जेनेटिक्स से करें दुनिया की सबसे गंभीर बीमारी कैंसर को डीकोड


नई दिल्ली. मौजूदा समय में कैंसर दुनिया की गंभीर बीमारियों में एक है. अगर समय रहते इसके बारे में पता न चले तो मरीज की जान तक जा सकती है. कैंसर के अलग-अलग कारण होते हैं. जब बॉडी में कोशिकाओं की वृद्धि असामान्य हो जाती है, तो कैंसर हो जाता है.

कैंसर के उपचार के लिए दुनिया भर में लगातार रिसर्च चल रहे हैं. भारत में भी इसके कारण और निवारण को जानने व समझने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं. इस संबंध में विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय काफी मायने रखती है. इस लेख में हम कैंसर होने के कारण, प्रकार व उनके उपचार के तरीके के बारे में एक्सपर्ट की राय जानने के साथ ही इसका गहन विश्लेषण भी करेंगे.

भारत में कैंसर की दर बढ़ रही है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि ये बढ़ोतरी क्यों हो रही है?

डॉ. मुंशी का कहना है कि 1 प्रतिशत कैंसर की वजह जेनेटिक गड़बड़ी का होना है. जैसे -जैसे रिसर्च बढ़ रहा है जेनेटिक गड़बड़ी से होने वाले कैंसर के बारे में जानकारी भी बढ़ती जा रही है.अगर परिवार में जेनेटिक डिफेक्ट, जर्म लाइन में चल रहा है तो परिवार के सभी सदस्यों में इसके होने की संभावना बनी रहती है. कैंसर व इसके कारण (जेनेटिक व डिनोवो आदि) के बारे में ज़्यादा जानकारी पाने के लिए, एक्सपर्ट की राय जानें.

अगर परिवार में किसी को कैंसर नहीं है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आपको कैंसर नहीं हो सकता. कैंसर जैसे लक्षण के इलाज के बावजूद भी अगर वह ठीक नहीं हो पा रहा है तो उचित चेकअप कराना जरूरी है. अगर हमारे जीन में कोई गड़बड़ी है, तो हमारे बच्चों को भी कैंसर हो सकता है.

उदाहरण के लिए, रेटिनोब्लास्टोमा आंख का कैंसर है, यह बच्चों में मां के पेट में ही विकसित हो सकता है. बच्चों में साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर सबसे ज्यादा होते हैं. बच्चों को होने वाले कैंसर में एपिथेलियल टिश्यू की भूमिका नहीं होती है, इसलिए, इनमें रक्तस्राव नहीं होता या एपिथेलियल कोशिकाएं पपड़ी की तरह नहीं निकलती हैं.

जेनेटिक डिसऑर्डर के अलावा कैंसर की दूसरी वजह है डिनोवो. यानी कैंसर परिवार में नहीं था, लेकिन किसी सदस्य को पहली बार हुआ है. इसे समय पर डायग्नोस करके इसका इलाज शुरू करना जरूरी होता है. डायग्नोस करने की सुविधा बढ़ने की वजह से अब समय पर कैंसर का इलाज किया जाना संभव हो पाया है.

हम कैंसर को रोकने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग का उपयोग कर सकते हैं. यह महिलाओं में स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर जैसे सामान्य कैंसर के उपचार में मदद कर सकता है. जब कोई जेनेटिक टेस्ट किया जाता है, तो परिवार के सभी लोगों का टेस्ट किया जाना जरूरी नहीं होता है. उदाहरण के लिए अगर किसी परिवार में 40 साल से कम उम्र की किसी महिला को ट्रिपल नेगेटिव (- – -ve) ब्रेस्ट कैंसर है, तो हम पूरे DNA की जांच न करके सिर्फ़ दो जीन- BRCA1 o BRCA2 की जांच करते हैं और इस केस को इंडेक्स केस कहते हैं. साथ ही, परिवार के बाकी सदस्यों के भी टेस्ट किए जा सकते हैं, ताकि उनमें भी इसकी संभावना जांची जा सके. उपचार के विकल्पों के मामले में, बाकी दुनिया के मुकाबले भारत में विकल्प सीमित हैं लेकिन इसमें लगातार सुधार हो रहे हैं.

स्यूडोमीक्सोमा पेरिटोनी (PMP) ऐसा कैंसर है जो मुख्य रूप से पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. यह आमतौर पर अपेंडिक्स में होता है और कभी-कभी अंडाशय, मूत्राशय या आंत में होता है. PMP किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है.

स्यूडोमीक्सोमा पेरिटोनी के लक्षण काफी सामान्य लगते हैं. यह धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है. पेट दर्द, वजन बढ़ना या कमर के आकार में वृद्धि, पेट पर सूजन, बढ़े हुए अंडाशय, भूख की कमी, अपेंडिक्स की सूजन (एपेंडिसाइटिस) आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं. इन लक्षणों के बढ़ने या इनके गंभीर होने पर डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए. स्यूडोमीक्सोमा पेरिटोनी का निदान होने के बाद, डॉक्टर का परामर्श और परहेज करना ज़रूरी है.

विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए, हाई एनर्जी एक्स-रे का इस्तेमाल करती है. पेट के कैंसर वाले लोग आमतौर पर बाहरी बीम विकिरण चिकित्सा, यानी शरीर को बाहर से किसी मशीन से दिया जाने वाला विकिरण है. ट्यूमर को घटाने या बची हुई कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए, सर्जरी के पहले या बाद में विकिरण चिकित्सा इस्तेमाल की जा सकती है. स्वस्थ्य कोशिकाओं को विकिरण से बचाने के लिए, इसकी जगह प्रोटॉन बीम थेरेपी को तेजी से विकसित किया जा रहा है.

कैंसर से बचने के लिए सिगरेट या तंबाकू के सेवन से दूर रखना, दैनिक आहार में खूब सारे फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करना और धूप में रहने के दौरान त्वचा पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.

Tags: Cancer

image Source

Enable Notifications OK No thanks