क्‍या भारत में मंकीपॉक्‍स बन सकता है खतरा? AIIMS के पूर्व निदेशक से जानें


नई दिल्‍ली. भारत के कोलकाता में हाल ही में मंकीपॉक्‍स का एक संदिग्‍ध मरीज पाया गया है. यूरोपीय देश से लौटे इस शख्‍स में मंकीपॉक्‍स के लक्षण मिले हैं और इसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया गया है. लिहाजा संभावना जताई जा रही है क‍ि भारत में भी मंकीपॉक्‍स की शुरुआत हो गई है. हालांकि अभी इस व्‍यक्ति की जांच रिपोर्ट आना बाकी है. इससे पहले कई देशों में मंकीपॉक्‍स के मामले सामने आ चुके हैं. चूंकि यह बीमारी गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्‍चों को जल्‍दी संक्रमित कर सकती है ऐसे में इसे लेकर विशेषज्ञ भी सावधान होने की सलाह दे रहे हैं. कोरोना के मामले अभी भी आ रहे हैं ऐसे में एक सवाल यह भी है क‍ि क्‍या ये मंकीपॉक्‍स भारत के लिए नया खतरा बन सकता है ?

इस बारे में दिल्‍ली स्थित ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र कहते हैं कि भारत में जो मामला आया है अभी उसकी जांच रिपोर्ट आना बाकी है. पहले भी भारत में कई लोगों में मंकीपॉक्‍स जैसे लक्षण यानि शरीर पर दाने पाए गए हैं लेकिन उनमें इस बीमारी की पुष्टि नहीं हुई. जहां तक इस बीमारी को लेकर बात है तो भारत को मंकीपॉक्‍स वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि इसे यहां आने और फैलने से रोकने के लिए विशेष सावधानियां और एहतियात बरतने की जरूरत है.

डॉ. मिश्र कहते हैं क‍ि भारत आज से 40 साल पहले मंकीपॉक्‍स वायरस के परिवार से जुड़ी स्‍मॉलपॉक्‍स (Smallpox) जैसी खतरनाक बीमारी को नियंत्रित कर चुका है और भारत में बड़े स्‍तर पर हुए टीकाकरण के बाद आज चिकनपॉक्स और स्मालपॉक्स की बीमारी का खतरा न के बराबर है.

यहां हो मिल सकता है मंकीपॉक्‍स के इलाज का विकल्‍प
पूर्व निदेशक डॉ. मिश्र कहते हैं कि स्‍मॉलपॉक्‍स के परिवार से जुड़ा होने के नाते मंकीपॉक्‍स स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों के लिए कोई नई बीमारी नहीं रह गई है. वहीं स्‍मॉलपॉक्‍स को पहले ही लगभग खत्‍म कर चुके भारत में इसकी रोकथाम (Prevention of Monkeypox) और इलाज के लिए स्‍मॉलपॉक्‍स की वैक्‍सीन का लाभ लिया जा सकता है. अभी तक विशेषज्ञों की ओर से लगाए गए अनुमान के अनुसार स्‍मॉलपॉक्‍स की वैक्‍सीन मंकीपॉक्‍स पर 80 से 85 फीसदी तक कारगर हो सकती है. इतना ही नहीं पिछले कुछ समय से इसके मामले पूरे विश्‍व में आने के बाद से स्‍मॉलपॉक्‍स की वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल को लेकर विश्‍व में कई जगहों पर मेडिकल क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ इस पर काम भी कर रहे हैं. हालांकि वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल पर डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO), सीडीसी (CDC) को फैसला लेना होगा. वहीं भारत में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय (MOHFW), एनसीडीसी (NCDC) और आईसीएमआर (ICMR) मिलकर इसका फैसला करेंगे.

गौरतलब है क‍ि भारत 1979 में स्‍मॉलपॉक्‍स फ्री (Smallpox Free) घोषित कर दिया गया था. इससे पहले तक यहां के लोगों को स्मालपॉक्स की वैक्‍सीन लगाई जाती थी. इस साल से पहले पैदा हुए लगभग सभी लोगों को व‍ह वैक्‍सीन (Vaccine) लगी है. यही वजह है कि आज यहां स्मालपॉक्स के केस नहीं आते हैं. इसके अलावा एक और अनुमान लगाया जा सकता है कि इस अवधि तक के जिन लोगों में स्‍मॉलपॉक्‍स को लेकर इम्‍यूनिटी (Immunity) मौजूद है वह शायद मंकीपॉक्‍स से भी बचाव कर सकती है. हालांकि नए लोगों को यह वैक्‍सीन नहीं लगी है.

Tags: AIIMS director, Virus

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