बड़ी उपलब्धि: मेरठ के शीशराम ने जीता पीएम मोदी का दिल, दिलचस्प है सेना के टैंक ठीक करने से पद्मश्री तक का सफर, तस्वीरें


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुश्कृताम धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे। राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से नवाजे जाते समय मेरठ के शीशराम ने यह श्लोक सुनाया तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी अभिवादन किया। चालीस वर्ष तक सेना में सेवाएं दे चुके शीशराम यह बताते हुए भावुक हो जाते हैं। वह कहते हैं, हमेशा कर्म को पूजा और सेना के टैंक ठीक करते-करते हाथ में कूची संभाले रखी। दुनिया के कैनवास पर रास्ते खुलते चले गए। 

देशभक्ति और पेंटिंग के जुनून से भरे पद्मश्री शीशराम का मेरठ लौटने पर बुधवार को भी उनके चाहने वालों ने भव्य स्वागत किया। उनके घर मिलने वालों का तांता लगा है। सेना में सेवा के दौरान वह फौजी गाड़ियों के इंजन, टैंकों और अन्य हथियारों के चित्र बनाते थे। यही शौक जुनून बन गया और बड़े चित्रकार बन गए। सात हजार चमकीले पत्थरों से इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के सामने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ तीनों सेनाध्यक्षों को सलामी देते हुए बनाई गई उनकी कलाकृति देश भर में छा गई। यह कलाकृति अंधेरे में भी चमकती है। कारगिल युद्ध पर उनके बनाए चित्र भी बहुत पसंद किए गए।

पिता मेरठ कॉलेज में थे कर्मचारी

शीशराम के पिता मेरठ कॉलेज में कर्मचारी थे। गढ़ रोड स्थित सीताभारती स्कूल से उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई की। सेवाराम ने आर्ट स्कूल और चमन स्कूल ऑफ आर्ट में कला की ट्रेनिंग भी ली। 

2016 में गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम  

वर्ष 2016 में पद्मश्री शीशराम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। वर्ष 2008 में ताज होटल पर आंतकियों से मुकाबला करते शहीद हुए जवानों को भी शीशराम ने चित्रों के माध्यम से सलाम किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर उनके ही अंगरक्षक द्वारा हमले को भी उन्होंने चित्रों में उकेरा है। 2001 में संसद पर हमले की भी उन्होंने पेंटिंग बनाई है।

पीएम मोदी के दुबई दौरे की बनाई आकर्षक तस्वीर

दुबई में भी अपनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी से लगा चुके शीशराम ने पीएम मोदी के दुबई दौरे की भी आकर्षक तस्वीर बनाई थी। दुनिया भर में उनके चित्रों की 40 से अधिक प्रदर्शनी लग चुकी हैं।

सेना से परिवार का गहरा नाता 

शीशराम वर्ष 2007 में सेना की कोर ऑफ ईएमई से अंबाला स्थित 65 इंजीनियर रेजीमेंट से सेवानिवृत्त हुए। वह सेना में टैंक ठीक करते थे। उनकी बेटी भी सेना के 510 बेस आर्मी वर्कशॉप में ड्राफ्ट्समैन और दामाद सतवीर सिंह सेना के सेवानिवृत्त हवलदार हैं। एक बेटा भी प्रिंटिंग का कार्य करता है, जबकि दूसरे बेटे की पांच वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। 



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