मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धूमकेतु हमारी पृथ्वी के लिए कोई खतरा नहीं है। अनुमान है कि यह 14 जुलाई को हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक पहुंचेगा। हालांकि अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि यह धूमकेतु जब हमारी पृथ्वी के नजदीक आएगा, तब उसकी दूरी कितनी होगी। यह धूमकेतु अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए एक सुनहरा मौका बनकर आ रहा है। क्योंकि यह साइज में बहुत बड़ा और चमकदार है, इसलिए इसे एक सामान्य दूरबीन की मदद से भी देखा जा सकेगा।
गौर करने वाली बात यह है कि इस धूमकेतु को पहली बार साल 2017 में स्पॉट किया गया था। हवाई में लगे पैन-स्टार्स सर्वे इंस्ट्रूमेंट की मदद से इसे देखा गया था और यह पृथ्वी और हमारे इनर सोलर सिस्टम की ओर बढ़ रहा था। रिपोर्टों के अनुसार, इस धूमकेतु का न्यूक्लियस लगभग 18 किलोमीटर का है। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह माउंट एवरेस्ट से भी दोगुने आकार का होगा।
जब इसे खोजा गया था, तब इसके और पृथ्वे के बीच की दूरी 2.4 अरब किलोमीटर थी। यह पृथ्वी से सूर्य की दूरी का 16 गुना से भी ज्यादा है। उस समय यह धूमकेतु शनि ग्रह के आसपास था। फिलहाल यह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इससे किसी तरह की खतरे की बात नहीं कही है।
धूमकेतु और एस्टरॉयड में क्या है अंतर
नासा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, एस्टरॉयड एक छोटी चट्टानी चीज है। दूरबीन की मदद से इसे देखे जाने पर यह किसी प्रकाश बिंदु के रूप में दिखाई देता है। ज्यादातर एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षा के बीच एक वलय में पाए जाते हैं। कुछ एस्टरॉयड गोल होते हैं, कुछ लंबे होते हैं। जबकि कुछ का अपना उपग्रह भी होता है। एस्टरॉयड और धूमकेतु दोनों सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लेकिन एक धूमकेतु बर्फ और धूल से बना होता है। जब यह सूर्य के करीब आता है, तो उसकी बर्फ और धूल वाष्पित होने लगती है। दूरबीन से देखे जाने पर धूमकेतु अस्पष्ट दिखाई देता है।
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