चंडीगढ़: दुनिया को अलविदा कहकर भी छह लोगों को नया जीवन दे गया योगेश, ब्रेन डेड के बाद परिजनों ने लिया अंगदान का निर्णय


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Tue, 22 Mar 2022 01:07 AM IST

सार

डॉ. अपिंदर प्रीत सिंह ने बताया कि सड़क हादसे में योगेश के सिर पर गंभीर चोट आई थी। काफी प्रयास के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। परिजनों की इच्छा अनुसार दूसरों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास सफल रहा। 

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हरियाणा के करनाल निवासी 19 वर्षीय योगेश ने दुनिया को अलविदा कहकर भी छह लोगों को नई जिंदगी दे दी। सड़क हादसे में गंभीर घायल योगेश के ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों ने पीजीआई में उसके अंगदान की इच्छा जताई। डॉक्टरों ने बिना देर किए एक जरूरत मरीज में योगेश के हृदय को प्रत्यारोपित कर दिया। वहीं, एक मरीज को लिवर, एक को किडनी और एक अन्य मरीज में पैंक्रियाज को प्रत्यारोपित किया गया। वहीं, योगेश की दोनों कोर्निया अलग-अलग मरीजों में लगाई गईं।

बीते 16 मार्च को एक सड़क हादसे में योगेश को गंभीर चोटें आईं थीं। योगेश को इलाज के लिए तत्काल करनाल के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। सिर में गंभीर चोटे लगने की वजह से योगेश की हालत गंभीर थी। वहां से उसे 18 मार्च को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। 19 मार्च को पीजीआई में ब्रेन डेथ सर्टिफिकेट कमेटी की ओर से योगेश के दिमाग को डेड घोषित कर दिया गया। उसके बाद योगेश के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों से अंगदान की इच्छा जताई। डॉक्टरों से सहमति मिलने के बाद योगेश के अंगों को जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
  
पीजीआई का सातवां हृदय प्रत्यारोपण, लगे 7 घंटे
पीजीआई के सीटीवीएस विभाग के डॉक्टर प्रोफेसर हरकांत सिंह बरयाह और प्रोफेसर श्याम के एस थिंगम ने अपनी टीम के साथ योगेश के हृदय को अस्पताल में ही भर्ती एक मरीज में प्रत्यारोपित किया। पीजीआई की यह सातवां सफल हृदय प्रत्यारोपण है। इस सर्जरी में डॉक्टरों को करीब सात घंटे का समय लगा। वहीं, पीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एसके गुप्ता और डॉ. अपिंदर प्रीत सिंह ने बताया कि सड़क हादसे में योगेश के सिर पर गंभीर चोट आई थी। काफी प्रयास के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। परिजनों की इच्छा अनुसार दूसरों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास सफल रहा। 

हृदय प्रत्यारोपण के बाद कृष्णा को मिला नया जीवन  
पीजीआई ने कुछ समय पहले सेक्टर-30 स्थित ईएसआई कालोनी निवासी 14 वर्षीय कृष्णा को हृदय प्रत्यारोपण के जरिए नया जीवन दिया है। यह पीजीआई का पांचवां सफल हृदय प्रत्यारोपण था। 9 जनवरी 2020 को अचानक कृष्णा की तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां पता चला कि उसके दिल का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा ही काम कर रहा है। कोविड में हिम्मत से काम लेने का इनाम कृष्णा को मिला और उसे नया हृदय मिला। आज कृष्णा खुशहाल जिंदगी जी रहा है।

विस्तार

हरियाणा के करनाल निवासी 19 वर्षीय योगेश ने दुनिया को अलविदा कहकर भी छह लोगों को नई जिंदगी दे दी। सड़क हादसे में गंभीर घायल योगेश के ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों ने पीजीआई में उसके अंगदान की इच्छा जताई। डॉक्टरों ने बिना देर किए एक जरूरत मरीज में योगेश के हृदय को प्रत्यारोपित कर दिया। वहीं, एक मरीज को लिवर, एक को किडनी और एक अन्य मरीज में पैंक्रियाज को प्रत्यारोपित किया गया। वहीं, योगेश की दोनों कोर्निया अलग-अलग मरीजों में लगाई गईं।

बीते 16 मार्च को एक सड़क हादसे में योगेश को गंभीर चोटें आईं थीं। योगेश को इलाज के लिए तत्काल करनाल के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। सिर में गंभीर चोटे लगने की वजह से योगेश की हालत गंभीर थी। वहां से उसे 18 मार्च को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। 19 मार्च को पीजीआई में ब्रेन डेथ सर्टिफिकेट कमेटी की ओर से योगेश के दिमाग को डेड घोषित कर दिया गया। उसके बाद योगेश के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों से अंगदान की इच्छा जताई। डॉक्टरों से सहमति मिलने के बाद योगेश के अंगों को जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया गया।

  

पीजीआई का सातवां हृदय प्रत्यारोपण, लगे 7 घंटे

पीजीआई के सीटीवीएस विभाग के डॉक्टर प्रोफेसर हरकांत सिंह बरयाह और प्रोफेसर श्याम के एस थिंगम ने अपनी टीम के साथ योगेश के हृदय को अस्पताल में ही भर्ती एक मरीज में प्रत्यारोपित किया। पीजीआई की यह सातवां सफल हृदय प्रत्यारोपण है। इस सर्जरी में डॉक्टरों को करीब सात घंटे का समय लगा। वहीं, पीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एसके गुप्ता और डॉ. अपिंदर प्रीत सिंह ने बताया कि सड़क हादसे में योगेश के सिर पर गंभीर चोट आई थी। काफी प्रयास के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। परिजनों की इच्छा अनुसार दूसरों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास सफल रहा। 

हृदय प्रत्यारोपण के बाद कृष्णा को मिला नया जीवन  

पीजीआई ने कुछ समय पहले सेक्टर-30 स्थित ईएसआई कालोनी निवासी 14 वर्षीय कृष्णा को हृदय प्रत्यारोपण के जरिए नया जीवन दिया है। यह पीजीआई का पांचवां सफल हृदय प्रत्यारोपण था। 9 जनवरी 2020 को अचानक कृष्णा की तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां पता चला कि उसके दिल का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा ही काम कर रहा है। कोविड में हिम्मत से काम लेने का इनाम कृष्णा को मिला और उसे नया हृदय मिला। आज कृष्णा खुशहाल जिंदगी जी रहा है।



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