मार्केट रिसर्च फर्म TrendForce का कहना है कि अमेरिका में इंटरेस्ट रेट बढ़ने से कंज्यूमर्स के खर्च में कमी हो सकती है। इसका असर अगले वर्ष की पहली तिमाही में आईफोन की डिमांड पर पड़ने की आशंका है। इससे आईफोन का प्रोडक्शन वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 14 प्रतिशत कम हो सकता है। Apple ने इस बारे में Reuters की ओर से भेजे प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया है। एनालिस्ट्स ने इससे पहले कहा था कि iPhone 14 के Pro और Pro Max मॉडल्स की तेजी से बिक्री हो रही है, जबकि इस सीरीज के बेस मॉडल की डिमांड कम है। आमतौर पर एपल को नई आईफोन सीरीज के बेस मॉडल के लिए अधिक डिमांड मिलती है।
TrendForce का अनुमान है कि अगले वर्ष एपल का भारत से प्रोडक्शन बढ़कर पांच प्रतिशत से अधिक हो सकता है। Apple ने अपनी नई iPhone 14 सीरीज के कुछ मॉडल्स की भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने की पिछले महीने घोषणा की थी। इसे चीन में मैन्युफैक्चरिंग को कम करने की कंपनी की योजना के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण बहुत सी अमेरिकी कंपनियां चीन में बिजनेस को लेकर अपनी स्ट्रैटेजी बदल रही हैं।
Apple के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग करने वाली Foxconn के चेन्नई के निकट प्लांट में भारतीय मार्केट के लिए iPhone 14 सीरीज के स्मार्टफोन्स की असेंबलिंग शुरू हो गई है। पिछले सप्ताह रिपोर्ट आई थी कि Apple ने पहली बार AirPods और Beats हेडफोन का कुछ प्रोडक्शन भी भारत में करने का फैसला किया है। भारत में बने iPhone का Apple मुख्यतौर पर यूरोप और मिडल ईस्ट को एक्सपोर्ट करती है। पिछले फाइनेंशियल ईयर में कंपनी ने लगभग 1.3 अरब डॉलर के स्मार्टफोन्स का भारत से एक्सपोर्ट किया था। कंपनी की योजना भारत में ग्लोबल iPhone असेंबली बिजनेस के लिए टाटा ग्रुप के साथ पार्टनरशिप करने की है। इस योजना में ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग फर्में Pegatron या Wistron भी शामिल हो सकती हैं।
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