Corbevax: बूस्टर डोज के रूप में कोर्बेवैक्स को अनुमति देने पर विचार कर सकता है टीकाकरण सलाहकार समूह, कल होगी बैठक


न्यूज डेस्क, अमर अजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 27 Jun 2022 09:06 PM IST

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कोविशील्ड या कोवैक्सिन के साथ कोविड-19 के खिलाफ पूरी तरह से टीकाकरण करने वालों के लिए कॉबेवैक्स को बूस्टर के रूप में अनुमति के देने पर एनटीएजीआई (टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) द्वारा विचार किए जाने की संभावना है, जिसकी मंगलवार को बैठक होने वाली है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। 

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 4 जून को कॉर्बेवैक्स को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए एहतियाती खुराक के रूप में मंजूरी दी थी। भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित आरबीडी प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन कॉर्बेवैक्स वर्तमान में 12 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को टीका लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक सूत्र ने बताया, “एनटीएजीआई कॉर्बेवैक्स को अनुमति देने पर चर्चा करेगा, जिसे डीसीजीआई ने कोविशील्ड या कोवैक्सिन से पूरी तरह से टीका लगाने वालों के लिए बूस्टर के रूप में मंजूरी दे दी है।”

सरकारी सलाहकार पैनल से सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ देश के पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पेपिलोमावायरस (क्यूएचपीवी) वैक्सीन के परीक्षण डाटा की समीक्षा करने की भी उम्मीद है। 

विस्तार

कोविशील्ड या कोवैक्सिन के साथ कोविड-19 के खिलाफ पूरी तरह से टीकाकरण करने वालों के लिए कॉबेवैक्स को बूस्टर के रूप में अनुमति के देने पर एनटीएजीआई (टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) द्वारा विचार किए जाने की संभावना है, जिसकी मंगलवार को बैठक होने वाली है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। 

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 4 जून को कॉर्बेवैक्स को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए एहतियाती खुराक के रूप में मंजूरी दी थी। भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित आरबीडी प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन कॉर्बेवैक्स वर्तमान में 12 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को टीका लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक सूत्र ने बताया, “एनटीएजीआई कॉर्बेवैक्स को अनुमति देने पर चर्चा करेगा, जिसे डीसीजीआई ने कोविशील्ड या कोवैक्सिन से पूरी तरह से टीका लगाने वालों के लिए बूस्टर के रूप में मंजूरी दे दी है।”

सरकारी सलाहकार पैनल से सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ देश के पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पेपिलोमावायरस (क्यूएचपीवी) वैक्सीन के परीक्षण डाटा की समीक्षा करने की भी उम्मीद है। 



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