सीमा विवाद: अजीत पवार के बयान पर भड़के कर्नाटक के सीएम बोम्मई, जानें क्यों कहा- महाराष्ट्र को एक इंच जमीन नहीं देंगे


सार

कई कन्नड़ भाषी महाराष्ट्र में हैं, उन्हें कर्नाटक में शामिल करने के बारे में विचार किया जा रहा है। ये बातें कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बयान पर पलटवार करते हुए कहीं।

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महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा है कि कर्नाटक राज्य अपनी एक इंच जमीन भी पड़ोसी राज्य को नहीं देगा। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के राजनेताओं से अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए भाषाई हथकंडे या सीमा मुद्दे का इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह किया। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने सीमा विवाद पर इस तरह से अपनी स्थिति साफ की हो, वे पहले ही कह चुके हैं कि वे अपनी जमीन नहीं देगें। 

इसके साथ ही उन्होंने उल्लेख किया कि कई कन्नड़ भाषी महाराष्ट्र में हैं, उन्हें कर्नाटक में शामिल करने के बारे में विचार किया जा रहा है। ये बातें उन्होंने रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बयान पर पलटवार करते हुए कहीं। 

दरअसल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा था कि जब हम महाराष्ट्र के गठन के 62 साल मना रहे हैं, हमें खेद है कि कर्नाटक के बीदर, भालकी, बेलगाम, कारवार, निप्पनी और अन्य स्थानों के मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में विलय नहीं किया जा सका। महाराष्ट्र के नागरिक और इसकी सरकार महाराष्ट्र का हिस्सा बनने के लिए उनकी लड़ाई के साथ हैं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जब तक ये गांव महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं बन जाते, हम उनकी लड़ाई का समर्थन करते रहेंगे। उनके इस बयान का कर्नाटक के सीएम ने रविवार को जवाब दिया। 

 उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। उनकी पूरी सरकार चट्टान के नीचे है, इसलिए राजनीतिक रूप से जीवित रहने के लिए वे जुबानी तीर चलाते हैं और सीमा मुद्दे को उठाते हैं। सीमा मुद्दे पर कर्नाटक का रुख बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि राज्य किसी भी चीज के लिए झुकने वाला नहीं है।

बोम्मई ने कहा कि हम अपने फैसलों के साथ मजबूती से खड़े हैं, महाराष्ट्र भी इसे जानता है। मैं महाराष्ट्र के राजनेताओं से अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए भाषाई तीर या सीमा मुद्दे का इस्तेमाल नहीं करने का जोरदार आग्रह करता हूं।

दरअसल, महाराष्ट्र का दावा है कि बेलगावी के सीमावर्ती जिले और आसपास के इलाके तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे, लेकिन वर्तमान में भाषाई आधार पर ये कर्नाटक का एक हिस्सा है। महाराष्ट्र के साथ 800 गांवों के विलय के लिए बेलागवी के सीमावर्ती इलाकों में लड़ाई लड़ रही महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) ने भी कुछ समय पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा था।

गौरतलब है कि बेलागवी राज्य का एक अभिन्न अंग होने के दावे के रूप में कर्नाटक ने सुवर्ण विधान सौध का निर्माण किया है, जो बेंगलुरु में राज्य सचिवालय, विधान सौध पर आधारित है, जहां वर्ष में एक बार विधायिका सत्र आयोजित किया जाता है।

विस्तार

महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा है कि कर्नाटक राज्य अपनी एक इंच जमीन भी पड़ोसी राज्य को नहीं देगा। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के राजनेताओं से अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए भाषाई हथकंडे या सीमा मुद्दे का इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह किया। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने सीमा विवाद पर इस तरह से अपनी स्थिति साफ की हो, वे पहले ही कह चुके हैं कि वे अपनी जमीन नहीं देगें। 

इसके साथ ही उन्होंने उल्लेख किया कि कई कन्नड़ भाषी महाराष्ट्र में हैं, उन्हें कर्नाटक में शामिल करने के बारे में विचार किया जा रहा है। ये बातें उन्होंने रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बयान पर पलटवार करते हुए कहीं। 

दरअसल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा था कि जब हम महाराष्ट्र के गठन के 62 साल मना रहे हैं, हमें खेद है कि कर्नाटक के बीदर, भालकी, बेलगाम, कारवार, निप्पनी और अन्य स्थानों के मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में विलय नहीं किया जा सका। महाराष्ट्र के नागरिक और इसकी सरकार महाराष्ट्र का हिस्सा बनने के लिए उनकी लड़ाई के साथ हैं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जब तक ये गांव महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं बन जाते, हम उनकी लड़ाई का समर्थन करते रहेंगे। उनके इस बयान का कर्नाटक के सीएम ने रविवार को जवाब दिया। 

 उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। उनकी पूरी सरकार चट्टान के नीचे है, इसलिए राजनीतिक रूप से जीवित रहने के लिए वे जुबानी तीर चलाते हैं और सीमा मुद्दे को उठाते हैं। सीमा मुद्दे पर कर्नाटक का रुख बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि राज्य किसी भी चीज के लिए झुकने वाला नहीं है।

बोम्मई ने कहा कि हम अपने फैसलों के साथ मजबूती से खड़े हैं, महाराष्ट्र भी इसे जानता है। मैं महाराष्ट्र के राजनेताओं से अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए भाषाई तीर या सीमा मुद्दे का इस्तेमाल नहीं करने का जोरदार आग्रह करता हूं।

दरअसल, महाराष्ट्र का दावा है कि बेलगावी के सीमावर्ती जिले और आसपास के इलाके तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे, लेकिन वर्तमान में भाषाई आधार पर ये कर्नाटक का एक हिस्सा है। महाराष्ट्र के साथ 800 गांवों के विलय के लिए बेलागवी के सीमावर्ती इलाकों में लड़ाई लड़ रही महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) ने भी कुछ समय पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा था।

गौरतलब है कि बेलागवी राज्य का एक अभिन्न अंग होने के दावे के रूप में कर्नाटक ने सुवर्ण विधान सौध का निर्माण किया है, जो बेंगलुरु में राज्य सचिवालय, विधान सौध पर आधारित है, जहां वर्ष में एक बार विधायिका सत्र आयोजित किया जाता है।



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