सर्कस वाले…समुद्री लुटेरे…खिलाड़ियों को मिले अजीब नाम, बिजनेसमैन की एक जिद ने बदल दिया क्रिकेट का रंग


नई दिल्ली. जेंटलमैन गेम यानी क्रिकेट को शुरू हुए 140 बरस से अधिक हो चुके हैं. शुरुआती 100 साल तक तो क्रिकेट का मतलब सफेद लिबास का खेल भर ही था और फिर एक दिन अचानक इसमें रंग भर गए. खेल का पूरा नक्शा ही बदल गया. रंगीन कपड़े, फ्लड लाइट, सफेद गेंद और तमाम चमक-धमक इससे जुड़ गई. क्रिकेट में इस बदलाव को लाने वाले थे ऑस्ट्रेलियन बिजनेसमैन कैरी पैकर. उनके इस एक कदम से क्रिकेट की दुनिया में भूचाल सा आ गया था. आईसीसी और तमाम क्रिकेट देशों के क्रिकेट बोर्ड हिल गए थे. क्योंकि दिग्गज खिलाड़ी तक इस बदलाव का हिस्सा बन गए थे. लेकिन यह सब रातों-रात तो हुआ नहीं होगा, पहले से ही इसकी तैयारी चल रही होगी. आखिर कैसे एक शख्स ने आज ही के दिन, 1977 में क्रिकेट को देखने, खेलने का पूरा अंदाज ही बदल दिया था.

सिलसिलेवार ढंग से आपको यह कहानी बताएं, उससे पहले यह बता देते हैं कि क्रिकेट को रंगीन बनाने वाले कैरी पैकर कौन थे और उनका इस खेल से कैसे जुड़ाव था?

कौन थे कैरी पैकर?
कैरी पैकर ऑस्ट्रेलिया के मीडिया मुगल थे. वो निजी चैनल ‘चैनल-9’ के मालिक थे. 70 के शुरुआती सालों में उनके हाथ में इस चैनल की कमान आई तो उन्होंने खेलों पर ध्यान देना शुरू किया. शुरू में उन्होंने गोल्फ और टेनिस जैसे खेलों के राइट्स खरीदे और इन खेलों में भी ग्लैमर का तड़का लगाने का पूरा तामझाम किया. अब उनका अगला मिशन क्रिकेट था. उन्होंने 1976 में ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड से 1977-78 के घरेलू टेस्ट सीजन के प्रसारण के अधिकार मांगे. इसके लिए पैकर ने सरकारी ब्रॉडकास्टर एबीसी से कई गुना ज्यादा पैसे का ऑफऱ दिया. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने उनके इस ऑफऱ को ठुकरा दिया.

इसी वजह थी ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के साथ उसके दो दशक पुराने संबंध. बस, पैकर को यही बात चुभ गई और उन्होंने इसे चुनौती मानते हुए समानांतर क्रिकेट लीग खड़ी करने का इरादा कर लिया और इस मिशन में जुट गए. उनके पास अपनी इस जिद को पूरा करने के लिए पैसों की कोई कमी नहीं थी. लेकिन, सिर्फ इतने भर से बात नहीं बनने वाली थी. क्योंकि क्रिकेट लीग चलाने के लिए खिलाड़ी तो चाहिए थे. क्योंकि उनके बिना तो खेल हो नहीं सकता था.

खिलाड़ियों का भी पैकर को मिला साथ
पैकर के लिए अच्छी बात यह थी कि खिलाड़ियों को उस वक्त क्रिकेट में बहुत कम पैसा मिलता था. खिलाड़ी बड़ी मुश्किल से गुजारा कर पाते थे. इससे वो नाराज थे और इसी बात ने पैकर की राह आसान कर दी और उन्होंने एक-एक कर उस दौर के दिग्गज खिलाड़ियों के साथ मोटी कीमत में कॉन्ट्रैक्ट साइन करना शुरू कर दिया.

चैपल और टोनी ने पैकर का दिया साथ
पैकर ने अपने इस मिशन को अंजाम देने के लिए सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान टोनी ग्रेग को अपने साथ लिया. तब इन दोनों का कद क्रिकेट में काफी बड़ा था. इनकी मदद से पैकर ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम के करीब-करीब सारे बड़े खिलाड़ियों से अपनी लीग के लिए करार कर लिया. 1976 की गर्मियों से 1977 की शुरुआत में पैकर ने दर्जनों खिलाड़ियों को साइन किया, और दिलचस्प बात यह है कि लीग के ऑफिशियल अनाउंसमेंट से पहले तक किसी को भी इसकी कानों-कान खबर नहीं होने दी.

9 मई को दुनिया को खबर लगी
फिर आई 9 मई, 1977 को वो तारीख, जिस दिन क्रिकेट की दुनिया में यह भूचाल आया. पहली बार यह खबर सामने आई. उस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज की तैयारियों में जुटी हुई थी. तभी यह पता चला कि 17 में 13 खिलाड़ी कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज के लिए करार कर चुके हैं. ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड के पैरों तले जमीन खिसक गई. टोनी ग्रेग को इंग्लैंड के कप्तानी से हटा दिया गया और बिल्कुल अलग-थलग कर दिया गया. उन पर मीडिया ने पैसों के लिए खेलने वाला क्रिकेटर होने की तोहमत लगाई.

इसके बाद पैकर की वर्ल्ड सीरीज, जिसे तब मीडिया ने ‘पैकर सर्कस’ का नाम दिया था से जुड़े सभी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बर्खास्त करने की मांग जोर पकड़ने लगी. इस बीच, और खिलाड़ियों के इस लीग से जुड़ने की खबरें सामने आई. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा और वो एशेज सीरीज 0-3 से हार गए.

कौन-कौन से दिग्गज पैकर से जुड़े?
पैकर की वर्ल्ड सीरीज से टोनी ग्रेग और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल तो जुड़े ही थे. इसके अलावा क्लाइव लायड, विवियन रिचर्ड्स, इमरान खान, रिचर्ड हैडली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने भी पैकर का हाथ थाम लिया था. दिलचस्प बात यह है कि एक भी भारतीय खिलाड़ी कैरी पैकर की इस समानांतर क्रिकेट लीग का हिस्सा नहीं बना.

आईसीसी ने खिलाड़ियों को बैन करने की चेतावनी दी
शुरुआत में तो आईसीसी ने इसे ऑस्ट्रेलिया का मसला मानकर पूरे विवाद से दूरी बनाकर रखी. लेकिन जब बाकी देशों के खिलाड़ियों के एक-एक जुड़ने की खबर आने लगी तो 1977 के जून महीने में आईसीसी के अधिकारियों ने पैकर से मुलाकात की. शुरुआत में तो लगा कि दोनों पक्षों के बीच बात बन जाएगी. लेकिन बाद में बातचीत पटरी से उतरी गई. क्योंकि पैकर ने चैनल-9 के लिए 1978-79 सीजन के लिए टीवी राइट्स मांग लिए. यह आईसीसी के अधिकार से बाहर की बात थी.

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इसके बाद आईसीसी ने जुलाई में पैकर सीरीज़ के मैचों को अनधिकृत करार दे दिया. साथ में यह चेतावनी भी दी कि इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को फर्स्ट क्लास और टेस्ट क्रिकेट खेलने से बैन कर दिया जाएगा. इसे लेकर पैकर कोर्ट में चले गए और आखिर में फैसला पैकर के पक्ष में आया. लेकिन शर्तों के साथ. पैकर को अपनी टीम को ‘ऑस्ट्रेलिय़ा’ कहने और अपनी सीरीज के तहत खेले जाने वाले मैचों को ‘टेस्ट मैच’ नहीं कहने के निर्देश मिले. पैकर ने टेस्ट को ‘सुपरटेस्ट’ और टीम को ‘डब्ल्यूएससी ऑस्ट्रेलिया’ इलेवन नाम दिया.

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वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट में कई प्रयोग किए गए. आज जो क्रिकेट खेला जा रहा है, उसकी नींव पैकर ने ही रखी थी. डे-नाइट क्रिकेट और वनडे का रोमांच उन्हीं की देन है. हालांकि, पैकर की यह सीरीज डेढ़ साल ही चली. उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड से घरेलू क्रिकेट मुकाबलों के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स मिल गए. इसके बाद वर्ल्ड सीरीज या लोग जिसे ‘पैकर का सर्कस’ कहते थे, उसे खुद पैकर ने खत्म कर दिया. हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई बिजनेसमैन की जिद ने क्रिकेट को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया.

Tags: ODI cricket, On This Day, T20

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