कोरोना से मौतें: विश्व स्वास्थ्य सभा में स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया की खरी-खरी, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर जताई निराशा 


सार

मंडाविया ने कहा कि भारत के पद्धति और डेटा के स्रोतों पर वैधानिक प्राधिकरण के विशिष्ट प्रामाणिक डेटा को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया।

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विश्व स्वास्थ्य सभा जिनेवा में आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड-19 से हुई मौतों को लेकर रिपोर्ट पर निराशा जताई। मंडाविया ने कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड से अधिक मौतों की रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करने के तरीके पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करना चाहता है।  

उन्होंने कहा कि भारत के पद्धति और डेटा के स्रोतों पर वैधानिक प्राधिकरण के विशिष्ट प्रामाणिक डेटा को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया। मनसुख मंडाविया ने विश्व स्वास्थ्य सभा में कहा कि भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संवैधानिक संस्था केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर मुझे इस संबंध में अपनी सामूहिक निराशा और चिंता व्यक्त करने के लिए कहा। 

डब्ल्यूएचओ ने भारत में 47 लाख मौतों का दिया था आंकड़ा 

इसी महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान था कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है। विभिन्न देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है।इनमें से ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं।  वहीं भारत में ये आंकड़ा 47 लाख है। ये संख्या आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज़्यादा है।

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने भारत में कोरोना से मौतों पर डब्ल्यूएचओ के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा है कि जब पहले से ही भारत के पास कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा मौजूद है, ऐसी स्थिति में उस मॉडल को तवज्जो नहीं दी जा सकती जहां पर सिर्फ अनुमान के मुताबिक आंकड़े जारी किए गए हों। उन्होंने कहा कि हम अपने लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हैं। 

भारत ने पद्धति पर उठाया था सवाल

भारत ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाया था। भारत सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना से मौत को लेकर नए आंकड़े जारी किए थे। इस काल में भारत में आधिकारिक मौतों का आंकड़ा 5.2 लाख मौत का है। भारत ने 5 मई को डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा की कार्यप्रणाली संग्रह संदिग्ध हैं।

भारत ने कहा था कि अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से ध्यान दिए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 47 लाख लोगों की मौत कोविड या स्वास्थ्य सेवाओं पर उसके असर के कारण हुई है।  

 

विस्तार

विश्व स्वास्थ्य सभा जिनेवा में आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड-19 से हुई मौतों को लेकर रिपोर्ट पर निराशा जताई। मंडाविया ने कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड से अधिक मौतों की रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करने के तरीके पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करना चाहता है।  

उन्होंने कहा कि भारत के पद्धति और डेटा के स्रोतों पर वैधानिक प्राधिकरण के विशिष्ट प्रामाणिक डेटा को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया। मनसुख मंडाविया ने विश्व स्वास्थ्य सभा में कहा कि भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संवैधानिक संस्था केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर मुझे इस संबंध में अपनी सामूहिक निराशा और चिंता व्यक्त करने के लिए कहा। 

डब्ल्यूएचओ ने भारत में 47 लाख मौतों का दिया था आंकड़ा 

इसी महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान था कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है। विभिन्न देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है।इनमें से ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं।  वहीं भारत में ये आंकड़ा 47 लाख है। ये संख्या आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज़्यादा है।

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने भारत में कोरोना से मौतों पर डब्ल्यूएचओ के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा है कि जब पहले से ही भारत के पास कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा मौजूद है, ऐसी स्थिति में उस मॉडल को तवज्जो नहीं दी जा सकती जहां पर सिर्फ अनुमान के मुताबिक आंकड़े जारी किए गए हों। उन्होंने कहा कि हम अपने लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हैं। 

भारत ने पद्धति पर उठाया था सवाल

भारत ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाया था। भारत सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना से मौत को लेकर नए आंकड़े जारी किए थे। इस काल में भारत में आधिकारिक मौतों का आंकड़ा 5.2 लाख मौत का है। भारत ने 5 मई को डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा की कार्यप्रणाली संग्रह संदिग्ध हैं।

भारत ने कहा था कि अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से ध्यान दिए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 47 लाख लोगों की मौत कोविड या स्वास्थ्य सेवाओं पर उसके असर के कारण हुई है।  

 



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