Chanakya Niti: समय रहते कर दें इन 4 चीजों का त्याग, वरना बाद में होगा पछतावा


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Chanakya Niti In Hindi 

Highlights

  • आचार्य चाणक्य ने सुखी जीवन जीने की कई नीतियां दी हैं
  • आचार्य चाणक्य से जानिए किन लोगों का कर देना चाहिए त्याग

आचार्य चाणक्य ने समाज के कल्याण के लिए कई नीतियां बताई हैं जिनका अपना एक खास महत्व है। उनकी नीतियों को जानकर व्यक्ति को अपनी हर परेशानी का हल मिल सकता है। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने इस नीति के द्वारा इंसान को समझाने की कोशिश की हैं जीवन में ऐसी कौन सी चीजें है जिन्हें समय रहते त्याग देना चाहिए। वरना बाद में सिर्फ पछताते ही रह जाएंगे।

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श्लोक


त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्। 

त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥

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भावार्थ :

धर्म में अगर दया न हो तो उसे त्याग देना चाहिए। विद्याहीन गुरु को, क्रोधी पत्नी को तथा स्नेहहीन बान्धवों को भी त्याग देना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो लोग धर्म के द्नारा दिखाए रास्ते में नहीं चलते हैं वह लोग कभी भी किसी का भला नहीं कर सकते हैं। उन रोगों के अंदर जरी सी भी भावना नहीं होती है। इंसान के साथ-साथ जीव-जंतु के प्रति भी दुष्ट होते हैं। ऐसे लोग अगर आपके आसपास है तो तुंरत त्याग देना चाहिए। 

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किसी भी व्यक्ति को लक्ष्य पाने की लालसा एक गुरु ही उत्पन्न करता है। वह आपको इस काबिल बना देता है कि आप अपने बारे में अच्छा बुरा सोच सकते हैं। लेकिन अगर गुरु के पास ही विद्या न हो तो वह आपको कैसे आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करेगा ये सोचना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि ऐसा गुरु आपके पूरे भविष्य को खराब कर सकता है। इसलिए ऐसे गुरु का तुरंत ही त्याग कर देना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की पत्नी हर एक बात में बार-बार क्रोध करती हैं और घर में हमेशा कलह रहती है। आपके प्यारे से घर में अशांति फैली रहती हैं तो ऐसे में पहले उसे समझाने की कोशिश करें और अगर वह फिर भी न संभले तो समय रहते सही फैसला कर लें। 

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हर एक रिश्ते की बुनियाद विश्वास और स्नेह में टिकी होती है। अगर रिश्ते में इन दोनों में से एक चीज भी न हो तो वह रिश्ता नहीं कहलाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें तो आपके प्रति एक रत्ती भी स्नेह न रखते हो। क्योंकि ऐसे लोग ही आने वाले समय में आपका फायदा उठा लेते हैं।  



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