नई टैक्स व्यवस्था क्या देर से टैक्स देने वाले के लिए फायदेमंद हो सकती है ? जानिए डिटेल


नई दिल्ली . क्या आप टैक्स प्लानिंग के लिए अब यानी मार्च में सोच रहे हैं. जब समय सीमा लगभग समाप्त हो गई है? टैक्स को देखते हुए क्या आप तय नहीं कर पा रहे कि कहां निवेश करना है ? या आपके पास निवेश करने के लिए पर्याप्त बचत नहीं है जो आपके टैक्स बिल में कटौती करने में मदद करेगा? अगर आपने अब तक टैक्स नहीं भरा है तो आपके लिए नई टैक्स व्यवस्था कई मायनों में फायदेमंद हो सकती है.

साल 2020 के बजट में टैक्स भरने के दो विकल्प मुहैया कराए गए थे. पुराना और नया टैक्स स्लैब (Old and New Tax Slab). टैक्सपेयर्स अपनी टैक्स देनदारी के हिसाब से दोनों में से किसी एक टैक्स स्लैब का चुनाव कर सकते हैं. क्लीयर के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि नया टैक्स स्लैब दो मायनों में पुराने स्लैब से अलग है.

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पहला…इसमें कम दर के साथ अधिक स्लैब हैं. दूसरा…नई व्यवस्था अपनाने पर करीब 70 तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुराने टैक्स स्लैब में मिलता है.

नया टैक्स स्लैब

अर्चित गुप्ता का कहना है कि टैक्सपेयर्स को अपनी आय पर सभी तरह की छूट और कटौती का लाभ उठाने के बाद लागू सामान्य दरों पर टैक्स देनदारी की गणना करनी चाहिए. उदाहरण के लिए, पुराने स्लैब के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति एलटीए, एचआरए, स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये की छूट का दावा कर सकता है. इसके अलावा, व्यक्तिगत करदाता हाउसिंल लोन के ब्याज और एनपीएस योगदान आदि पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट क्लेम कर सकता है.

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इसके अलावा, करदाता को नए टैक्स स्लैब के अनुसार अपनी कमाई पर टैक्स देनदारी की गणना चाहिए. इन दोनों की तुलना कर अपने लिए बेहतर टैक्स स्लैब का चुनाव कर सकते हैं.

किसको फायदा

नई टैक्स व्यवस्था में सबसे अधिक टैक्स सालाना 15 लाख रुपये और उससे अधिक की कमाई पर लगता है. यह व्यवस्था उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो कम छूट और कटौती क्लेम करते हैं. जो लोग ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं और जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया है, उन्हें इस व्यवस्था से बहुत लाभ नहीं होगा. जो लोग नए स्लैब की दरों को अपनाना चाहते हैं, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80C, 80D, हाउसिंग लोन, एनपीएस जैसी तमाम छूट को छोड़ना होगा.

वित्त वर्ष 2020-21 के ल‌िए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की नियत समय-सीमा 31 दिसंबर, 2021 निकल चुकी है. अगर आप आईटीआर दाखिल नहीं कर पाए हैं तो देय तिथि 31 मार्च, 2022 तक बिलेटेड आईटीआर (Belated ITR) भर सकते हैं.

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