महंगाई, महामारी और सुस्‍त जीडीपी का दबाव, फिर भी कैसे हुई रिकॉर्ड टैक्‍स वसूली और भरा सरकार का खजाना?


नई दिल्‍ली. एक तरफ तो आम आदमी महंगाई, महामारी से जूझ रहा है और निजी खपत गिरने से जीडीपी की विकास दर भी सुस्‍त हो गई है. बावजूद इसके टैक्‍स वसूली रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंच गई है.

वित्‍तवर्ष 2021-22 में भारत का कुल टैक्‍स कलेक्‍शन 18.22 लाख करोड़ रुपये रहा, जो रिवाइज बजट अनुमान से भी 2 लाख करोड़ रुपये ज्‍यादा है. ऐसा भारत में ही नहीं हुआ, अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में भी इस बार रिकॉर्ड टैक्‍स वसूली हुई है. ऐसा तब है जबकि भारत की जीडीपी का आउटपुट दो साल पहले के मुकाबले महज 1.8 फीसदी बढ़ा है. ब्रिटैन में तो बीते वित्‍तवर्ष टैक्‍स कलेक्‍शन में 30 फीसदी का बंपर उछाल आया है.

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जापान ने भी रिकॉर्ड टैक्‍स कलेक्‍शन किया जबकि अमेरिका के आधे से ज्‍यादा राज्‍यों में इतना टैक्‍स वसूली हुई है, जो कोरोना पूर्व समय में भी नहीं होती थी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से बिना प्रगति के ही टैक्‍स वसूली बढ़ती जा रही है. विश्‍लेषकों ने इसके चार प्रमुख कारण बताए हैं.

सर्विस से ज्‍यादा प्रोडक्‍ट पर टैक्‍स

लॉकडाउन और महामारी की वजह से 2020 और 2021 में दुनियाभर के लगभग सभी देशों में सेवाओं की खरीद, उत्‍पादों के मुकाबले कम रही. चूंकि, सेवाओं पर टैक्‍स लगाना उतना आसान नहीं होता जितना उत्‍पादों पर टैक्‍स वसूली रहती है. इस कारण से सभी सरकारों ने अपने देश में मैन्‍युफैक्‍चर उत्‍पादों पर जमकर टैक्‍स वसूला.

आयात और महंगाई ने भरा खजाना

पिछले छह महीने से भी अधिक समय से भारत, अमेरिका सहित लगभग सभी देशों में महंगाई बेतहाशा बढ़ी है, जिसका असर उत्‍पादों की कीमतों पर दिखा और कंपनियों का मुनाफा भी खूब बढ़ा. इसके अलावा संक्रमण में कमी आने से दुनिया की सीमाएं कारोबार के लिए दोबारा खोल दी गईं. इस कदम से आयात बढ़ा तो सीमा शुल्‍क वसूली में भी वृद्धि हुई और टैक्‍स वसूली रिकॉर्ड स्‍तर पर जा पहुंची.

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राहत पैकेज ने तैयार किया मैन्‍युफैक्‍चरिंग इकोसिस्‍टम

भारत ने महामारी में करीब 30 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन और जापान ने भी कई अरब डॉलर की मदद अपने यहां के मैन्‍युफैक्‍चरिंग इकोसिस्‍टम बनाने के लिए दिया. इससे दुनियाभर में कारोबार की नई संभावनाएं पनपीं. मैन्‍युफैक्‍चरिंग बढ़ने से टैक्‍स वसूली में भी बंपर इजाफा हुआ. भारत ने ही बीते वित्‍तवर्ष में करीब 418 अरब डॉलर का निर्यात किया तो 610 अरब डॉलर का आयात भी हुआ.

कम ब्‍याज दरों ने घटाया बोझ

महामारी के दौरान केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लोगों को राहत देने के लिए ब्‍याज दरें दो दशक में सबसे कम कर दीं, जिसका सीधा लाभ कर्जधारकों को मिला. हालांकि, जमाकर्ताओं को इसका सीधा नुकसान भी हुआ. आंकड़ों पर नजर डालें तो लोन लेने वाले अमूमन अमीर और कम संख्‍या में होते हैं, जबकि बचत करने वाले कम आय श्रेणी में आते हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि बैंक व सरकार को बचत पर कम ब्‍याज देना पड़ा जबकि कर्ज पर वसूली बढ़ गई. इससे भी सरकार की कमाई में इजाफा हुआ.

Tags: GDP growth, Inflation, Manufacturing and exports, Tax

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