भाजपा ने बदली रणनीति: पंजाब में 25 साल पुराने फार्मूले पर फोकस, इन 23 सीटों पर ध्यान किया केंद्रित


अभिषेक वाजपेयी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sat, 19 Feb 2022 01:49 AM IST

सार

पंजाब में हिंदुओं के गढ़ वाले इलाकों में पठानकोट, दीनानगर, मुकेरियां, दसूहा, होशियारपुर, फगवाड़ा, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, फिरोजपुर, अबोहर, फाजिल्का और राजपुरा शामिल हैं। 

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पंजाब विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। अब पार्टी पंजाब के बदले समीकरणों को देखते हुए 25 साल पुराने फार्मूले पर आ गई है। 1997 में इसी फार्मूले पर काम करते हुए 22 में से 18 सीटों पर विजय हासिल की थी। अब इस चुनाव में भी हिंदू और अनुसूचित जाति बाहुल्य वाली 23 सीटों पर चुनाव प्रचार केंद्रित किया है।

भाजपा 73 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसने उन 35 सीटों पर ज्यादा फोकस किया है जो  शहरी इलाके में हैं और जहां बड़ी संख्या में हिंदू और अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि राज्य में सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत वोटर हिंदू और 32 फीसदी अनुसूचित जाति के हैं। 1997 में जब भाजपा ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था तो उसका राष्ट्रवाद और हिंदू विचारधारा पर ही फोकस था। 

उस चुनाव में भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद इसी फार्मूले पर 2007 में भी अकालियों के साथ गठबंधन कर 22 पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2017 में पार्टी की बदली रणनीति ने नुकसान पहुंचाया और मात्र तीन सीटों पर ही उसके विधायक चुने गए। इससे सबक लेते हुए अंतिम समय में इस बार पार्टी ने प्रचार नीति में बड़ा बदलाव किया और हिंदू और अनुसूचित जाति बाहुल्य वाली 23 सीटों पर फोकस करना शुरू कर दिया।

24 सीटों पर बदला प्रचार का तरीका
भाजपा ने 24 हिंदू-प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार का तरीका भी बदल दिया है। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से बनवाए गए जय श्री राम के शिलालेख वाले राम मंदिर के होर्डिंग्स लगाए गए हैं। जय श्री राम के नारों के बीच इन्हें बांटकर वोट मांगे गए। 

बंटा हुआ है 70 प्रतिशत वोटर
पंजाब मोटे तौर पर मालवा, दोआबा और माझा क्षेत्रों में विभाजित है। मालवा क्षेत्र में 69 विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि माझा और दोआबा में क्रमश: 25 और 23 सीटें हैं। हिंदू राज्य की आबादी का लगभग 38 प्रतिशत बनाते हैं, जबकि अनुसूचित जाति 32 प्रतिशत हैं। दोनों कांग्रेस, भाजपा, अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) में विभाजित हैं।

विस्तार

पंजाब विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। अब पार्टी पंजाब के बदले समीकरणों को देखते हुए 25 साल पुराने फार्मूले पर आ गई है। 1997 में इसी फार्मूले पर काम करते हुए 22 में से 18 सीटों पर विजय हासिल की थी। अब इस चुनाव में भी हिंदू और अनुसूचित जाति बाहुल्य वाली 23 सीटों पर चुनाव प्रचार केंद्रित किया है।

भाजपा 73 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसने उन 35 सीटों पर ज्यादा फोकस किया है जो  शहरी इलाके में हैं और जहां बड़ी संख्या में हिंदू और अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि राज्य में सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत वोटर हिंदू और 32 फीसदी अनुसूचित जाति के हैं। 1997 में जब भाजपा ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था तो उसका राष्ट्रवाद और हिंदू विचारधारा पर ही फोकस था। 

उस चुनाव में भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद इसी फार्मूले पर 2007 में भी अकालियों के साथ गठबंधन कर 22 पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2017 में पार्टी की बदली रणनीति ने नुकसान पहुंचाया और मात्र तीन सीटों पर ही उसके विधायक चुने गए। इससे सबक लेते हुए अंतिम समय में इस बार पार्टी ने प्रचार नीति में बड़ा बदलाव किया और हिंदू और अनुसूचित जाति बाहुल्य वाली 23 सीटों पर फोकस करना शुरू कर दिया।

24 सीटों पर बदला प्रचार का तरीका

भाजपा ने 24 हिंदू-प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार का तरीका भी बदल दिया है। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से बनवाए गए जय श्री राम के शिलालेख वाले राम मंदिर के होर्डिंग्स लगाए गए हैं। जय श्री राम के नारों के बीच इन्हें बांटकर वोट मांगे गए। 

बंटा हुआ है 70 प्रतिशत वोटर

पंजाब मोटे तौर पर मालवा, दोआबा और माझा क्षेत्रों में विभाजित है। मालवा क्षेत्र में 69 विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि माझा और दोआबा में क्रमश: 25 और 23 सीटें हैं। हिंदू राज्य की आबादी का लगभग 38 प्रतिशत बनाते हैं, जबकि अनुसूचित जाति 32 प्रतिशत हैं। दोनों कांग्रेस, भाजपा, अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) में विभाजित हैं।



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