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अर्धसैनिक बलों में ‘पदोन्नति में स्थिरता’ मुद्दे का हल तलाशने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। इस संबंध में एक कमेटी गठित की जा रही है। यह कमेटी ‘सीएपीएफ’ के जीडी कैडर में अगली पदोन्नति को लेकर हो रही देरी के मामले को देखेगी। बीएसएफ में इस मुद्दे पर राय मांगी गई है। इसमें कहा गया है कि सहायक कमांडेंट ‘एसी’ डायरेक्ट एंट्री के पदों को 50 फीसदी से घटाकर 33 फीसदी कर दिया जाए। दूसरी ओर, जो अराजपत्रित अधिकारी ‘एनजीओ’ पदोन्नति के जरिए ‘एसी’ के पद तक पहुंचते हैं, उनके लिए पदोन्नति कोटा बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया जाए। बीएसएफ के पूर्व एडीजी संजीव कृष्ण सूद कहते हैं, यह कदम सभी के लिए फायदेमंद रहेगा। एसी जीडी कैडर के सेवा नियमों में केवल एक लाइन एड करनी होगी।
मौजूदा समय में डायरेक्ट एंट्री और पदोन्नति का है ये नियम
‘एसी’ के 50 फीसदी पद डायरेक्ट एंट्री से भरे जाते हैं। इसमें 40 फीसदी पद, ओपन मार्केट यानी यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा के जरिए भरे जाते हैं। बाकी के दस फीसदी पद शॉर्ट सर्विस कमीशन ‘एसएससी’ के जरिए भरे जाने का प्रावधान है। ये अलग बात है कि अब लंबे समय से एसएससी वाले बीएसएफ में नहीं आते। दूसरी प्रक्रिया में 33 फीसदी पद, पदोन्नति के माध्यम से भरे जाते हैं। बाकी के 17 फीसदी पद ‘एलडीसीई’ यानी ‘सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा’ के जरिए भरे जाते हैं। एलडीसीई में नीचे के पदों पर काम करने वालों को एक टेस्ट पास करना होता है। इसे पास करने के बाद वे सीधे ‘एसी’ बन सकते हैं। जैसे एसआई यह परीक्षा देकर डायरेक्ट सहायक कमांडेंट बन सकता है। गृह मंत्रालय, जिस नई योजना पर काम कर रहा है, उसमें 17 फीसदी वाले एलडीसीई भी डायरेक्ट एंट्री में शामिल हो जाएंगे। ऐसे में पदोन्नति के जरिए ‘एसी’ बनने वालों का कोटा भी 50 फीसदी हो जाएगा।
इससे डायरेक्ट एंट्री वाले ‘एसी’ के पद 33 फीसदी रह जाएंगे
नई व्यवस्था में डायरेक्ट एंट्री वाले पदों का फीसदी 33 रह जाएगा। इससे नीचे वालों को पदोन्नति के बेहतर विकल्प मिलेंगे। बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद बताते हैं, ‘ओजीएएस’ की शर्त होती है कि पचास फीसदी कोटा ओपन मार्केट से भरना होगा। इन्हें कोई परेशानी न आए, इसके लिए सर्विस रूल में ये लिखना होगा कि डायरेक्ट एंट्री कोटा में अब 17 फीसदी ‘एलडीसीई’ वाले भी शामिल हैं। जब ये हो जाएगा, तो डायरेक्ट एंट्री वालों को इस पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं होगा। अमूमन, एसी के पद डायरेक्ट एंट्री वालों की औसतन आयु 28 साल होती है। एसएससी व एलडीसीई वाले जो पांच छह साल की नौकरी करने के बाद एसी बनेंगे, उनकी औसत आयु 35 से 37 साल होगी। जो प्रमोट होकर ‘एसी’ बनेंगे, उनकी औसतन आयु 40 से 42 वर्ष होगी।
कमांडेंट के पास होंगे तीन विकल्प
ऐसे में कमांडेंट के पास तीन विकल्प होंगे। उसके पास डायरेक्ट एंट्री वाले जोशीले यंग अफसर होंगे, लेकिन अनुभव की कमी खलेगी। एसएससी व एलडीसीई के जरिए जो अधिकारी एसी बनेंगे, उनके पास जोश और अनुभव, दोनों होंगे। प्रमोट होकर यहां तक पहुंचे अधिकारियों के पास भले ही जोश न हो, लेकिन उनके पास अनुभव पर्याप्त होगा। कमांडेंट, ड्यूटी के मुताबिक तीनों में से किसी की भी सेवा ले सकता है। मौजूदा समय में ‘सीओ’ 47 साल के बाद ही बनता है। आगे पदोन्नति के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हां, इस नई व्यवस्था में पदोन्नति के जरिए एसी बनने वालों को भी बाद में पदोन्नति के चांस मिलेंगे। डायरेक्ट एंट्री वालों को उनकी आकांक्षा के मुताबिक पदोन्नति या रैंक मिल जाएगा। पूरे बैच के ज्यादातर अफसरों को आईजी या उसके समकक्ष तक पहुंचने का मौका मिलेगा। इससे डायरेक्ट एंट्री वालों की उम्मीद पूरी हो जाएगी। जो पदोन्नति से एसी बने हैं, उनकी उम्मीद भी पूरी होगी। ऐसे अफसर जो 40 साल में ‘एसी’ बनें हैं, वे भी टूआईसी व सीओ बनने की तमन्ना रख सकते हैं।