मशहूर हस्तियां झूठे विज्ञापन दिखाकर नहीं दे पाएंगी जनता को धोखा, आए ये निर्देश


नई दिल्‍ली. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा झूठे और भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और ब्रांड एम्‍बेसडर्स द्वारा ऐसे विज्ञापन न करने से संबंधित जरूरी दिशानिर्देशों को जारी करने की बहुत सराहना की है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल द्वारा जारी किए गए नियमों को लेकर कैट ने कहा कि भ्रामक विज्ञापन (Deceptive advertisement) उपभोक्ताओं की पसंद को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं और झूठे विज्ञापन दिखाकर उन्हें धोखा दिया जा रहा हैं. दुर्भाग्य से, कॉर्पोरेट कंपनियां और मशहूर हस्तियां पैसे कमाने की लालसा में झूठे विज्ञापन (Misleading Advertisements) बनाने के लिए हाथ मिला रही हैं. देश के उपभोक्ताओं के व्यापक हित में ऐसे दिशा-निर्देशों की अत्यधिक आवश्यकता थी.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि उपभोक्तावाद के वर्तमान युग में, उत्पाद चुनने में उपभोक्ताओं के लिए विज्ञापन एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि विज्ञापन नकली या झूठा न हो और साथ ही ब्रांड का समर्थन करने वाली हस्तियों को भी किसी उत्पाद का विज्ञापन करते समय सावधान रहना चाहिए. ऐसे बहुत से विज्ञापन हैं जहां सेलिब्रिटी अक्सर उन उत्पादों का विज्ञापन करते हैं जिनका वे खुद कभी उपयोग नहीं करते हैं लेकिन उत्पाद के बारे में झूठे दावे जरूर करते हैं. अब ऐसी कंपनियों पर 10 से 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इस तरह के भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2 (28) के तहत अपराध हैं, लेकिन किसी भी दिशा-निर्देश के अभाव में, ऐसे अपराधों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया जिससे उपभोक्ताओं को धोखा दिया जा रहा है. किसी भी उत्पाद का ब्रांड एंबेसडर ऐसे उत्पाद के बिक्री तंत्र का एक अभिन्न अंग होता है क्योंकि इसमें व्यावसायिक हित शामिल होते हैं क्योंकि किसी भी उत्पाद का समर्थन करने के एवज में मशहूर हस्तियां भारी मात्रा में पैसा लेती हैं और वे उपभोक्ताओं की पसंद को प्रभावित करते हैं. इसलिए, वे अपने दायित्व से इनकार नहीं कर सकते.

दिशानिर्देश उपभोक्ताओं और राष्ट्र के व्यापक हित में हैं और निश्चित रूप से उन मशहूर हस्तियों को सावधान करेंगे जो उत्पादों का प्रचार कर रहे हैं ताकि इस तरह के विज्ञापनों को रोका जा सके. हालांकि पैसा कमाने के लिए किसी भी वैध गतिविधि का संचालन करना भारत के संविधान द्वारा मान्य है, लेकिन ऐसे मामलों में जहां मशहूर हस्तियां उन उत्पादों के विपरीत विचारों का समर्थन करती हैं जिनका वे महज पैसो के लिए प्रचार कर रही हो कहीं से भी जायज नही है.

भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने कहा, ‘हम समझते हैं कि खुदरा बाजार में अधिक लोकप्रियता हासिल करने के लिए उत्पादों का प्रचार करने के लिए मशहूर हस्तियों का लाभ उठाना कंपनियों द्वारा एक रणनीतिक कदम है. वे इन मशहूर हस्तियों के माध्यम से ग्राहकों की पसंद को प्रभावित करते हैं जो अपनी प्रतिभा और क्षमता के कारण जनता के बीच लोकप्रिय होते हैं.

हम इन हस्तियों के अपने-अपने क्षेत्रों में प्रयासों की सराहना करते हैं, और उनके योगदान के लिए उनकी प्रशंसा भी करते है, लेकिन उनके द्वारा झूठे विज्ञापन या समर्थन किसी भी कीमत पर नही होना चाहिए और जारी किए गए दिशानिर्देश सरकार को जरूरी और जायज़ कार्रवाई करने में सक्षम बनाएंगे, उन लोगों के खिलाफ जो केवल पैसे के लिए उत्पादों का समर्थन करते हैं और उत्पाद खरीदने के लिए भारतीय नागरिकों पर अपना प्रभाव डालते हैं (जो हानिकारक हो सकता है या सेलिब्रिटी खुद उत्पाद के दावों की पुष्टि नहीं कर सकते हैं). ये विज्ञापन दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं और उन्हें एक ऐसी जीवन शैली का अनुकरण करने की दिशा में प्रेरित करते हैं जिसे वे अपना आदर्श मानते हैं. संचार के किसी भी माध्यम का आम आदमी के जीवन पर सिनेमा या टेलीविजन की तुलना में गहरा प्रभाव नहीं पड़ा है, खासकर 21वीं सदी में.’

यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि उपभोक्ताओं का अपनी पसंदीदा सेलेब्रिटीज में विश्वास अवचेतन रूप से उन्हें चुनने और अंततः उनकी पसंदीदा हस्ती द्वारा समर्थित उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए प्रेरित करता है. इसलिए, ऐसी मशहूर हस्तियों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए उनके समर्थन में किए गए दावे भ्रामक या निराधार नहीं हैं.

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