नई दिल्ली. बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को बड़ी राहत दी है. इस कदम से निवेशकों का पैसा अब नहीं डूबेगा. दरअसल, सेबी ने निवेशकों की हितों की सुरक्षा को बढ़ाते हुए म्यूचुअल फंड नियमों को सख्त कर दिया है. इसके तहत अब म्यूचुअल फंड कंपनियां अपनी मर्जी से किसी भी योजना को बंद नहीं पाएंगी.
किसी भी योजना को बंद करने के लिए म्यूचुअल फंड कंपनियों को यूनिटधारकों यानी निवेशकों की मंजूरी लेनी होगी. नए नियमों के मुताबिक, अगर म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी बहुमत से किसी योजना को बंद करने या समय से पहले रिडीम करने का फैसला करते हैं तो उन्हें म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों की सहमति लेनी होगी.
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एक वोट के आधार पर फैसला
नए नियमों के मुताबिक, ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति हासिल करनी होगी. जब ट्रस्टीज किसी योजना को बंद करने का फैसला लेते हैं तो एक दिन के भीतर नियामक को इसकी जानकारी देंगे. इसमें योजना को बंद करने की वजह बतानी होगी. इसके बाद यूनिटधारकों से वोटिंग कराई जाएगी औऱ फिर नोटिस के प्रकाशन के 45 दिनों के भीतर इसके नतीजों की घोषणा करनी होगी. अगर ट्रस्टी यूनिटधारकों की सहमति हासिल करने में सफल नहीं होते हैं तो वोटिंग रिजल्ट सामने आने के अगले ही दिन से वह योजना फिर कारोबारी गतिविधियों के लिए खुल जाएगी.
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फ्रैंकलिन टेम्पल्टन मामले में आदेश के बाद फैसला
सेबी का यह फैसला जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आया है. शीर्ष कोर्ट ने फ्रैंकलिन टेम्प्लटन म्यूचुअल फंड की छह डेट स्कीम को बंद किए जाने से जुड़ी एक याचिका पर एक फैसला सुनाया था. फंड हाउस ने 23 अप्रैल 2020 को छह डेट म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद कर दिया था. इसके लिए रिडंप्शन के दबाव और बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी की कमी को वजह बताया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी योजना को बंद करने से पहले ट्रस्टीज को म्यूचुअल फंड स्कीम के निवेशकों का बहुमत पाना होगा.
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