श्रीलंका संकट: महिंदा राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग तेज, कोर्ट पहुंचा मामला


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 14 May 2022 11:58 AM IST

सार

श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते राजनीतिक उथल-पुथल हो चुकी है। इसके चलते महिंदा राजपक्षे को अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भी श्रीलंका में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। 

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श्रीलंका में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा का मामला अदालत पहुंच गया है। एक वकील की ओर से कोलंबो कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व प्रधानमंत्री समेत अन्य सात लोगों की गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सीआईडी को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे समेत अन्य सात लोगों को तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश दिया जाए। 

आरोप है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमले के लिए महिंदा राजपक्षे ने अपने समर्थकों को भड़काया था। इस दौरान हिंसक झड़पों के दौरान 100 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना को मोर्चा संभालना पड़ा और लोगों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया। गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते राजनीतिक उथल-पुथल हो चुकी है। इसके चलते महिंदा राजपक्षे को अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भी श्रीलंका में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। 

देश छोड़कर नहीं जा सकते राजपक्षे 
इससे पहले श्रीलंका की एक कोर्ट ने महिंदा राजपक्षे और उनकी पार्टी के 12 अन्य नेताओं के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं सरकार की विफलता को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच महिंदा को सुरक्षा मुहैया करायी गई है। विपक्षी दल भी उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) नेता महिंदा 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था।

रानिल विक्रमसिंघे बने प्रधानमंत्री
अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक दौर का सामना कर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को गुरुवार को देश का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। रानिल विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट है। यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता विक्रमसिंघे ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बात की थी। श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्तूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि, दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।

विस्तार

श्रीलंका में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा का मामला अदालत पहुंच गया है। एक वकील की ओर से कोलंबो कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व प्रधानमंत्री समेत अन्य सात लोगों की गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सीआईडी को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे समेत अन्य सात लोगों को तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश दिया जाए। 

आरोप है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमले के लिए महिंदा राजपक्षे ने अपने समर्थकों को भड़काया था। इस दौरान हिंसक झड़पों के दौरान 100 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना को मोर्चा संभालना पड़ा और लोगों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया। गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते राजनीतिक उथल-पुथल हो चुकी है। इसके चलते महिंदा राजपक्षे को अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भी श्रीलंका में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। 

देश छोड़कर नहीं जा सकते राजपक्षे 

इससे पहले श्रीलंका की एक कोर्ट ने महिंदा राजपक्षे और उनकी पार्टी के 12 अन्य नेताओं के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं सरकार की विफलता को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच महिंदा को सुरक्षा मुहैया करायी गई है। विपक्षी दल भी उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) नेता महिंदा 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था।

रानिल विक्रमसिंघे बने प्रधानमंत्री

अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक दौर का सामना कर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को गुरुवार को देश का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। रानिल विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट है। यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता विक्रमसिंघे ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बात की थी। श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्तूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि, दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।



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