अनिल विज बोले: पंजाब के हालात श्रीलंका जैसे होने वाले, चार दिन की पार्टी अभी शिशुकाल में…दूध के दांत भी टूटे नहीं


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Tue, 05 Apr 2022 10:06 PM IST

सार

चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा आमने-सामने हैं। मंगलवार को पंजाब सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ हरियाणा विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया।

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हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ के मुद्दे पर पंजाब के कदम के खिलाफ मंगलवार को विधानसभा में प्रस्ताव पास किया। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि अगर हम नई राजधानी बनाना चाहें तो केंद्र सरकार से वित्तीय मदद मिलनी चाहिए। जब तक वित्तीय मदद, एसवाईएल का पानी और हिंदी भाषी क्षेत्र नहीं मिलते, चंडीगढ़ में हरियाणा डटा रहेगा, हरियाणा ने अंगद का पैर जमा रखा है।

हमारे पैर को कोई उखाड़ नहीं सकता। पंजाब सरकार का प्रस्ताव राजनीतिक है। पंजाब सरकार जानती है कि उन्होंने रियायतें व वादा कर सत्ता हथियायी है। वे वादों को पूरा नहीं कर सकते। पंजाब के हालात श्रीलंका जैसे होने वाले हैं, इसलिए अपने प्रदेश के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को छेड़ने की कोशिश की है। चार दिन की पार्टी अभी शिशुकाल में है, अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे और बातें चंडीगढ़ की कर रहे हैं। 

हरियाणा-पंजाब के विवाद को लेकर साफ नहीं पक्ष-विपक्ष की नीयत: कुंडू
हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब के विवादों को लेकर भाजपा-कांग्रेस और अन्य दलों की नीयत साफ नहीं है। वह सरकारी संकल्प के समर्थन में हैं लेकिन पक्ष-विपक्ष ये बताए कि कितनी बार केंद्र से लेकर हरियाणा और पंजाब में एक समय पर एक ही पार्टी की सरकारें रहीं, तब इन विवादों का समाधान करने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। 

इसके बारे में वह भाजपा, कांग्रेस, इनेलो एवं अकाली दल तक की सरकारों का जिक्र करना चाहते हैं। सभी दलों ने इन मुद्दों को लेकर स्वार्थ की राजनीति की। जबकि तीनों जगह एक ही पार्टी सत्ता में होने से उसका लाभ उठाकर शांति के साथ सभी मुद्दों का हल निकाला जा सकता था। अब विवादों को हवा देकर पंजाब-हरियाणा में किसान आंदोलन के कारण बने भाईचारे को खराब ना कर केंद्र सरकार से बातचीत कर शांति के साथ दोनों राज्यों को हल निकालना चाहिए। दोनों तरफ से ऐसी कोई हरकत नहीं होनी चाहिए, जिससे भाईचारे पर जरा भी आंच आए। 

विस्तार

हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ के मुद्दे पर पंजाब के कदम के खिलाफ मंगलवार को विधानसभा में प्रस्ताव पास किया। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि अगर हम नई राजधानी बनाना चाहें तो केंद्र सरकार से वित्तीय मदद मिलनी चाहिए। जब तक वित्तीय मदद, एसवाईएल का पानी और हिंदी भाषी क्षेत्र नहीं मिलते, चंडीगढ़ में हरियाणा डटा रहेगा, हरियाणा ने अंगद का पैर जमा रखा है।

हमारे पैर को कोई उखाड़ नहीं सकता। पंजाब सरकार का प्रस्ताव राजनीतिक है। पंजाब सरकार जानती है कि उन्होंने रियायतें व वादा कर सत्ता हथियायी है। वे वादों को पूरा नहीं कर सकते। पंजाब के हालात श्रीलंका जैसे होने वाले हैं, इसलिए अपने प्रदेश के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को छेड़ने की कोशिश की है। चार दिन की पार्टी अभी शिशुकाल में है, अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे और बातें चंडीगढ़ की कर रहे हैं। 

हरियाणा-पंजाब के विवाद को लेकर साफ नहीं पक्ष-विपक्ष की नीयत: कुंडू

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब के विवादों को लेकर भाजपा-कांग्रेस और अन्य दलों की नीयत साफ नहीं है। वह सरकारी संकल्प के समर्थन में हैं लेकिन पक्ष-विपक्ष ये बताए कि कितनी बार केंद्र से लेकर हरियाणा और पंजाब में एक समय पर एक ही पार्टी की सरकारें रहीं, तब इन विवादों का समाधान करने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। 

इसके बारे में वह भाजपा, कांग्रेस, इनेलो एवं अकाली दल तक की सरकारों का जिक्र करना चाहते हैं। सभी दलों ने इन मुद्दों को लेकर स्वार्थ की राजनीति की। जबकि तीनों जगह एक ही पार्टी सत्ता में होने से उसका लाभ उठाकर शांति के साथ सभी मुद्दों का हल निकाला जा सकता था। अब विवादों को हवा देकर पंजाब-हरियाणा में किसान आंदोलन के कारण बने भाईचारे को खराब ना कर केंद्र सरकार से बातचीत कर शांति के साथ दोनों राज्यों को हल निकालना चाहिए। दोनों तरफ से ऐसी कोई हरकत नहीं होनी चाहिए, जिससे भाईचारे पर जरा भी आंच आए। 



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