न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Fri, 25 Feb 2022 12:15 AM IST
सार
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के जरिए बिजली आपूर्ति बाधित करने वाले कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। डीजीपी चंडीगढ़ से भी जांच को फास्ट ट्रैक पर रखने का अनुरोध किया गया है।
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विस्तार
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह पहले चरण की कार्रवाई है। अन्य कर्मचारियों की पहचान की जा रही है, जल्द ही उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। गुरुवार शाम चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित के साथ बैठक के बाद प्रशासन के अधिकारियों ने ये फैसला लिया। प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि बिजलीकर्मियों की हड़ताल के चलते 21 और 22 फरवरी की मध्यरात्रि को जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 और शहर के अन्य मुख्य क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित रही, जिससे जनता को असुविधा और परेशानी हुई।
प्रशासन ने बिगड़ी स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। बिजली आपूर्ति बाधित करने वाले बिजली विभाग के करीब 126 नियमित कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ एस्मा एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के भी आदेश दिया गया है।
चंडीगढ़ प्रशासन के आदेश की अवहेलना करने पर बिजली आपूर्ति बाधित करने और बिजली व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले 17 अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। साथ ही इन कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा एक्ट का उल्लंघन करने पर एफआईआर भी दर्ज की गई है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के जरिए बिजली आपूर्ति बाधित करने वाले कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। डीजीपी चंडीगढ़ से भी जांच को फास्ट ट्रैक पर रखने का अनुरोध किया गया है।
नुकसान का आकलन कर 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
विद्युत व्यवस्था को हुए नुकसान की सीमा और अन्य विवरणों का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई है जो 15 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। प्रशासन के अनुसार यूटी के बिजली कर्मियों ने 22 फरवरी से 24 फरवरी तक तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था।
वाजिब मांगों पर विचार करने के बावजूद यूनियन और चंडीगढ़ प्रशासन के बीच बैठकें हुईं लेकिन यूनियन हड़ताल पर जाने पर अड़ी रही। यही कारण है कि प्रशासन ने आदेश जारी करके बिजली कर्मियों की हड़ताल पर छह माह के लिए रोक लगा दी थी और सभी कर्मचारियों को तुरंत काम पर लौटने का आदेश दिया था।