व्लादिमीर पुतिन का ‘अपहरण’ करना चाहते हैं अरुणोदय सिंह, कहा- ओटीटी ने मुझे सेल्‍फ कॉन्‍फ‍िडेंस दिया है


बॉलिवुड ऐक्‍टर अरुणोदय सिंह (Arunoday Singh) ने साल 2009 में ऐक्‍ट‍िंग डेब्‍यू किया। इंडस्‍ट्री में एक दशक से अध‍िक वक्‍त बिता चुके अरुणोदय सिंह अब तक बड़े पर्दे पर सेकंड लीड या फिर कैमियो तक ही सीमित रह गए। जबकि ओटीटी पर उन्‍होंने एक के बाद एक दमदार किरदार निभाकर सभी को हैरान कर दिया है। लंबी कद-काठी वाले अरुणोदय सिंह को हम सभी ने पिछली बार ‘ये काली काली आंखें’ में देखा था, वहीं अब वह ‘अपहरण 2’ (Apaharan 2) में एक बार फिर दमदार अंदाज में नजर आ रहे हैं। इस वेब सीरीज में अरुणोदय रुद्र श्रीवास्तव के किरदार में हैं। ऐक्शन और इमोशन के साथ-साथ पर्दे पर अरुणोदय गालियों की बौछार भी कर रहे हैं। ‘नवभारत टाइम्‍स’ से खास बातचीत में अरुणोदय ने न सिर्फ इस वेब सीरीज के बारे में बात की है, बल्‍कि अपने करियर ग्राफ में आए उतार-चढ़ाव पर भी चुप्‍पी तोड़ी है। अरुणोदय कहते हैं कि ओटीटी प्‍लेटफॉर्म ने उनके अंदर कॉन्‍फ‍िडेंस बढ़ाया है। इंटरव्‍यू के दौरान एक मजेदार सवाल का जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा कि यदि असल जिंदगी में उन्‍हें किसी का अपहरण करने का मौका मिला तो वह रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को किडनैप करना चाहेंगे। जाहिर तौर पर उनका यह जवाब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण है।

ओटीटी पर आप काफी मजबूत किरदारों में नजर आ रहे हैं। क्या ये कहना सही होगा कि अब जाकर ओटीटी ने आपको अपनी सही प्रतिभा दिखाने का मौका दिया है?
आपने बिल्कुल सही कहा। ओटीटी की वजह से मुझे ज्यादा लंबे किरदार मिल रहे हैं। ज्यादा काम करने को मिल रहा है। वे साइड रोल या कैमियो, जो बॉलिवुड में चलता है, वह अपनी जगह ठीक है लेकिन ओटीटी पर मुझे लीड और ऑथर बैक्ड (मजबूत लिखे हुए) किरदार निभाने का मौका मिला और यह देखने के मौका मिला कि मैं वे रोल कर पाऊंगा या नहीं। यह जानना हर ऐक्टर के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि आपको लगता है कि आप भी ये कर सकते हैं, वो कर सकते हैं पर कहीं न कहीं आप ये भी जानते हैं कि अभी ये साबित नहीं हुआ है कि आप एक सोलो प्रोजेक्ट हैंडल कर पाओगे या नहीं। ओटीटी ने मुझे यह आत्मविश्वास दिया, जिसके लिए मैं खुद को लकी मानता हूं।

क्या इंडस्ट्री का नजरिया भी अब आपको लेकर बदला है?
मैं चाहता तो हूं कि बदला हो, लेकिन मैं जानता नहीं हूं कि ऐसा हुआ है या नहीं।

आपको इंडस्ट्री में करीब एक दशक हो गए। अपने इस 10 साल के करियर को कैसे देखते हैं?
मैडम, उसके लिए अगर एक किताब लिखूं वो भी कम पड़ेगी। इसका जवाब बहुत लंबा है, लेकिन जब मैं अपने दस साल के करियर को देखता हूं तो मैं मानता हूं कि मैं बहुत लकी हूं कि अभी तक जो भी काम कर पाया हूं, उसकी वजह से मुझे अभी भी काम मिल रहा है और मैं कोशिश करूंगा कि और बेहतर कर पाऊं। बाकी, जो सीखा या नहीं सीखा वो सब किताब में आएगा। एक दिन मैं अपनी आत्मकथा लिखूंगा, ये सब वहां पर आएगा।

लेकिन जब आपको ये मन मुताबिक काम नहीं मिल रहा था, उस निराशा के दौर का कैसे सामना किया? आप राजनीतिक परिवार से हैं, तो कभी किसी प्लान बी का ख्याल आया?
मुझे हमेशा से सिखाया गया है कि अभी तुम्हें जो काम मिला है, वही काम अभी तुम्हारे लिए है, तो उसे ही पूरी मेहनत और ईमानदारी से करना पड़ेगा। अगर आप रुके रहें कि जब कोई परफेक्ट काम आएगा, तब दिखाऊंगा, मेहनत करूंगा और अभी जो काम आपके प्लेट पर है, उसमें आप उतनी मेहनत नहीं करते, तो वो परफेक्ट काम आपको कभी नहीं मिलने वाला। हर इंसान सोचता है कि मैं इससे भी बेहतर काम के लायक हूं, वह सही है, लेकिन अभी जो काम आपको मिल रहा है, आपको उस पर भी उतनी ही मेहनत करना पड़ती है।

बॉक्स: सीरीज में रुद्र के किरदार में आपको खास बात क्या लगती है? और अपहरण 2 में दूसरी बार उसे याद करने में वक्त लगा?
रुद्र की खासियत मुझे ये लगती है कि मुश्किल हालातों में रहते हुए भी उसमें अपनी पत्नी के लिए इतना प्यार है। उसकी जिंदगी इतनी मुश्किल है, वह इतना नाराज रहता है, फिर भी अपनी पत्नी को इतना प्यार करता है। रुद्र अच्छा आदमी है, पर किस्मत उसको लात मारती रहती है। बाकी, इतने वक्त बाद दोबारा किरदार करने के लिए खुद को याद दिलाना पड़ता है कि वह कैसा है, पर वह याद करना आसान है। मुश्किल काम उसे निभाना होता है। फिर, इस बार चैलेंज भी ज्यादा था क्योंकि कहानी ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है। स्टंट भी बहुत ज्यादा थे। पहले सीजन के मुकाबले ज्यादा ऐक्शन था, जिसे करते-करते धज्जियां उड़ जाती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि वेब सीरीज में कई बार गालियों या इंटीमेट सीन्स आदि का बेवजह इस्तेमाल होता है। इसमें भी गालियां खूब हैं। आप इस बात से कितने सहमत या असहमत हैं?
मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं इसके बारे में सोचता ही नहीं, मैं अपनी खुद की जिंदगी में इतनी गालियां देता हूं। जितने लोग मैं जानता हूं वे हंसी-मजाक में बहुत गाली देते हैं। जब आदमी के साथ कांड होता है, विषम परिस्थिति है, तो ज्यादा गुस्सा, डिप्रेशन में सब गालियां देते हैं तो मुझे समझ में नहीं आता कि इसमें इतना अलग या खास क्या है। लोग ऐसे बात करते हैं।

असल जिंदगी में आप किसका अपहरण करना चाहेंगे?
व्लादिमीर पुतिन (रूसी राष्ट्रपति) का।

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