Bitcoin में गिरावट जारी रहने से क्रिप्टो मार्केट पर बढ़ा प्रेशर


मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में गिरावट जारी रहने की आशंका है। बिटकॉइन के लॉन्ग-टर्म होल्डर्स भी अब इसके प्राइस में लगातार कमी आने से प्रेशर में हैं। सर्कुलेशन में मौजूद सभी बिटकॉइन्स के एवरेज परचेज प्राइस को बताने वाले रियलाइज्ड प्राइज के इंडिकेटर में भी कमी देखी जा रही है।

ब्लॉकचेन डेटा प्रोवाइडर  Glassnode ने बताया कि बिटकॉइन का मौजूदा प्राइस इसके लगभग 23,430 डॉलर के रियलाइज्ड प्राइस से लगभग 1,000 डॉलर कम है। Glassnode के स्ट्रैटेजिस्ट्स ने बताया, “मार्केट में मंदी का दौर लंबा खिंच सकता है। एवरेज तौर पर मार्केट अपने कॉस्ट बेसिस से कुछ ही ऊपर है। बिटकॉइन के लॉन्ग-टर्म होल्डर्स के लिए भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।” मार्केट एक्सपर्ट्स यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं क्रिप्टोकरेंसीज में जारी गिरावट से इनवेस्टर्स के किस वर्ग को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। बिटकॉइन लगभग 18 महीने के निचले स्तर पर है। इस क्रिप्टोकरेंसी में हाल में खरीदारी करने वाले नुकसान में हैं। 

बिटकॉइन की माइनिंग करने वालों को भी एनर्जी की कॉस्ट बढ़ने सहित कुछ कारणों से प्रेशर का सामना करना पड़ रहा है। इसका भी प्राइसेज पर असर हो सकता है। क्रिप्टो लेंडिंग फर्म Celsius Network के ट्रांजैक्शंस पर रोक लगाने से भी इनवेस्टर्स नाराज हैं। हालांकि, क्रिप्टो मार्केट पर अमेरिका में इन्फ्लेशन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का ज्यादा असर पड़ा है। Celsius Network ने मार्केट में खराब स्थिति के कारण एकाउंट्स के बीच ट्रांसफर और विड्रॉल पर रोक लगा दी है। यह इस सेगमेंट पर बढ़ते दबाव का संकेत है।

Celsius Network ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया, “हम लिक्विडिटी और बिजनेस को मजबूत करे के लिए यह जरूरी कदम उठा रहे हैं। इसके साथ ही एसेट्स की सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं। कस्टमर्स को इस दौरान रिवॉर्ड्स मिलते रहेंगे।” पिछले वर्ष के अंत में फर्म ने लगभग 75 करोड़ डॉलर का फंड हासिल किया था। यह क्रिप्टो लेंडिंग से जुड़ी बड़ी फर्मों में शामिल है। यह अपनी क्रिप्टोकरेंसीज को जमा करने वाले कस्टमर्स को इंटरेस्ट का ऑफर देती है और रिटर्न कमाने के लिए क्रिप्टोकरेंसीज की लेंडिंग करती है। क्रिप्टो सेगमेंट की विशेषतौर पर अमेरिका सहित कई देशों में स्क्रूटनी बढ़ी है। पिछले कुछ महीनों में इस सेगमेंट में फ्रॉड से जुड़े मामले बढ़ने के कारण रेगुलेटर्स ने स्क्रूटनी कड़ी करने की जरूरत बताई है। कुछ देशों में क्रिप्टो सेगमेंट के लिए कानून बनाने पर काम किया जा रहा है। 
 

भारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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