बड़ा झटका: 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजी गईं पूर्व एनएसई सीईओ चित्रा रामकृष्ण, यहां जानें क्या है पूरा मामला


बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 14 Mar 2022 03:57 PM IST

सार

एनएसई को-लोकेशन मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पहले उन्हें सात दिन की सीबीआई रिमांड में भेजा गया था और अब हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें एक बार फिर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश सुनाया गया है। 

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एनएसई को-लोकेशन मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को बड़ा झटका दिया। अदालत ने उन्हें और 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इससे पहले चित्रा को सात दिन की रिमांड पर भेजा गया था। 

सात दिन की रिमांड पर थीं चित्रा
अदालत ने एनएसई को-लोकेशन मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया, जिसमें चित्रा रामकृष्ण द्वारा एक कथित ‘रहस्यमयी योगी’ के इशारे पर एक्सचेंज को चलाने का मामला सामने आया था। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 मार्च की तारीख निर्धारित की है। दरअसल, चित्रा की सात दिन की हिरासत अवधि खत्म होने पर मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सोमवार को उन्हें कोर्ट के सामने पेश कर उनकी हिरासत अवधि को और बढ़ाने की मांग की थी। 

चित्रा पर लगे हैं गंभीर आरोप
चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ थी। गौरतलब है कि चित्रा पर हिमालयन योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। इस संबंध में बीते दिनों सीबीआई ने एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) आनंद सुब्रमण्यम को चेन्नई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था और दावा किया था कि वही हिमालयन योगी हैं। आनंद सुब्रमण्यम पर आरोप है कि वह एनएसई के कामकाज में दखल देते थे। इसके साथ ही वह एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दिया करते थे और वह उनके इशारे पर काम किया करती थीं। 

क्या है को-लोकेशन स्कैम?
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

विस्तार

एनएसई को-लोकेशन मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को बड़ा झटका दिया। अदालत ने उन्हें और 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इससे पहले चित्रा को सात दिन की रिमांड पर भेजा गया था। 

सात दिन की रिमांड पर थीं चित्रा

अदालत ने एनएसई को-लोकेशन मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया, जिसमें चित्रा रामकृष्ण द्वारा एक कथित ‘रहस्यमयी योगी’ के इशारे पर एक्सचेंज को चलाने का मामला सामने आया था। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 मार्च की तारीख निर्धारित की है। दरअसल, चित्रा की सात दिन की हिरासत अवधि खत्म होने पर मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सोमवार को उन्हें कोर्ट के सामने पेश कर उनकी हिरासत अवधि को और बढ़ाने की मांग की थी। 

चित्रा पर लगे हैं गंभीर आरोप

चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ थी। गौरतलब है कि चित्रा पर हिमालयन योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। इस संबंध में बीते दिनों सीबीआई ने एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) आनंद सुब्रमण्यम को चेन्नई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था और दावा किया था कि वही हिमालयन योगी हैं। आनंद सुब्रमण्यम पर आरोप है कि वह एनएसई के कामकाज में दखल देते थे। इसके साथ ही वह एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दिया करते थे और वह उनके इशारे पर काम किया करती थीं। 

क्या है को-लोकेशन स्कैम?

शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।



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