World Brain Tumor Day: कैसे करें ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती लक्षणों की पहचान, नई तकनीक से कितना सफल है इसका इलाज


नई दिल्‍ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत आने वाली इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर राइट्स (IARC) ने अपनी ग्लोबोकैन रिपोर्ट 2020 में दावा किया है कि भारत में हर साल 31,000 हजार से ज्यादा ब्रेन ट्यूमर के केस दर्ज किए जा रहे हैं. यहां इससे भी गंभीर बात यह है कि ब्रेन ट्यूमर की चपेट में आने वाले 28,000 से अधिक लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. हालात यह हैं कि जीवन को संकट में डालने वाली यह गंभीर बीमार अब भारत में दसवें पायदान पर आ खड़ी हो गई है और इस गंभीर बीमारी का प्रकोप तेजी से लगातार बढ़ता जा रहा है.

गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल के न्‍यूरोसर्जन डॉ. आदित्य गुप्ता बताते हैं कि ब्रेन ट्यूमर दिमाग की असामान्य कोशिकाओं का एक संग्रह होता है. अलग-अलग उम्र के हिसाब से ब्रेन ट्यूमर के केस सामने आते हैं. कई केस में ये ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है और घातक साबित होता है. कई बार ये ट्यूमर नॉन-कैंसरस भी होते हैं. यानी, इसका असर उतना खतरनाक नहीं होता है. ये दोनों ही तरह के ट्यूमर जब बढ़ते हैं, तो सिर बहुत ज्यादा भारी हो जाता है और इससे ब्रेन डैमेज होने के साथ जान जाने का खतरा भी बना रहता है. समय रहते ऑपरेशन से ब्रेन ट्यूमर और दूसरी जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है.

कैसे पहचाने ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
डॉ. आदित्य गुप्ता के अनुसार, सिरदर्द रहना ब्रेन ट्यमूर का शुरुआती लक्षण माना जाता है. हालांकि, ट्यूमर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इसका साइज क्या है और ये दिमाग के किस हिस्से में है. कुछ केस में ट्यूमर सीधे दिमाग के टिशूज पर असर करते हैं तो किसी को दिमाग के आसपास इससे दिक्कत महसूस होती है. ब्रेन ट्यमूर के अन्‍य मुख्य लक्षणों में सुबह के वक्‍त सिर में बहुत ज्‍यादा दर्द रहना, उल्टियां आना, आंखों के सामने धुंधलापन या एक चीज दो दिखाई देना, दिमाग का सही ढंग से काम न करना, दौरे पड़ना, चेहरे के किसी हिस्से पर कमजोरी महसूस होना और शारीरिक गतिविधियों में परेशानी भी शामिल है.

कितने प्रकार के होते हैं ब्रेन ट्यूमर
डॉ. आदित्‍य गुप्‍ता के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर को दो हिस्सों में बांटा गया है- प्राइमरी और सेकंडरी. जब ट्यूमर दिमाग के अंदर ही पनपता है तो ये प्राइमरी ब्रेन ट्यमूर कहलाता है. आमतौर पर ये ट्यूमर हल्का हो सकता है. सेकंडरी ट्यमूर वो कहलाता है, जब कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों से फैलते-फैलते दिमाग तक पहुंच जाता है. यानी फेफड़ों या ब्रेस्ट से निकलकर कैंसर कोशिकाएं ब्रेन तक पहुंच जाती हैं.

कैसे होता है प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर
प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर हल्का या कैंसरस यानी कैंसर युक्त भी हो सकता है. युवाओं की बात करें तो उनमें गिलोमास (gliomas) किस्म का ब्रेन ट्यूमर सबसे ज्यादा पाया जाता है. इसके अलावा, दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों से पैदा होने वाला ट्यमूर भी युवाओं में काफी पाया जाता है, इसे मेनिंगोमास (meningiomas) कहते हैं. ये ट्यूमर ब्रेन सेल्स यानी मस्तिष्क कोशिकाओं से पैदा हो सकता है, नर्व सेल्स से हो सकता है, पिट्यइटरि यानी दिमाग के सबसे निचले हिस्से पर स्थित ग्रंथि से हो सकता है. दिमाग को जो झिल्लियां घेरे रहती हैं, वहां से भी ये ट्यूमर फल-फूल सकता है.

बेहद खतरनाक होता है सेकंडरी ट्यूमर
डॉ. आदित्‍य गुप्‍ता ने बताया कि यह ट्यूमर की खतरनाक स्टेज भी कही जा सकती है. अगर किसी को सेकंडरी ट्यमूर है तो समझिए वो ब्रेन कैंसर ही है. ये ऐसा कैंसर होता है जो शरीर के दूसरे हिस्सों से निकलकर ब्रेन तक पहुंचता है. यानी, अगर कोई फेफड़ों के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, किडनी कैंसर या त्वचा के कैंसर से पीड़ित है तो उस इंसान के दिमाग पर भी इसका असर पहुंच सकता है और उसे सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. ये बेहद घातक माना जाता है.

किन लोगों को ब्रेन ट्यूमर का खतरा?
एक स्‍टडी का हवाला देते हुए डॉ. गुप्‍ता ने बताया कि 5-10 फीसदी कैंसर केस ही ऐसे हैं, जिनकी पारिवारिक हिस्ट्री रही है. ब्रेन ट्यूमर के मामले में तो ऐसा बहुत ही कम देखा गया है. यानी अगर आपके परिवार में किसी को ब्रेन ट्यूमर है या रहा है तो आपको भी ये बीमारी हो जाए, इसके चांस बहुत ही कम रहते हैं. लेकिन हां, इतना जरूर है कि अगर किसी के परिवार में ट्यूमर की समस्या रही है तो उन्हें लगातार हेल्थ चेकअप्स कराने चाहिए और डॉक्टर से सुझाव लेते रहने चाहिए.

उम्र: ट्यूमर आमतौर पर 55 साल से ऊपर के लोगों पर ज्यादा अटैक करता है, लेकिन ऐसे भी केस देखे गए हैं जहां 3-15 साल के बच्चे ट्यमूर से ग्रसित हो गए. लड़के और लड़कियां दोनों ही इसकी चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा अगर किसी शख्स का काम ऐसा है कि वो केमिकल्स या रेडिएशन के आसपास रहता हो तो उनमें भी ब्रेन ट्यमूर का रिस्क काफी हद तक बढ़ जाता है.

ब्रेन ट्यूमर का इलाज
ब्रेन ट्यमूर मरीजों का इलाज उसके फिजिकल टेस्ट से शुरू होता है. मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखी जाती है. फिजिकल टेस्ट के बाद डॉक्टर्स कुछ और टेस्ट कराते हैं जिनमें सीटी स्कैन, एमआरआई, और एफ-एमआरआई शामिल हैं.

CT स्कैन: ट्यमूर के मरीज के सिर का सीटी स्कैन कराया जाता है. एक्स-रे से डॉक्टर्स को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है, इसलिए सीटी कराया जाता है. ताकि ब्लड वेसल्स को बारीकी से देखा जा सके.

MRI: एमआरआई यानी मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग. शरीर के अंदर की चीजों को और ज्यादा स्पष्टता के साथ समझने के लिए डॉक्टर्स एमआरआई कराते हैं. ये सीटी स्कैन से अलग होता है और इसमें ट्यूमर  किस जगह है इसका पता चल जाता है.

f-MRI: ये एमआरआई का ही एक अगला पार्ट होता है. यूं तो आजकल एमआरआई से ट्यमूर की सही पोजिशन का पता चल जाता है, लेकिन फंक्शनल-एमआरआई की मदद से ये भी देखा जा सकता है कि दिमाग का कौन सा हिस्सा काम कर रहा है. इसके रिजल्ट बहुत ही सटीक आते हैं.

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कितना कारगर ट्यमूर का इलाज कारगर
ब्रेन ट्यमूर के करीब 45 फीसदी केस ऐसे होते हैं जो नॉन-कैंसरस होते हैं यानी जिनमें कैंसर का खतरा नहीं होता है. इसलिए अगर समय पर ट्यूमर का इलाज कराया जाए तो मरीज ठीक हो जाते हैं और उनका दिमाग सामान्य रूप से काम करने लगता है. ज्यादातर लोगों के बीच ये धारणा है कि अगर ब्रेन का ऑपरेशन कराया जाता है तो इससे हमेशा के लिए पैरालिसिस जैसी स्थित पैदा हो जाती है.  लोगों को ये बताने की जरूरत है कि आज के दौर में हाई-टेक उपकरणों से बहुत ही सुरक्षित तरीकों से जीरो रिस्क के साथ दिमाग के ऑपरेशन किए जाते हैं. इसके लिए एक बेहतर सेंटर की जरूरत होती है.

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अब एंडोस्‍कोपी से ट्यूमर का ऑपरेशन
न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में नई तरक्की के चलते बहुत ही कम चीर-काट करके ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन किए जाते हैं. एंडोस्कोपी के जरिए न्यूरोसर्जन बहुत आसानी से दिमाग के अंदर तक की स्थिति का पता लगा लेते हैं और इलाज कर पाते हैं. एंडोस्कोप एक पतली ट्यूब जैसा उपकरण होता है जिसमें कैमरा लगा होता है और इसकी मदद से डॉक्टर्स दिमाग से ट्यमूर को हटा पाते हैं और दिमाग के स्वस्थ हिस्से को भी नुकसान नहीं पहुंचता है. अब साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी के जरिए भी ट्यमूर के ऑपरेशन किए जाते हैं, जिसका रिजल्ट 100 फीसदी होता है. यानी इसमें किसी किस्म का न रिस्क होता है और न कोई दर्द. ये सर्जरी विशेष रूप से नॉन-कैंसरस ट्यमूर्स वाले मरीजों के लिए है.

Tags: Health News, Sehat ki baat

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