चीनी वैज्ञानिकों ने विकस‍ित की माइंड-रीडिंग टेक्‍नोलॉजी, पता लगा सकती है कितने वफादार हैं कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर्स


चीन में वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने ‘माइंड-रीडिंग’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम डेवलप करने का दावा किया है। कहा जाता है कि यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मेंबर्स की वफादारी को माप सकता है। यानी यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो देश की इकलौती पार्टी के मेंबर्स की वफादारी का पता लगाता है। हेफेई में चीन के कॉम्प्रिहेंसिव नेशनल साइंस सेंटर के रिसर्चर्स ने कहा है कि यह सॉफ्टवेयर चेहरे के भाव और दिमाग की तरंगों का विश्लेषण करके ‘विचार और राजनीतिक शिक्षा’ को लेकर पार्टी मेंबर्स की प्रतिक्रियाओं को माप सकता है।

वॉयस ऑफ अमेरिका (VoA) की रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्चर्स ने कहा है कि इस सिस्‍टम में मिलने वाले रिजल्‍ट्स का इस्‍तेमाल ‘पार्टी को और मजबूत करने’ के लिए किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी वैज्ञानिकों ने कथित तौर पर दिमाग की तरंगों को पढ़कर और पार्टी मेंबर्स के चेहरे स्कैन करके इक्‍विपमेंट को टेस्‍ट किया। पार्टी मेंबर्स के चेहरे को स्‍कैन करते समय उन्‍हें CPC के बारे में आर्टिकल पढ़ने को दिए गए। इसके बाद मेंबर्स के ‘लॉयल्‍टी’ स्‍कोर को मापा गया। दावा है कि इस लेटेस्‍ट तकनीक ने ‘वैचारिक और राजनीतिक शिक्षा की एकाग्रता व आइडियोलॉजी के लेवल का पता लगाना’ संभव बनाया है। 

रिपोर्ट कहती है कि यह तथाकथित दिमाग पढ़ने वाली तकनीक चीन द्वारा इस्‍तेमाल किया जा रहा इकलौता डिजिटल कंट्रोल नहीं है। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, देश के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी डिवाइस डेवलप की है, जो किसी शख्‍स के ‘दिमाग को पढ़कर’ यह पता लगा सकती है कि कोई वह पोर्नोग्राफी देख रहा है या नहीं। फ‍िलहाल यह एक प्रोटोटाइप है, जो चीनी इंटरनेट सेंसर को ऐसे लोगों का पता लगाने में मदद करेगा, जो इंटरनेट पर अश्‍लील कंटेंट देखते हैं। 

इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन अपने शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुसलमानों की भावनाओं का पता लगाने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन और आर्टिफ‍िशियल इंटेलिजेंस (AI) कैमरा सिस्‍टम का इस्‍तेमाल कर रहा था। कहा जाता है कि चीनी अधिकारियों ने इन सिस्‍टमों को इलाके के पुलिस थानों में इंस्‍टॉल किया था। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का दावा था कि वे सिस्‍टम लाई डिटेक्टरों की तरह काम करते थे, लेकिन उनसे कहीं ज्‍यादा हाईटेक तकनीक से लैस थे। इस तरह उइगर मुसलमानों की आवाज को दबाने का काम किया जाता था। 
 

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