विधानसभा सत्र के दौरान सेवा विभाग की कार्यप्रणाली से पैदा हुए हालात पर चर्चा की गई। सत्ता पक्ष ने सदन में आरोप लगाया कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार के दायरे से सेवा विभाग (सर्विसेज) को हटा देना असंवैधानिक कदम है। चर्चा में भाग लेते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में कहा कि असंवैधानिक तरीके से सेवाओं को दिल्ली सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अधिकारियों के तबादले कर रही है। भाजपा शासित केंद्र सरकार ताश के पत्तों और म्यूजिकल चेयर की तरह दिल्ली सरकार के विभागों के अधिकारियों का तबादला कर रही है। इससे सबसे ज्यादा उच्च शिक्षा प्रभावित हो रही है।
सदन में मनीष सिसोदिया ने कहा कि विश्वविद्यालय में एडमिशन का समय चल रहा है, लेकिन पिछले निदेशक के तबादले के बाद 22 दिनों से उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। केंद्र सरकार नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है। केंद्र सरकार ने सर्विसेज को दिल्ली की चुनी हुई सरकार से असंवैधानिक रूप से छीन कर ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति छीन ली है। ताश के पत्तों को फेंटने के समान दिल्ली के अधिकारियों का ट्रांसफर कर रही है।
मनीष सिसोदिया के मुताबिक, आलम यह हो गया है कि किसी शानदार आईडिया पर शाम के वक्त उच्च शिक्षा के डायरेक्टर के साथ चर्चा करो और प्लान बनाओ और अगले दिन पता चलता है कि उसका तबादला हो गया। केंद्र सरकार को शिक्षा की कोई समझ नहीं है।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने विधान सभा में तबादले का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दिल्ली में 2015 में जब सरकार बनी थी तो केंद्र सरकार एक नोटिफिकेशन लेकर आई थी। उस नोटिफिकेशन के हवाले से केंद्र सरकार ने सेवा विभाग यानी कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को दिए थे। इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने केजरीवाल सरकार को वापस बहुत सारे अधिकार दे दिए।
भारद्वाज ने आगे कहा कि केंद्र सरकार मनमानी करके अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग करती है। एमसीडी में बिल्डिंग डिपार्टमेंट के जूनियर इंजीनियर का ट्रांसफर नहीं होता। जबकि जून 2018 से जून 2022 तक विभागों में हुए अधिकारियों के तबादले की स्थिति यह है कि ट्रेनिंग एंड टेक्निकल एजुकेशन विभाग के अंदर 2018 में प्रमुख सचिव एच राजेश प्रसाद आए। उनका 24 दिन के बाद तबादला हो गया। इसके बाद डॉक्टर जी नागेंद्र कुमार का 1 महीने 11 दिन में तबादला हो गया। इसके बाद देवेंद्र सिंह का पांच महीने 28 दिन, शिव प्रताप सिंह को आठ महीने नौ दिन, जी नागेंद्र कुमार चार महीने 11 दिन, मनीषा सक्सेना छह महीने में तबादला कर दिया। इसके बाद दोबारा एच राजेश प्रसाद को ले आए और छह महीने 25 दिन में फिर तबादला कर दिया। इसके बाद एसपी दीपक कुमार आए उन्हें भी पांच महीने 28 दिन में ही तबादला कर दिया। अब आरएलएस वाज नौ महीने नौ दिन से टिकी हुई हैं।
सदन में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना राजधानी के गार्जियन के रूप में काम कर रहे हैं। उन पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाना आप सरकार के छोटेपन को दर्शाता है। उपराज्यपाल अपने एसी कमरे में नहीं बैठे हैं बल्कि वह विभिन्न विभागों में तालमेल के लिए उनकी बैठकें कर रहे हैं। वह सिर्फ जल बोर्ड की मीटिंग नहीं ले रहे बल्कि उन्होंने डीडीए के अफसरों को भी भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया है।
उपराज्यपाल के पक्ष में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि वह नई दिल्ली नगरपालिका के अधिकारियों से भी जवाब तलब कर रहे हैं। उपराज्यपाल उन जगहों पर गए हैं जहां हर वर्ष जलभराव की समस्या पैदा होती है। दिल्ली में पानी की कमी और प्रदूषण पर अगर उपराज्यपाल बैठक कर रहे है तो फिर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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विधानसभा सत्र के दौरान सेवा विभाग की कार्यप्रणाली से पैदा हुए हालात पर चर्चा की गई। सत्ता पक्ष ने सदन में आरोप लगाया कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार के दायरे से सेवा विभाग (सर्विसेज) को हटा देना असंवैधानिक कदम है। चर्चा में भाग लेते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में कहा कि असंवैधानिक तरीके से सेवाओं को दिल्ली सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अधिकारियों के तबादले कर रही है। भाजपा शासित केंद्र सरकार ताश के पत्तों और म्यूजिकल चेयर की तरह दिल्ली सरकार के विभागों के अधिकारियों का तबादला कर रही है। इससे सबसे ज्यादा उच्च शिक्षा प्रभावित हो रही है।
सदन में मनीष सिसोदिया ने कहा कि विश्वविद्यालय में एडमिशन का समय चल रहा है, लेकिन पिछले निदेशक के तबादले के बाद 22 दिनों से उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। केंद्र सरकार नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है। केंद्र सरकार ने सर्विसेज को दिल्ली की चुनी हुई सरकार से असंवैधानिक रूप से छीन कर ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति छीन ली है। ताश के पत्तों को फेंटने के समान दिल्ली के अधिकारियों का ट्रांसफर कर रही है।
मनीष सिसोदिया के मुताबिक, आलम यह हो गया है कि किसी शानदार आईडिया पर शाम के वक्त उच्च शिक्षा के डायरेक्टर के साथ चर्चा करो और प्लान बनाओ और अगले दिन पता चलता है कि उसका तबादला हो गया। केंद्र सरकार को शिक्षा की कोई समझ नहीं है।
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