नासा ने जनवरी 2031 में ISS को ‘डीऑर्बिट’ करने और प्रशांत महासागर में क्रैश करने की योजना बनाई है। इससे पहले वह अंतरिक्ष स्टेशन पर रिसर्च और टेक्नॉलजी डेवलपमेंट के एक दशक के रिजल्ट का इतंजार कर रही है। एक रिपोर्ट में नासा ने कहा है कि वह कर्मशल एक्टिविटीज के सफल ट्रांजिशन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है।
ISS के पहले कॉम्पोनेंट को 1998 में लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष स्टेशन दो दशकों से अधिक समय से ऑर्बिट में है।
नासा में ISS के डायरेक्टर रोबिन गैटेंस (Robyn Gatens) ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन अपने तीसरे और सबसे अधिक प्रोडक्टिव दशक में एंट्री कर रहा है। यह दशक डीप स्पेस एक्स्प्लोरेशन को सपोर्ट करने के लिए हमारी ग्लोबल पार्टनरशिप का निर्माण करेगा साथ ही लो-अर्थ ऑर्बिट में कर्मशल फ्यूचर के लिए जमीन तैयार करेगा।
नासा ने इसके लिए ग्राउंडवर्क शुरू भी कर दिया है। दिसंबर 2021 में एक प्रेस रिलीज में नासा ने कहा था कि उसने पृथ्वी की कक्षा में प्राइवेट स्पेस स्टेशनों के निर्माण का नेतृत्व करने के लिए तीन कंपनियों- ब्लू ओरिजिन (Blue Origin), नैनोरैक्स (Nanoracks) और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन (Northrop Grumman) को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। ह्यूस्टन बेस्ड कंपनी Axiom Space भी ISS के लिए कई मॉड्यूल बना रही है।
नासा के हेडक्वॉर्टर में कर्मशल स्पेस के डायरेक्टर फिल मैकएलिस्टर ने कहा कि नासा की मदद के जरिए प्राइवेट सेक्टर कमर्शल लो-अर्थ ऑर्बिट डेस्टिनेशंस को डेवलप और ऑपरेट करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हालिया रिपोर्ट साल 2030 में ISS के रिटायरमेंट के बाद कमर्शल डेस्टिनेशंस के लिए एक स्मूद ट्रांजिशन सुनिश्चित करने के प्लान के बारे में बताती है।
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