जेब में सिर्फ 30 रुपये लेकर काम की तलाश में मुंबई पहुंचे थे देव आनंद, ऐसे बने करोड़ों के मालिक


Dev Anand: बॉलीवुड के सुपरस्टार देव आनंद (Dev Anand) ने अपने करियर में बुलंदियों को छुआ. उन्होंने 60 के दशक में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया और अपने खास अंदाज़ से लोगों के दिलों में जगह बनाई. हालांकि उनका फिल्मी सफर इतना आसान नहीं था. देव आनंद सन 1943 में 30 रुपये और कुछ कपड़े लेकर मुंबई आए थे. मुंबई में पहले से ही उनके बड़े भाई चेतन आनंद रहा करते थे, उन्हीं के घर देव आनंद भी आकर रहने लगे. 


जब देव आनंद हीरो बनने के लिए संघर्ष कर रहे थे तो अपना खर्चा चलाने के लिए उन्होंने एक कंपनी में 85 रुपये महीने पर अकाउंटेंट की नौकरी भी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सेंसरशिप ऑफिश में नौकरी की, जहां देव आनंद को 120 रुपये महीना सैलरी मिलती थी. उस वक्त 120 रुपये महीना मिलना भी बहुत बड़ी बात हुआ करती थी.फिर एक दिन लोकल ट्रेन में देव आनंद की मुलाकात एक आदमी से हुई, उसने बताया कि प्रभात स्टूडियों को एक यंग लड़के की जरूरत है वहां चले जाओ. अगले दिन देव आनंद पहुंच गए प्रभात स्टूडियो. वहां पहुंच कर वो मिस्टर पाई से मिले और कहने लगे, ‘मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपको मुझसे अच्छा हीरो नहीं मिलेगा


देव आनंद का कॉन्फिडेंस देखकर पाई साहब ने उन्हें अगले दिन डायरेक्टर से मिलवाने की बात की. अगले दिन देव आनंद पीएल संतोषी से मिले तो वो भी देव आनंद से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें स्क्रीन टेस्ट के लिए पुणे बुला लिया. जब देव आनंद ने स्क्रीन टेस्ट दिया तो वो उसमें पास हो गए. डायरेक्टर ने उन्हें 400 रुपये महीने पर 3 फिल्मों के कॉन्ट्रेक्ट के लिए तुरंत साइन कर लिया. इसे कहते हैं किस्मत, 30 रुपये लेकर आने वाला इंसान जिसने पहले 85 रुपये महीने की नौकरी की फिर 120 रुपये की और उसके बाद में सीधे 400 रुपये महीना. इसके बाद तो देव आनंद ने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 400 रुपये से अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाले देव आनंद बन गए करोड़ों के हीरो.

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