Apple: चीन के लिए सिरदर्द बनी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’, भारत में उत्पादन बढ़ा सकती है एपल


सार

रिपोर्ट्स की मानें तो Apple दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी कर रही है। रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल दुनिया के 3.1 फीसदी आईफोन बनाए थे और इस साल यह अनुपात बढ़कर 6 फीसदी से 7 फीसदी होने का अनुमान है। 

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जीरो कोविड पॉलिसी अब चीन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। जिनपिंग की इस नीति का पहले से ही विरोध हो रहा है। अब विदेशी कंपनियां भी इस नीति का विरोध करने लगी हैं। आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने के चलते दिग्गज स्मार्टफोन कंपनी Apple अब चीन के बाहर उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो Apple दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी कर रही है। 

 

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए बताया कि भारत और वियतनाम में पहले से ही एपल कंपनी के उत्पादों का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इन देशों को चीन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अगर एपल जैसी दिग्गज कंपनी ऐसा करती है तो अन्य पश्चिमी कंपनियां भी इस दिशा में कदम उठा सकती हैं। 

चीन पर निर्भरता कम करना चाहती हैं कंपनियां 
रिपोर्ट्स की मानें तो अधिकांश पश्चिमी कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करने पर विचार कर रही हैं। दरअसल, रूस-यूक्रेन संघर्ष में चीन अप्रत्यक्ष तौर पर रूस का समर्थन कर रहा है। ऐसे में पश्चिमी कंपनियां विनिर्माण और प्रमुख सामग्रियों के चीन पर निर्भरता कम करना चाहती हैं। आंकड़ों की मानें तो iPhone, iPad और MacBook सहित एपल के 90 प्रतिशत से अधिक उत्पाद चीन में बाहरी कॉन्ट्रैक्टरों द्वारा निर्मित किए जाते हैं।

आठ बिलियन डॉलर का अनुमानित है नुकसान 
एपल के सीईओ टिम कुक ने बताया कि, चीन की कड़ी कोविड पॉलिसी के तहत शंघाई और अन्य शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में हमारी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। अप्रैल में उन्होंने आठ बिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया था। वहीं कोरोना के कारण पिछले दो सालों से कंपनी के इंजीनियर और अधिकारी भी चीन नहीं आ पा रहे हैं। 

भारत में छह से सात फीसदी बढ़ सकता है उत्पादन 
एशियाई देशों में चीन के बाद भारत वह देश है, जहां पर बड़ी संख्या में योग्य श्रमिक मौजूद हैं। ऐसे में एपल भारत को अपने विकल्प के रूप में देख रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एपल कुछ मौजूदा सप्लायर्स से भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के बारे में बात कर रही है। रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल दुनिया के 3.1 फीसदी आईफोन बनाए थे और इस साल यह अनुपात बढ़कर 6 फीसदी से 7 फीसदी होने का अनुमान है

विस्तार

जीरो कोविड पॉलिसी अब चीन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। जिनपिंग की इस नीति का पहले से ही विरोध हो रहा है। अब विदेशी कंपनियां भी इस नीति का विरोध करने लगी हैं। आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने के चलते दिग्गज स्मार्टफोन कंपनी Apple अब चीन के बाहर उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो Apple दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी कर रही है। 

 

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए बताया कि भारत और वियतनाम में पहले से ही एपल कंपनी के उत्पादों का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इन देशों को चीन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अगर एपल जैसी दिग्गज कंपनी ऐसा करती है तो अन्य पश्चिमी कंपनियां भी इस दिशा में कदम उठा सकती हैं। 

चीन पर निर्भरता कम करना चाहती हैं कंपनियां 

रिपोर्ट्स की मानें तो अधिकांश पश्चिमी कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करने पर विचार कर रही हैं। दरअसल, रूस-यूक्रेन संघर्ष में चीन अप्रत्यक्ष तौर पर रूस का समर्थन कर रहा है। ऐसे में पश्चिमी कंपनियां विनिर्माण और प्रमुख सामग्रियों के चीन पर निर्भरता कम करना चाहती हैं। आंकड़ों की मानें तो iPhone, iPad और MacBook सहित एपल के 90 प्रतिशत से अधिक उत्पाद चीन में बाहरी कॉन्ट्रैक्टरों द्वारा निर्मित किए जाते हैं।

आठ बिलियन डॉलर का अनुमानित है नुकसान 

एपल के सीईओ टिम कुक ने बताया कि, चीन की कड़ी कोविड पॉलिसी के तहत शंघाई और अन्य शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में हमारी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। अप्रैल में उन्होंने आठ बिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया था। वहीं कोरोना के कारण पिछले दो सालों से कंपनी के इंजीनियर और अधिकारी भी चीन नहीं आ पा रहे हैं। 

भारत में छह से सात फीसदी बढ़ सकता है उत्पादन 

एशियाई देशों में चीन के बाद भारत वह देश है, जहां पर बड़ी संख्या में योग्य श्रमिक मौजूद हैं। ऐसे में एपल भारत को अपने विकल्प के रूप में देख रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एपल कुछ मौजूदा सप्लायर्स से भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के बारे में बात कर रही है। रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल दुनिया के 3.1 फीसदी आईफोन बनाए थे और इस साल यह अनुपात बढ़कर 6 फीसदी से 7 फीसदी होने का अनुमान है



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