अंतरिक्ष में Boeing की पहली उड़ान, गड़बड़ी के बावजूद स्‍टारलाइनर स्‍पेसक्राफ्ट लॉन्‍च


तीन साल की देरी के बाद आखिरकार बोइंग (Boeing) का स्‍टारलाइनर (Starliner) स्‍पेसक्राफ्ट लॉन्‍च हो गया है। यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (ULA) के एटलस V रॉकेट पर इस स्‍पेसक्राफ्ट को भारतीय समय के मुताबिक तड़के करीब साढ़े 4 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया। यह इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) के रास्‍ते पर है। सब कुछ योजना के मुताबिक होता है तो Starliner शुक्रवार शाम को ISS के साथ डॉक करेगा। यह करीब चार से पांच दिन वहां रहेगा। इस मिशन के जरिए बोइंग यह बताना चाहती है कि उसका स्‍पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार है। 

अमेरिकी एयरोस्‍पेस की दौड़ में कई प्राइवेट कंपनियां मुकाबला कर रही हैं। इनमें बोइंग भी शामिल है, जो एक मानव रहित अंतरिक्ष यात्री कैप्सूल की टेस्टिंग करके स्‍पेस सेक्‍टर में अपनी प्रतिष्‍ठा को बेहतर बनाना चाहती है। यह लॉन्‍च काफी वक्‍त से पेंडिंग था, जिसका फायदा एलन मस्‍क के स्‍पेस वेंचर स्‍पेसएक्‍स को हुआ है। 

रिपोर्ट के अनुसार, बोइंग और नासा के लिए यह लॉन्‍च बड़ी कामयाबी है। एटलस वी रॉकेट से अलग होने के बाद स्टारलाइनर ने खुद को ऑर्बिट में स्थापित कर लिया। इससे पहले दो बार इस लॉन्‍च को टालना पड़ा था। पहली बार, साल 2019 में सॉफ्टवेयर फेल होने से लॉन्‍च नहीं हो सका था। वहीं, पिछले साल बोइंग और उसकी सहयोगी एयरोजेट के बीच स्‍टारलाइनर के प्रोपल्‍शन सिस्‍टम को लेकर टकराव हुआ था। इस वजह से जुलाई 2021 की टेस्‍ट फ्लाइट को भी कैंसल करना पड़ा था। 

यह लिफ्टऑफ, यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (ULA) के लिए मील का पत्थर है। इस रॉकेट कंपनी ने  अपना 150वें लॉन्च पूरा किया है। लॉन्च के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नासा और बोइंग के एक्‍सपर्ट ने अपनी टीमों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी। नासा के कमर्शल क्रू प्रोग्राम के मैनेजर स्टीव स्टिच ने कहा कि आज का दिन बहुत बड़ा था। हालांकि उन्होंने स्टारलाइनर की एक छोटी सी खराबी का भी उल्लेख किया। बताया कि स्पेसक्राफ्ट के ऑर्बिटल इंसर्शन बर्न के दौरान स्टारलाइनर के दो थ्रस्टर्स में उम्मीद के मुताबिक आग नहीं लगी। हालांकि बैकअप सिस्‍टम की वजह से बर्न का प्रोसेस पूरा हो गया। 

अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो स्टारलाइनर आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रियों के अपने पहले दल को उड़ा सकता है। हालांकि नासा के अधिकारियों ने कहा है कि इसमें देर हो सकती है। इस मिशन में देरी से बोइंग पर 4,622 करोड़ रुपये की एक्‍स्‍ट्रा कॉस्‍ट आई है। मिशन के जरिए बोइंग अपनी प्रतिद्वंद्वी स्पेसएक्स को सीधी चुनौती देना चाहती है। हालांकि अभी वह इस दौड़ में पीछे दिखाई दे रही है।
 

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