साल 2017 में बिटकनेक्ट (BCC) के ट्रेडिंग प्राइस 463.31 डॉलर के ऑल-टाइम हाई पर पहुंचे थे। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के अनुसार, उसका पीक मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि कीमतों में अगले कुछ महीनों में गिरावट आई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
गुजरात के रहने वाले कुंभानी ने बिटकनेक्ट के ‘उधार प्रोग्राम” के तहत कथित तौर पर निवेशकों से ‘पर्याप्त लाभ और गारंटी रिटर्न पैदा करने’ का वादा किया था। आरोप लगाया गया है कि कुंभानी ने नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को थोड़ा भुगतान किया और स्कीम को जारी रखा। इस तरह एक पोंजी योजना के जरिए अरबों डॉलर की धोखाधड़ी की गई।
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का यह भी कहना है कि कुंभानी और उनके सहयोगियों ने मार्केट में हेरफेर करके बिटकनेक्ट के लिए नकली मार्केट डिमांड बनाई। इससे जो निवेश हासिल हुआ, उसे बिटकनेक्ट के क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के जरिए छुपाया और ट्रांसफर किया गया।
गौरतलब है कि इसी मामले में पिछले साल सितंबर में बिटकनेक्ट के पूर्व प्रमोटर ‘ग्लेन आर्कारो’ को दोषी ठहराया जा चुका है। उन पर बिटकनेक्ट की धोखाधड़ी में शामिल होने के आरोप हैं।
वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने यह भी आरोप लगाया है कि कुंभानी ने फाइनेंशियल क्राइम्स इन्फोर्समेंट नेटवर्क (FinCEN) में रजिस्ट्रेशन नहीं किया और अमेरिकी नियमों का उल्लंघन किया। कुल मिलाकर, कुंभानी पर साजिश करने, कमोडिटी की कीमतों में हेरफेर करने, बिना लाइसेंस वाले मनी ट्रांसमिटिंग बिजनेस के संचालन और इंटरनैशनल मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
फिलहाल इस मामले की जांच FBI क्लीवलैंड फील्ड ऑफिस और IRS क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन (CI) द्वारा की जा रही है। अगर कुंभानी को सभी मामलों में दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें अधिकतम 70 साल की जेल की सजा हो सकती है।