कांग्रेस में सब ठीक नहीं: गुजरात में चल रहा पंजाब और उत्तराखंड का रीटेक! चुनाव लड़ने से पहले अपनों में ही हो रही है लड़ाई


गुजरात में जैसे-जैसे विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वहां कांग्रेस में राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है। कुछ महीने पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तरह गुजरात में भी एक बार फिर से चुनावों से पहले आपस में नेताओं की तकरार शुरू हो गई है। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने जिस तरह से पार्टी को निशाने पर लिया है उससे राजनीतिक हलकों में स्पष्ट संदेश है कि आने वाले कुछ दिनों में पटेल पार्टी छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं। वहीं, अंदरूनी रार के चलते कांग्रेस के नेताओं का चुनाव से ऐन वक्त पहले दूसरी पार्टियों में खिसकना जारी हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के लिए उनके अपने ही नेता चुनौती बने हुए हैं। इसलिए गुजरात विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर हो गया है। 

गुजरात कांग्रेस में पिछड़ों के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे ही गुजरात में कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी होती जा रही है। वह कहते हैं कि हार्दिक पटेल ने जैसा बयान दिया है या नाराजगी जताई है वह बिल्कुल सही है। वह कहते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता जो कि पंजाब की तर्ज पर पार्टी को बर्बाद करने में लगे हुए हैं वह आलाकमान को न सिर्फ गलत फीडबैक दे रहे हैं बल्कि अंदरूनी तौर पर पार्टी को कमजोर भी कर रहे हैं। 

उक्त पूर्व मंत्री का कहना है कि जिस तरह पार्टी के पूर्व विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ना शुरू किया है वह सिलसिला अभी आगे और चलने वाला है। उन्होंने बताया कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रवीण मारू ने भाजपा का दामन थाम लिया तो पूर्व विधायक कामिनी राठौर ने खुलकर कांग्रेस का विरोध शुरू कर दिया है। वे कहते हैं कि कांग्रेस आलाकमान को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि 2017 में जीते पार्टी के 16 विधायक भाजपा समेत अन्य दलों में शामिल हो चुके हैं। यह पार्टी के लिए कोई सकारात्मक संदेश नहीं है। 

गुजरात कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने पिछले चुनावों में अल्पेश ठाकोर को शामिल किया था और उनको राष्ट्रीय सचिव जैसा बड़ा पद भी दिया गया, लेकिन ठाकोर पार्टी के अंदरूनी कलह से परेशान होकर कांग्रेस छोड़कर चले गए। गुजरात कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार सुबह दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में संपर्क कर एक बार फिर से गुजरात में बदहाल हो रही कांग्रेस की तस्वीर बताई । 

वहीं, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने तो प्रदेश कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं पर खुद को परेशान किए जाने का आरोप लगाया है। हार्दिक ने खुद को परेशान किए जाने की जानकारी भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दी, लेकिन उनका कहना है कि राहुल गांधी ने उनकी शिकायत पर कोई भी ध्यान नहीं दिया। हार्दिक पटेल की टीम से जुड़े एक वरिष्ठ कार्यकर्ता कहते हैं कि अपने पिछले दौरे में हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर खुद को परेशान किए जाने की पूरी जानकारी दी थी। इसके अलावा हार्दिक पटेल ने पार्टी आलाकमान को इस बात की भी शिकायत दर्ज कराई कि जब गुजरात कांग्रेस पार्टी में चुनाव से पहले पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई तो उनसे क्यों नहीं पूछा गया, जबकि वह खुद पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में हैं। 

गुजरात कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह बात बिल्कुल सही है कि हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष होने के बाद भी उतनी तवज्जो नहीं मिल रही है जितनी मिलनी चाहिए। इसके पीछे कांग्रेस के नेताओं की अंदरूनी लड़ाई शामिल है। गुजरात कांग्रेस के एक नेता कहते हैं कि गुजरात में कांग्रेस को कमजोर करने में उनके अपने ही कई कद्दावर नेता शामिल है। सूत्रों का कहना है ऐसा नहीं है कि पार्टी आलाकमान को इसकी जानकारी नहीं है। वह कहते हैं लेकिन पार्टी नेतृत्व का लापरवाही भरा रवैया गुजरात कांग्रेस में चुनाव से पहले अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा काम कर रहा है। उक्त नेता का कहना है सिर्फ हार्दिक पटेल का ही मामला नहीं, बल्कि कांग्रेस के अन्य नेता जो पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं उस और पार्टी को जरूर ध्यान देना चाहिए। वह कहते हैं कि अगर पार्टी अभी इस ओर ध्यान नहीं देगी तो चुनाव आने तक पार्टी गुजरात में पूरी तरीके से कमजोर हो चुकी होगी।

हालांकि हार्दिक पटेल के मामले में कांग्रेस के नेता अपना तर्क देते हैं। पार्टी के कद्दावर नेता कहते हैं कि हार्दिक पटेल का जादू अब दरअसल गुजरात में चल नहीं रहा है। गुजरात के निकाय चुनाव और लोकसभा चुनावों के दौरान हार्दिक पटेल का असर बिल्कुल नहीं रहा। उक्त नेता का कहना है कि 2017 के पाटीदार आंदोलन के दौरान जिस तरीके से युवाओं में हार्दिक पटेल का जोश और क्रेज था वह अब नहीं बचा है। यही वजह है कि पार्टी भी उसी व्यक्ति पर दांव लगाना चाहती है जो कि पार्टी की आने वाले विधानसभा चुनावों में नैया पार लगा दे। इस कड़ी में कांग्रेस ने एक दूसरे पाटीदार नेता और खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया नरेश पटेल पर दांव लगाने की जोर आजमाइश शुरू की है। 

कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि एक दूसरे पाटीदार नेता के कांग्रेस में शामिल करने से हार्दिक पटेल की नाराजगी बढ़ रही है। यही वजह है कि हार्दिक पटेल अब दूसरी राजनीतिक पार्टी में अपना ठिकाना तलाश रहे हैं। कांग्रेसी नेता का कहना है कि हार्दिक पटेल नहीं चाहते हैं कि कोई दूसरा पाटीदार नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर उनकी बराबरी करे। यही वजह है कि हार्दिक पटेल कांग्रेसी दूरी बनाना चाह रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं दरअसल पार्टी आलाकमान को खुद इस बात पर अभी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कैसे उनके पैरों के नीचे से जमीन तक खिसकी जा रही है। बहुत लंबे समय तक कांग्रेस के कई पूर्व वरिष्ठ नेताओं के साथ काम कर चुके उक्त कांग्रेसी नेता कहते हैं कि पार्टी में जब भी यह सवाल उठाया जाता है कि अब नए सिरे से पार्टी का गठन किया जाए तो कई नेता इसके विरोध में खड़े हो जाते हैं। उक्त पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि अब उनके जैसे बुजुर्ग नेताओं का जमाना चला गया। अब अगर पार्टी को आगे बढ़ना है तो आपको इस दौर की राजनीति के हिसाब से ही काम करना होगा। फिर चाहे आपको किसी भी राजनीतिक दल से कुछ भी सीखना पड़े। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी में सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह कुछ सीखना नहीं चाह रही। वह कहते हैं कि जिस तरीके से पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में झगड़ा फसाद शुरू हुआ उसका खामियाजा उनको पंजाब में सत्ता से हाथ धो कर देना पड़ा। इसी तरीके से उत्तराखंड में कांग्रेस के नेताओं के झगड़ों और अंदरूनी विवाद की वजह से हाथ में आती हुई सत्ता खिसक गई। कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि ऐसा पहला मौका नहीं है जब हार्दिक पटेल ने अपनी समस्या राहुल गांधी से बताई हो और उसका समाधान हुआ हो। ऐसे पहले भी कई मौके आते रहे जिसमें कांग्रेस के बड़े नेताओं ने राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश की या अपनी शिकायतें दर्ज कराई लेकिन उसका कोई भी हल नहीं निकला।



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