अनुप्रिया पटेल Interview: मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर भाजपा की छवि बदलने की हो रही कोशिश? जानें क्या बोलीं केंद्रीय मंत्री


सुधीर कुमार सिंह, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्‍तव
Updated Thu, 03 Feb 2022 11:24 AM IST

सार

सरकार में रहकर भी पिछड़े व दबे-कुचले लोगों की आवाज को सरकार के फोरम पर उठाने वाली अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को यूपी में दुबारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने का भरोसा है। साथ ही वह इस बार के विधानसभा चुनाव के जरिये अपनी पार्टी के विस्तार की कार्ययोजना पर काम कर रही हैं। पेश हैं विधानसभा चुनाव की तैयारियों और रणनीतियों को लेकर अनुप्रिया पटेल से सुधीर कुमार सिंह की बातचीत के प्रमुख अंश…

अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल।

अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल।
– फोटो : amar ujala

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विस्तार

आपको उम्मीद कैबिनेट मंत्री बनने की थी, पर राज्यमंत्री पर संतोष करना पड़ा। ऐसे में गठबंधन को लेकर आप कितना संतुष्ट हैं?

जो बात बीत गई, उसके बारे में अब क्या चर्चा करना। पार्टी के विस्तार की योजना तैयार की गई है। इसके लिए प्रयास जारी हैं। हमारी कोशिश है कि पहले पार्टी को मजबूत और जवाबदेह बनाया जाए। पार्टी का दायरा बढ़ेगा, तो पद अपने आप मिलेगा। पद के बारे में मैं नहीं सोचती हूं। पार्टी के विस्तार के लिए नए समीकरण के मुताबिक काम हो रहा है। हम राजग के मजबूत हिस्सेदार के तौर पर हैं और आगे भी बने रहेंगे।      

गठबंधन में मिलने वाली सीटों में कितने अपने और कितने भाजपा के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगी?

अपना दल (एस) ने आज तक एक भी चुनाव दूसरे के चिह्न पर नहीं लड़ा है। इसलिए इस चुनाव में भी गठबंधन में मिलने वाली सभी सीटों पर पार्टी अपने चुनाव चिह्न पर लड़ेगी। पार्टी के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल के समय से ही पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ती आ रही है।  

भाजपा की अब तक घोषित उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं को मिली भागीदारी से कितना सहमत हैं?

कोई भी दल हो, वह जातीय समीकरण समेत कई मानकों पर विचार करने के बाद ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करता है। सबकी सहभागिता हो, सभी पार्टियों की कोशिश यही होती है। जातीय व क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखने के लिए कई मानक होते हैं, जिसका टिकट बंटवारे के समय खास ख्याल रखा जाता है। हमें उम्मीद है कि भाजपा ने भी उम्मीदवारों के चयन में सभी मानकों के मुताबिक ही फैसला लिया होगा। वैसे भी उनके दल का टिकट बंटवारा, उनका अंदरूनी मामला है। इसलिए मेरे संतुष्ट या असंतुष्ट होने का कोई मतलब नहीं है। 

स्वार में मुस्लिम चेहरा उतारकर अपना दल (एस) के माध्यम से भाजपा के मुस्लिम विरोधी छवि को बदलने की कोशिश तो नहीं है?

नहीं, ऐसा नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि, अपना दल (एस) शुरू से ही मुस्लिम चेहरों को पार्टी में विभिन्न भूमिकाओं में भागीदारी देता रहा है। स्वार के पहले भी कई मुस्लिम चेहरों को विधानसभा के चुनावों में उम्मीदवार बनाया गया। पार्टी ने सादिक अली को प्रदेश अध्यक्ष तक बनाया था। हाजी मन्नान को प्रतापगढ़ की सदर सीट से उम्मीदवार बना चुके हैं। हम समाज के सभी दबे-कुचले लोगों की लड़ाई लड़ते हैं। इसमें गरीब मुस्लिम भी शामिल हैं।  

यदि किसी वजह से सरकार की वापसी नहीं होती है, तो आपकी पार्टी की भूमिका क्या होगी?

यह एक काल्पनिक प्रश्न है। पहली बात तो यह है कि 10 मार्च को एक बार फिर से यूपी में राजग की सरकार बनने जा रही है। इसपर मुझे कोई संदेह नहीं है। मुझे भरोसा है कि बीते पांच साल में राजग की सरकार ने जिस प्रकार से देश व प्रदेश के विकास को लेकर काम किया है, उसकी वजह से जनता राजग को फिर से आशीर्वाद देगी। जहां तक गठबंधन का सवाल है तो वह अटूट है। हमारा गठबंधन विचारधारा को लेकर है, न कि सरकार बनने-बिगड़ने को लेकर।

चर्चा है कि कई बाहुबली आपकी पार्टी से टिकट लेने के प्रयास में हैं?

ये चर्चा बेबुनियाद है। ऐसी चर्चाओं में कोई दम नहीं है। अपना दल (एस) किसी भी अपराधी, दबंग या बाहुबली छवि के व्यक्ति को अपना उम्मीदवार नहीं बनाएगा। ऐसे लोग जानते हैं कि अपना दल में उनकी दाल नहीं गलेगी। इसलिए ऐसे लोग मुझसे संपर्क नहीं कर सकते हैं। क्योंकि, उनको मालूम है उनका प्रयास सफल नहीं होगा।

अपना दल (एस) भी कई मौजूदा विधायकों की सीट बदलने जा रहा है?

हां, मैंने सर्वे कराया था। कई विधायकों के रिपोर्ट को देखा जा रहा है। उसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा। जीत की संभावना देखकर ही टिकट दिए जाएंगे। जरूरी हुआ तो कई लोगों के टिकट बदले भी जाएंगे। 

आपकी पार्टी के बारे में अवधारणा है कि वह सिर्फ एक जाति विशेष की राजनीति करती है?

(हंसते हुए) अपना दल अपने स्थापना काल से ही सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ता आ रहा है। सरकार में रहकर भी समाज के सभी वर्ग के दबे-कुचले, गरीब, पिछड़े लोगों की आवाज उठाता रहा है। इसलिए ऐसा कहना गलत है। वैसे भी जातिगत राजनीति करने से देश का भला नहीं हो सकता है। 

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