स्टारलाइनर कैप्सूल ने 19 मई की शाम ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस’ के एटलस वी रॉकेट पर उड़ान भरी थी। करीब 24 घंटे के बाद उसने आईएसएस पर डॉक किया था, जो बोइंग के लिए एक बड़ी कामयाबी थी। इससे पहले दो बार बोइंग को इस मिशन को टालना पड़ा था। पहली बार, साल 2019 में सॉफ्टवेयर फेल होने से लॉन्च नहीं हो सका था। वहीं, पिछले साल बोइंग और उसकी सहयोगी एयरोजेट के बीच स्टारलाइनर के प्रोपल्शन सिस्टम को लेकर टकराव हुआ था। इस वजह से जुलाई 2021 की टेस्ट फ्लाइट को भी कैंसल करना पड़ा था।
जानकारी के अनुसार, मिशन को पूरा करने के बाद बोइंग का स्टारलाइनर कैप्सूल आईएसएस से अनडॉक हो गया। स्थानीय समय के अनुसार वह दोपहर 2:36 बजे अनडॉक हुआ। शाम करीब 6:33 बजे इसने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। शाम 6:44 बजे जब यह धरती से सिर्फ 9 किलोमीटर ऊपर था, इसने अपनी हीट शील्ड को बंद कर दिया और दो पैराशूट की मदद से स्पीड को कम किया। आखिरकार इसने सफलता के साथ लैंडिंग को पूरा कर लिया। मौसम को देखते हुए नासा और बोइंग ने लैंडिंग के लिए 4 जगहों को चुना था। इनमें से न्यू मैक्सिको में अमेरिकी सेना की वाइट सैंड्स मिसाइल रेंज (WSRM) के वाइट सैंड्स स्पेस हार्बर में लैंडिंग हुई। वहां के मौसम में कोई गड़बड़ी होती, तो एरिजोना, यूटा और कैलिफोर्निया को भी ऑप्शन के तौर पर रखा गया था।
स्टारलाइन मिशन सफल तो हो गया है, पर मिशन लॉन्च होने के दौरान एक गड़बड़ी सामने आई थी। Starliner के दो थ्रस्टर बर्न के दौरान फेल हो गए थे। तब बैकअप थ्रस्टर ने मिशन को आगे बढ़ाया। मिशन से जुड़ी टीम ने कहा था कि इसका बाकी मिशन पर कोई असर नहीं होगा। थ्रस्टर क्यों और कैसे फेल हुए, इसकी जांच आने वाले दिनों में की जाएगी।
बहरहाल, इस मिशन में देरी से बोइंग पर 4,622 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा कॉस्ट आई है। मिशन के जरिए बोइंग अपनी प्रतिद्वंद्वी स्पेसएक्स को सीधी चुनौती देना चाहती है, जो यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा रही है। बोइंग भी इस क्षेत्र में एक ऑप्शन बनना चाहती है, हालांकि इसके लिए उसे अभी नासा के अप्रूवल का इंतजार करना होगा।
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