Biopic Box Office Report: बायोपिक फिल्मों से दर्शकों का मोहभंग, पांच साल की 27 फिल्मों में सिर्फ ये दो ही हिट


दुनिया भर में फिल्मों की कमाई के बीते पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि दर्शकों को बायोपिक सिनेमा में दिलचस्पी लगातार कम होती जा रही है। दूसरों की कामयाबी की कहानियां लोग ओटीटी पर भले चाव से देख लेते हों, लेकिन इन फिल्मों को देखने के लिए सिनेमाघरों तक जाने का जतन अब कम ही दर्शक कर रहे हैं। हिंदी सिनेमा में भी बीते पांच साल में दो दर्जन से अधिक फिल्में ऐसी बनी हैं जो किसी न किसी शख्सियत की गाथा कहती हैं, लेकिन इन सारी फिल्मों में अब तक सिर्फ पांच फिल्मों बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा पार कर सकी हैं। इनमें से भी फिल्म को बनाने की लागत के हिसाब से हिट फिल्मों का तमगा सिर्फ दो को ही मिल सका है। इस साल इस श्रेणी के तहत रिलीज हुई एक भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं हो पाई।

 

पांच साल पहले का पहला संकेत

दुनिया भर में बायोपिक सिनेमा की मची धूम का असर हिंदी सिनेमा पर बीते पांच साल में काफी दिलचस्प रहा है। हालांकि साल 2017 में बायोपिक सिनेमा के तहत रिलीज हुई फिल्में रहीं, ‘पूर्णा’, ‘इंदु सरकार’, ‘डैडी’ और ‘हसीना पारकर’। ‘डैडी’ और ‘हसीना पारकर’ की नाकामी ने अंडरवर्ल्ड की कहानियों से हिंदी सिनेमा का मोहभंग किया तो इंदिरा गांधी की कथित कहानी पर बनी फिल्म ‘इंदु सरकार’ की विफलता ने इसके निर्देशक मधुर भंडारकर को करारा झटका दिया। फिल्म ‘पूर्णा’ पहला संकेत थी कि हिंदी सिनेमा के लोगों की रुचि स्पोर्ट्स या एडवेंचर आधारित फिल्मों में नहीं के बराबर है। इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 10 करोड़ रुपये की कमाई भी नहीं कर सकी।

‘संजू’ सबसे बड़ी हिट बायोपिक

साल 2018 बायोपिक सिनेमा के लिए बीते पांच साल का सबसे बेहतरीन साल रहा। इस साल संजय दत्त की रणबीर कपूर स्टारर बायोपिक ‘संजू’ ने बॉक्स ऑफिस पर 342.53 करोड़ रुपये की कमाई करने एक नया रिकॉर्ड बनाया। इसी साल आलिया भट्ट की फिल्म ‘राजी’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर 123.84 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की। इसी साल अक्षय कुमार की फिल्म ‘गोल्ड’ ने भी 104.72 करोड़ रुपये की कमाई की थी, लेकिन फिल्म की लागत के हिसाब से फिल्म औसत रूप से ही कामयाब मानी गई। अक्षय कुमार की ही एक और फिल्म ‘पैडमैन’ तो बॉक्स ऑफिस पर इतना भी नहीं कमा पाई और सिर्फ 81.82 करोड़ रुपये कमाकर हांफ गई। तापसी पन्नू की इसी साल फिल्म ‘सूरमा’ से बायोपिक सिनेमा में एंट्री हुई, लेकिन इस फिल्म की कुल कमाई बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 32.42 करोड़ रुपये रही।

सियासी फिल्मों को दर्शकों ने नकारा

कोरोना संक्रमण काल के ठीक पहले के साल यानी 2019 में हिंदी सिनेमा में बायोपिक की लाइन लगी रही। लेकिन, इस साल की तीन फिल्मों ने सियासी किरदारों पर बनी बायोपिक की कामयाबी को लेकर साफ संकेत भी दिए। 2017 में ‘इंदु सरकार’ की विफलता के बाद इस साल ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’, ‘ठाकरे’ और ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ में से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। बिहार में गरीब छात्रों के लिए कोचिंग सेंटर चलाने वाले आनंद कुमार की बायोपिक ‘सुपर 30’ साल की एकमात्र सफल बायोपिक रही। इसने टिकट खिड़की पर 146.94 करोड़ रुपये की कमाई की। झांसी की रानी पर बनी बायोपिक ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ ने भी 92.19 करोड़ रुपये कमाए लेकिन फिल्म के बजट के हिसाब से ये फिल्म मुनाफे का सौदा नहीं रही। ‘गुमनामी’, ‘सांड़ की आंख’ और ‘पानीपत’ इस साल की अन्य नाकाम बायोपिक फिल्में रहीं।

दीपिका पादुकोण की दमक पड़ी फीकी

साल 2020 में तीन बायोपिक फिल्में ‘छपाक’, ‘गुल मकई’ और ‘शकीला’ रिलीज हुईं। इनमें से फिल्म ‘छपाक’ ने सिर्फ 34.08 करोड़ रुपये की कमाई की। बाकी की दोनों फिल्में बहुभाषी फिल्में रहीं और इनके हिंदी संस्करण बॉक्स ऑफिस पर पचास लाख रुपये मिलकर भी नहीं कमा सके। फिल्म ‘छपाक’ का न चलना बायोपिक सिनेमा का बड़ा संकेत रहा कि फिल्म की सितारा चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, दर्शकों की दिलचस्पी दूसरों के संघर्ष की कहानियों में कम हो चली है।



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