मजबूती आ रही है. भारतीय निवेशकों को भी इस बारे में यही सलाह है कि फिलहाल डॉलर केंद्रित विकल्पों में ही निवेश करें, क्योंकि भारतीय मुद्रा में अभी सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती.
कहां और किस पर होगा असर
-सबसे पहले तो रुपया गिरने से आयात महंगा हो जाएगा, क्योंकि भारतीय आयातकों को अब डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ेगा.
-भारत अपनी कुल खपत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जो डॉलर महंगा होने और दबाव डालेगा.
-ईंधन महंगा हुआ तो माल ढुलाई की लागत बढ़ जाएगी जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और आम आदमी पर महंगाई का बोझ भी और बढ़ जाएगा.
-विदेशों में पढ़ाई करने वालों पर भी इसका असर पड़ेगा और उनका खर्च बढ़ जाएगा, क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले उन्हें ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
-चालू खाते का घाटा बढ़ जाएगा, जो पहले ही 40 अरब डॉलर पहुंच गया है. पिछले साल समान अवधि में यह 55 अरब डॉलर सरप्लस था.
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भारतीय कंपनियों पर बढ़ेगा बोझ
भारतीय कंपनियों ने विदेशी बाजारों से बड़ी मात्रा में कर्ज उठाया है. एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय कॉरपोरेट जगत पर दिसंबर 2021 तक करीब 226.4 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था. डॉलर के मुकाबले रुपया ऐसे ही गिरता रहा तो इस कर्ज का ब्याज चुकाने में कंपनियों को काफी मुश्किल आएगी, क्योंकि रुपये की कमजोरी से उनकी ब्याज अदायगी की राशि बढ़ जाएगी. हालांकि, विदेशी बाजारों से भारत में रुपया भेजने वालों को कमजोर भारतीय मुद्रा से लाभ होगा और उन्हें देश में इसकी ज्यादा कीमत मिलेगी.
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Tags: Business news in hindi, Dollar, Inflation, Rupee weakness
FIRST PUBLISHED : July 14, 2022, 15:30 IST