न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 06 Apr 2022 11:48 AM IST
सार
आईएमएफ ने अपने एक शोध में पाया कि 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी (रोजाना प्रति व्यक्ति आय 1.9 डॉलर से कम) का स्तर 1 फीसदी से कम है। महामारी वर्ष 2020 के दौरान भी यह उसी स्तर पर बना रहा। इसमें मुख्य योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाद्य सुरक्षा योजना का रहा।
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विस्तार
आईएमएफ ने अपने एक शोध में पाया कि 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी (रोजाना प्रति व्यक्ति आय 1.9 डॉलर से कम) का स्तर 1 फीसदी से कम है। महामारी वर्ष 2020 के दौरान भी यह उसी स्तर पर बना रहा। इसमें मुख्य योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाद्य सुरक्षा योजना का रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण कोरोना काल में भी भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई।
आईएमएफ ने ‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत के सबूत’ शीर्षक से एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है। इसमें देश में गरीबी का अनुमान जताया गया है। अत्यधिक गरीबी की सीमा रेखा 1.9 से 3.2 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन आय वाले लोग और खपत की असमानता के अनुमान पेश किए गए हैं। यह वर्ष 2004-05 से लेकर 2020-21 तक की तुलना पर आधारित है।
इन अनुमानों में पहली बार खाद्यान्न सबसिडी का गरीबी व असमानता पर प्रभाव का भी आकलन किया गया है। महामारी पूर्व के वर्ष 2019 में अत्यधिक गरीबी का स्तर 0.8 फीसदी था और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का प्रभाव यह हुआ कि यह महामारी वर्ष 2020 में भी उसी स्तर पर बना रहा। खाद्य सबसिडी के बाद असमानता का स्तर अब 0.294 है, यह 1993-94 के इसके सबसे निचले स्तर 0.284 के बेहद करीब है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक गरीबी का स्तर लगातार दो साल तक निम्न स्तर पर बना रहना, इसमें भी एक साल तो महामारी का था, साबित करता है कि देश में तेजी से गरीबी उन्मूलन हो रहा है। पीएमजीकेएवाय योजना देश में अत्यधिक गरीबी के स्तर में बढ़ोतरी रोकने में अहम रही है। इसने कोरोना काल के दौरान गरीबों की आय पर लगे झटके को सहन करने में बड़ी मदद की है। इस दौरान खाद्यान्न आवंटन दोगुना हुआ है। पीएम मोदी ने हाल ही में अन्न योजना की मियाद सितंबर 2022 तक बढ़ा दी है। इस योजना के तहत सरकार जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज देती है।
देश में महामारी के दौरान मार्च 2020 में अन्न योजना शुरू की गई थी। इस योजना में हर माह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। योजना का करीब 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है।