ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की पहली तिमाही के आखिर तक UAE में वर्चुअल असेट्स सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए फेडरल लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह शुरू हो जाएगी। इसका मकसद दुनिया भर के क्रिप्टो दिग्गजों को प्रोत्साहित करना है, जिनमें भारत भी शामिल है।
डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक Binance ने भी UAE में में अपने संभावित हेडक्वॉर्टर के लिए देश के रेगुलेटर्स से बातचीत की है। दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते क्रिप्टो मार्केट्स में से एक UAE मिडिल ईस्ट के देशों में तीसरे नंबर पर है। तुर्की और लेबनान उससे आगे हैं। UAE अब इस सेक्टर का हब बनने के लिए कोशिश कर रहा है। इसी के मद्देनजर, पिछले साल दिसंबर में Binance ने दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर अथॉरिटी (DWTCA) के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत एक इंटरनैशनल वर्चुअल असेट्स इकोसिस्टम स्थापित किया जा रहा है। समझौते के तहत Binance उन शुरुआती क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक है, जो DWTCA के नए क्रिप्टो सेंटर में शामिल होने जा रहे हैं।
इस बीच, सिंगापुर की नजर भी क्रिप्टो एक्सचेंजों पर है। रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर के बैंकों और वित्तीय फर्मों को कंट्रोल करने वाली मॉनेट्री अथॉरिटी क्रिप्टोकरेंसी के लिए ‘मजबूत रेगुलेशंस’ पर काम कर रही है। सिंगापुर ने Binance होल्डिंग्स को भी लुभाने की कोशिश की है। वह चाहता है कि Binance सिंगापुर में अपना बेस स्थापित करे।
इस बीच कुछ बदलाव देखने को भी मिले हैं। Ethereum स्केलिंग प्लेटफॉर्म ‘पॉलीगॉन’ ने अपने ज्यादातर ऑपरेशंस को दुबई और अमेरिका में शिफ्ट कर दिया है। पहले यह मूल रूप से बेंगलुरु में स्थित था। गौरतलब है कि इस महीने की बजट घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकन्स (NFT) से होने वाली आय को 30 फीसदी टैक्स के दायरे में रखा जाएगा। भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच तमाम क्रिप्टो एक्सचेंज UAE और सिंगापुर जैसे देशों में दांव लगाना चाहते हैं, जहां नियम स्पष्ट और आसान हैं।
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