Bhojpuri: फिल्मी सुग्गा- मजदूरन के जीवन-संघर्ष के खूब देखावल गइल बा हिंदी फिल्मन में


मजदूरन के कुंडली में शोषण शब्द अइसे टाँका जाला जइसे कि ओकरा ऊपर जिनगी भर राहू के महादशा चलत होखे. ऊ शोषित होत रहेला, काहें कि उ कमजोर होला, मजबूर होला. बाकिर जइसही ओकरे गोला से केहू हिम्मती निकल जाला त ऊ संगठित हो जाला. लकड़िया लेखां जब बहुसंख्यक हो जाला त ओकरा के तूरे वाला के हौंसला टूट जाला. ओह हिम्मती के लोग कई नाम से बोलवेला ओहमें से प्रचलित उपाधि बा मजदूर नेता.

हर साल 1 मई के मजदूर दिवस मनावल जाला. अभियो मजदूर आ मजदूर दिवस पर चर्चा चलते बा त आज मजदूरन के लड़ाई पर बनल फिल्मन के चर्चा होई, साथे ओह लड़ाई के नेतृत्व करे वाला मजदूर नेता लोग के भी बात कइल जाई.

मजदूरन के त्रासदी पर भारत में फिल्मन के शुरुआत से ही फिल्म बन रहल बा. ओह में जवन एगो बड़ फिल्म के रूप में जानल जाला ओकर नाम ह ‘नया दौर’

नया दौर – दिलीप कुमार आ वैजयंतीमाला के फिल्म ‘नया दौर’ 1957 में आइल रहे. ई फिल्म के निर्माता बी आर चोपड़ा रहलें. इहे फिल्म रहे जेकरा शूटिंग से पहिले दिलीप कुमार आ मधुबाला के प्रेम सबंध से कबो ना खतम होखे वाला दूरी हो गइल. ई फिल्म के लेके कानूनी विवाद भी भइल आ मधुबाला फिल्म छोड़ देहली. एह फिल्म के कहानी दू गो दोस्त के रहे जवन बाद में मजदूर आ मालिक के हो गइल. मजदूर जब दिलीप कुमार के किरदार शंकर के अगुआई में ठनले सन त जीत हासिल करके मनलsसन. ई फिल्म ओ दशक के दुसरा सबसे अधिक कमाई करे वाला फिल्म भइल आ एकरा के छोट शहर अउरी कस्बा के दर्शक खूब पसंद कइलें.

मजदूर – दिलीप कुमार आ बी आर चोपड़ा फेर साथे आइल लोग फिल्म ‘मजदूर’ लेके. एह फिल्म के कहानी रहे एगो मिल मालिक के जवन मुनाफा बढ़ावे खातिर मजदूरन के भविष्य खतरा में डाल देत बा. एकरा खिलाफ जब मजदूर नेता यानि दिलीप कुमार मीटिंग में खिलाफत करत बाड़ें त उ खिसिया जात बा अउरी माफी मांगे के कहत बा. मजदूर नेता एगो इंजीनियर के लेके अउरी अपना साथी मजदूर के साथे आपन मिल खड़ा कर देत बाड़ें अउरी देखते-देखत प्रतिष्ठित मिल मालिक बन जात बाड़ें. ओकरा बाद दुनू मालिक लोग में संघर्ष होत बा. इहे फिल्म के कहानी बा लेकिन एहमें बहुत दिलचस्प ट्विस्ट बाटे.

नमक हराम – बंबई के कपड़ा मिल में मजदूरन के खराब हालत अउरी मिल मालिक के मनमाना के केंद्र में रख के फिल्म बनल बा नमक हराम. राजेश खन्ना अउरी अमिताभ बच्चन के मुख्य भूमिका वाला ई फिल्म हिन्दी फिल्म जगत के काफी सफल फिल्म मानल जाले. ऋषिकेश मुखर्जी आनंद के बाद एह फिल्म में दुनू जाना के साथे कास्ट कइले रहलें. एह फिल्म के कहानी रहे एगो युवक के जवन यूनियन लीडर से बदला लेबे खातिर मिल में जात बा आ मजदूर फेर यूनियन लीडर बन जात बा. जब उ मजदूरन के हालत देखत बा त बहुत प्रभावित होत बा अउरी आपन उद्देश्य बदल देत बा. फिल्म के कहानी एही के इर्द गिर्द गढ़ल बा.

कूली – अमिताभ बच्चन के फिल्म जवन काफी प्रसिद्ध भी भइल अउरी एकरा एगो फाइट सीन में उ मरला से बचलें. फिल्म कूली बिगबी के करियर के बड़ फिल्म मानल जाला. एह फिल्म के कहानी कूलियन के दुर्दशा अउरी ओकनी के हक के लड़ाई लड़े वाला एगो युवा के रहे जवन राजनीति पसंद नइखे करत बाकिर ओकरा राजनीतिक दांव पेंच में फंस जाए के पड़त बा. ई फिल्म त अधिकांश लोग देखले होई बाकिर एकरा के फेर से भी देखल जा सकेला.

लाडला – अनिल कपूर अउरी श्रीदेवी के फिल्म लाडला भी काफी सफल फिल्म मानल जाला. ई फिल्म अक्सर टीवी पर आवेला. मिल के मालिकाना हक जब युवती शीतल के हाथ में आवत बा त फैक्ट्री के यूनियन लीडर राजू के उ होश ठिकाने लगावे के कोशिश करत बाड़ी. जब उनके नाकामी हाथ लागत बा त उ राजू से बियाह कर लेत बाड़ी अउरी घर जमाई बना के ओकरा के साजे चाहत बाड़ी. बाकिर घटनाक्रम अइसन बदलत बा कि खुदे सजा जात बाड़ी. ई फिल्म भी देखे वाला बा.

केजीएफ 1 – हाल ही में रिलीज भइल केजीएफ के पहिला फिल्म चैप्टर 1 अपना कहानी अउरी फिल्मांकन के हिसाब से दुसरका फिल्म के कई गुना बेहतर फिल्म रहे. ओ फिल्म में कहानी रहे, मजदूरन के त्रासदी के सटीक चित्रांकन रहे, फेर ओकनी के आशा बनके आवे वाला एगो मसीहा के उठान के कहानी रहे. ओ फिल्म में बेवजह के स्वैग आ भर भर के स्लो मो शॉट के एतना तड़का ना रहे जेतना दुसरका में बा. उ फिल्म भी मजदूरन के व्यथा कथा के विस्तार से देखावे वाला साबित भइल.

ई त भइल फिल्मन के बात, आईं कुछ असल जिंदगी के नामचीन मजदूर नेता लोग के बारे में जानल जाए.

दत्ता सामंत महाराष्ट्र के बड़ मजदूर नेता रहलें. उनके कद अइसन रहे कि जब मिल मालिक लोग उनका घरे जाके मजदूरन के मांग पर आपन सहमति Y आवे लोग.

दत्तोपंत ठेंगड़ी आरएसएस के सदस्य रहलें अउरी साथे भारतीय मजदूर संघ के भी संस्थापक रहलें. उ मजदूरन के हक के जब बात आवे त अपनो पार्टी के सरकार के विरुद्ध खड़ा हो जास.

जार्ज फर्नांडीस एगो बड़ मजदूर नेता रहलें. उनके समर्थन के अंदाजा एही बात से लगा सकीलें कि उनका एक आह्वान पर 1974 में 15 लाख रेल कर्मचारी हड़ताल पर चल गइल रहलें.

बिड़ला के हिंडाल्को के मजदूर नेता रामदेव सिंह भी अइसने नेता रहलें जेकरा एक आवाज पर 1966 में हिंडाल्को के चिमनी के धुंआ बंद हो गइल, जे 14 साल कंपनी से बाहर रहके मजदूरन के हक खातिर लड़लें आ जीतलें अउर जे जार्ज फर्नांडीज लेखां आजीवन समाजवादी बनल रहलें. हाल ही में 14 अप्रैल 2022 के रामदेव बाबू के निधन हो गइल.

(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य व सिनेमा के जानकार हैं. )

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