कई एडीजी स्पेशल डीजी बनने की कतार में, सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला 


ममता त्रिपाठी

लखनऊ . मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ  (CM Yogi Aditya Nath )  दूसरे कार्यकाल में अपने फैसलों से सबको चकित कर रहे हैं. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सत्ता में वापसी करने वाले योगी आदित्यनाथ की छवि सख्त प्रशासक की बन चुकी है और वो इसमें किसी तरह की कोताही बरतने को तैयार नहीं है. इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला जब काम में लापरवाही के चलते उन्होने प्रदेश के डीजीपी (UP DGP) को हटाने में एक पल की भी देरी नहीं की. माफियाओं पर चल रहा बाबा का बुलडोजर तो मौजूदा राजनीति का ट्रेंड बन ही चुका है. इसी क्रम में पुलिस विभाग में एडीजी रैंक के 14 आईपीसी अफसरों को योगी सरकार स्पेशल डीजी बनाने जा रही है. इससे पहले मायावती भी इस तरह का प्रयोग अपने शासनकाल में कर चुकी हैं और उनके समय की कानून व्यवस्था को जनता आज भी याद करती है. बृजलाल को मायावती ने स्पेशल डीजी बनाया था, जो मौजूदा समय में भाजपा से राज्यसभा सांसद हैं.

गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पुलिस मुख्यालय से इस बाबत एक प्रपोजल शासन को भेजा गया है. मामला कुछ यूं है कि 1990 बैच के सात अधिकारियों का प्रमोशन डीजी पद पर हो चुका है. इनमें संदीप सालुंके, रेणुका मिश्रा, वीके मौर्या, एसएन साबत,और अविनाश चंद्रा के नाम है जबकि तीन अधिकारी दलजीत सिंह चौधरी, तिलोत्तमा वर्मा और राजीव रंजन वर्मा केन्द्रीय डेप्यूटेशन पर हैं. 1990 बैच के ही सात आईपीएस अभी भी एडीजी पद पर हैं जिन्हे स्पशेल डीजी बनाने की बात योगी सरकार कर रही है. इनमें डाक्टर संजय एम तरडे, एमके बशाल, तनुजा श्रीवास्तव, सतीश माथुर, अंजू गुप्ता, सुभाष चंद्रा और एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार शामिल हैं. हालांकि इसमे 1991 बैच के कुछ अधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए हैं जिन्हे स्पेशल डीजी बनाया जा सकता है- बीपी जोगदंड, पीयूष आनंद, ब्रज भूषण, राजीव कृष्णा, अभय कुमार, दावा शेरपा और पीसी मीना का नाम इनमें शामिल है.

सरकार पांच और जिलों में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था लागू करेगी 

योगी के दूसरे कार्यकाल में पिछले एक महीने में जिस तरह से क्राइम का ग्राफ बढ़ा है उसको देखते हुए राज्य सरकार पांच और जिलों में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था को भी जल्द ही लागू करने पर विचार कर रही है ताकि अपराधियों पर नकेल कसने में आसानी रहे. प्रदेश के डीजीपी रह चुके विक्रम सिंह का मानना है कि पुलिस कमिश्नरी प्रणाली को तो यूपी जैसे बड़े जनसंख्या वाले प्रदेश में पहले ही लागू कर देना चाहिए. बेस्ट आफिसर रहते हैं, सीनियार अधिकारी जब कमिश्नर के पद पर रहता है तो उसका तजुर्बा उसकी टीम के काम आता है, अपराध पर नियंत्रण करने में आसानी रहती है. सबसे बड़ी बात निर्णय लेने में देरी नहीं होती और घटना का निस्तारण फौरन होता है.जहां जहां पुलिस कमिश्नरी है वहां महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट में काफी कमी देखने को मिलती है.

Tags: CM Yogi Aditya Nath, UP DGP



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