दिल्‍ली एनसीआर में बढ़ रहे हैं परिवार टूटने के मामले, सबसे बड़ा कारण है बढ़ती अपेक्षाएं


ममता त्रिपाठी

नई दिल्‍ली. राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (Delhi-NCR region) में परिवार के टूटने की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ रही हैं, वो एक चिंता का विषय है. सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो परिवार तेजी से टूट रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है बढ़ती अपेक्षाएं, पति पत्नी में समन्वय की कमी, अवसाद, परिवारिक मूल्यों का क्षय जैसे कई कारण. बड़े शहर की चकाचौंध भरी जिन्दगी और अच्छी नौकरी हर किसी को अपनी ओर खींचती ही है. देश के सबसे बड़े सूबे की आर्थिक राजधानी नोएडा में भी अलग-अलग शहरों और गांवों से लोग रोजगार की तलाश में आते हैं मगर पैसे कमाने की होड़ में सबसे पुरानी सामाजिक संस्था शादी को ही हाशिए पर लाकर खड़ा कर देते हैं.

साइकोलॉजिस्ट डाक्टर अर्चना का मानना है कि बड़े शहरों में परिवार टूटने की सबसे बड़ी वजह बढ़ती अपेक्षाएं, धैर्य और सामंजस्य की कमी है. पहले के मुकाबले महिलाएं फाइनेंशियली आत्मनिर्भर हैं जिसके चलते कई बार आपस में इगो इशू पैदा हो जाते हैं जो रिश्ते के टूटने की वजह बन जाते हैं. महिलाओं से जुड़े अपराध की बात करें तो सबसे ज्यादा केस घरेलू हिंसा के ही रजिस्टर होते हैं, जिसमें पति-पत्नि का विवाद और लिव-इन-रिलेशन के झगड़े सबसे ज्यादा होते हैं.

लिव इन में रहने वालों के मामले चिंता का विषय 

नोएडा पुलिस की परिवार परामर्श केन्द्र में काउंसलिंग करने वाली डॉ अर्चना ने कहा कि लिव इन में रहने वालों के मामले चिंता का विषय हैं. ऐसे मामलों में जब सालों एक साथ रहने के बाद रिश्ते में खटास पैदा होती है तो लड़की रेप का आरोप लगाकर लड़के को जेल भिजवाने की मांग करती है. हालांकि काउंसलिंग के बाद 80 प्रतिशत तक मामले सुलझ जाते हैं. मगर जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं वो एक चिंता का विषय जरूर है. नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण भी घर टूट रहे हैं. नोएडा में एडिशनल डीसीपी महिला अपराध अंकिता शर्मा का भी मानना है कि बड़े शहरों की भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोग तनाव को झेल नहीं पा रहे हैं जिसके चलते रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जा रहे हैं. कोविड के बाद से जिस तरह से लोगों की नौकरियां गई हैं. उसके बाद से इनकी संख्या में और इजाफा हो गया है. नोएडा में हमारे तीन जगहों पर फैमिली काउंसलिंग सेन्टर हैं जहां पर इस तरह के विवादों को सुलझाने की कोशिश करते हैं. हमारे पुलिस के अधिकारियों की बाकायदा ट्रेनिंग होती है कि किस तरह से काउंसलिंग करनी है.

लिव इन में रहने वाले पर यदि आरोप लग जाए तो पुलिस को जेल भेजना ही पड़ता है 

आपको बता दें कि साल 2021 में नोएडा में 322 मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए थे और 250 से ज्यादा मामलों में काउंसलिंग के जरिए विवाद का निपटारा हो गया था. पाक्सो के 140 केस दर्ज हुए थे जिसमें ज्यादातर मामलों में दोषियों को सजा मिल चुकी है.इसके अलावा दहेज हत्या के 53 और रेप के 118 मामले दर्ज हुए थे. पुलिस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत लिव-इन-रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को लेकर आती है जिसमें लड़की अपनी मर्जी से रहती है और झगड़ा होने की सूरत में वो रेप का केस दर्ज करा देती है. भारतीय दंड संहिता के हिसाब से पुलिस को आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज करके लड़के को जेल भेजना ही पड़ता है. साल 2022 में महज पांच महीनों में 200 के करीब घरेलू हिंसा के मामले दर्ज हो चुके हैं, पाक्सो के 21, रेप के 45 और दहेज हत्या के 40 मामले अभी तक रजिस्टर हुए हैं.

संयुक्‍त परिवारों में नहीं आती थी ऐसी समस्‍या

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर जसपाली चौहान कहती हैं कि संयुक्त परिवारों में ऐसी समस्‍या नहीं आती थी, लेकिन उनके टूटने और एकल परिवार का चलन बढ़ने की वजह से भारतीय समाज का ताना बाना पूरी तरह से छिन्न भिन्न हो गया है जिसके चलते इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं. पहले घरों में बड़े बुजुर्ग होते थे जो लड़ाई झगड़े की स्थिति में कोआरडिनेशन करते थे, समझाते थे मगर अब अति-महत्वकांक्षा, अवसाद और एक दूसरे पर दोषारोपण परिवार के टूटने की सबसे बड़ी वजहें हैं. संस्कारों की कमी और पैसे कमाने की होड़ में हम परिवार नाम की सबसे अमूल्य धरोहर को खोते जा रहे हैं. कोई भी कांउसलर या पुलिस आपके अपनों की जगह नहीं ले सकती.

Tags: Delhi-NCR region



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